जब भी हमारे जीवन में कोई दुःख या परेशानी होती है तो हम भगवान को ज़रूर याद करते हैं , उसी तरह जब भी हमे कोई बीमारी जकड़ लेती है तो हम डॉक्टर के पास जाने में देरी नहीं करते। डॉक्टर्स को भगवान का रूप कहा जाता है और सच भी है क्योंकि जब एक व्यक्ति स्वयं ठीक होने की हिम्मत खो देता है तो उसकी हिम्मत बनता है एक डॉक्टर। हर दिन एक डॉक्टर न जाने कितनी जानें बचाता है। एक डॉक्टर के लिए एक मरीज़ का ठीक होना उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना उस मरीज़ और उसके घरवालों के लिए।
एक डॉक्टर ही जानता है कि वो कई रातों तक सो नहीं पाता जब उसके मरीज़ की हालत बहुत गंभीर हो। वो हर कोशिश करता है अपने मरीज़ को ठीक करने की। कोरोनाकाल ने तो हमे डॉक्टर्स की अहमियत अच्छी तरह से बता दी। आज जितनी भी जानें बच पाई वो उन्ही की बदौलत बच पाई। अपने बारे में ना सोचकर, अपने घरवालों से दूर रहकर कोरोना के इस भयावह समय में डॉक्टर्स ने ना ही खुद हिम्मत हारी ना हमे हिम्मत हारने दी।
वैसे तो हर दिन डॉक्टर्स का जितना सम्मान किया जाए वो कम है लेकिन साल में ऐसा एक दिन होना बहुत ज़रूरी है जो सिर्फ डॉक्टर्स और उनकी बहुमूल्य सेवा को सराहे और सम्मान दे। एक ऐसा दिन जिस दिन हम हर डॉक्टर को यह बता सकें कि वो हैं तो हम स्वस्थ और खुशहाल हैं।
कोरोना आया और डर का माहौल लाया
इससे लड़ना कैसे है कोई ये समझ ना पाया।
कुछ लोग कोरोना संक्रमित हुए तो हस्पताल भागे,
कोरोना संक्रमण के डर से कुछ लोग रात भर जागे।
किसी ने अपनों को खोया तो कोई अपनों से दूर हो गया,
वहीँ एक डॉक्टर अपनी खैरियत भूल सुबह मरीज़ों को बचाने निकला ,
ना रातों की होश ना दिनों का हिसाब , बस कर्म में इंसानियत होने का साथ।
पीपीई किट की घुटन ने तकलीफ बढ़ाई ज़रूर होगी लेकिन जज़्बे को न रोक सकी उनके ,
मरीज़ों की संख्या बढ़ती गयी, अनगिनत असुविधाओं ने सबको घेरा,
पर कहाँ रोक पाती है बाधाएं जहा समर्पण भाव हो गहरा।
कठिन कोरोना काल में सफ़ेद पोशाक ने , अपने न होते हुए भी अपनेपन का जो एहसास कराया ,
उसी ने एक बार फिर हमे इस धरती पर भगवान होने का मतलब समझाया।
नेशनल डॉक्टर्स डे या राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस क्या है ?
प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को भारत में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। भारत में यह दिवस डॉ बिधान चंद्र रॉय के जन्मदिन के रूप में और उन्हें सम्मान देने कि लिए मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा साल 1991 में की गयी थी। डॉ बिधान चंद्र रॉय का जन्मदिवस और पुण्यतिथि 1 जुलाई को ही होती है। यह दिवस भारत के अलावा और भी कोई देशों में मनाया जाता है।
डॉ बिधान चंद्र रॉय कौन थे ?
डॉ बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना के खजांची इलाके में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भारत में और उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हुई। डॉ बिधान चंद्र रॉय एक भारतीया चिकित्सक, शिक्षाविद्, समाज-सेवी, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे जो वर्ष 1948 से 1962 बंगाल के मुख्यामंत्री रहे। उन्हें आधुनिक पश्चिम बंगाल का निर्माता भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने कई संस्थान और 5 प्रख्यात शहर (दुर्गापुर, कल्याणी, बिधाननगर, अशोकनगर और हाबरा ) स्थापित किये। इतिहास में ऐसे बहुत ही कम व्यक्ति रहे हैं जिन्होंने एक साथ F.R.C.S.(एफ. आर. सी. एस.) और M.R.C.P (एम. आर. सी. पी.) परीक्षाएँ उत्तीर्ण कर एक साथ डिग्री हासिल की हो और डॉ रॉय उनमे से एक हैं। 4 February 1961 को उन्हें भारत रत्न से भी नवाज़ा गया।
स्नातक स्तर की पढाई पूरी करने के बाद डॉ रॉय ने तुरंत ही प्रांतीय स्वास्थ्य सेवा ज्वाइन कर ली थी। वे बहुत मेहनती थी और अपने काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित रहते थे, इतना कि ज़रुरत पड़ने पर वे वहां नर्स का कार्य भी करते थे। खाली समय में वे निजी प्रैक्टिस करते थे और बहुत ही कम शुल्क लिया करते थे। आज़ादी के आंदोलन के समय उन्होंने घायलों और पीड़ितों की निस्वार्थ भाव से सेवा की थी। 1 जुलाई 1962 को उनका निधन हुआ।
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है ?
जैसा कि हम सब जानते हैं विश्व भर में किसी भी देश को स्वस्थ और खुशहाल बनाये रखने के लिए एक डॉक्टर की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। जिस तरह हमारे देश के जवान हमारे देश की सुरक्षा के लिए हमेशा तैनात रहते हैं , हमारे देश के किसान हम सभी के अन्नदाता हैं, उसी तरह हमारे डॉक्टर हमे स्वस्थ और खुशहाल जीवन देने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
चाहे वो दांतो के डॉक्टर हो या आँखों के डॉक्टर या एक सर्जन, यदि एक डॉक्टर ना हो तो विश्व भर के लोगों का हाल बुरा हो जाये। कोरोना में तो हमे समझ आ ही चुका है कि यदि डॉक्टर हैं तो हम जीवित और सुरक्षित हैं, यदि वो ही सुरक्षित और स्वस्थ नहीं तो हम भी सुरक्षित और स्वस्थ नहीं। डॉक्टर तो हमारा ख्याल रखते ही हैं लेकिन हमारी भी डॉक्टर्स के तरफ कुछ ज़िम्मेदारियाँ हैं जिन्हे समझना बहुत ज़रूरी है।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए इस दिवस का उद्देश्य है डॉक्टरों के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने का और डॉक्टरों के बहुमूल्य योगदान की सराहना और सम्मान करने का। उनके प्रति सहानुभूति रखकर उन्हें सम्मान देने का। वे डॉक्टर ही हैं जो उस व्यक्ति को भी जीने की हिम्मत देते हैं जो गंभीर बीमारी के कारण जीने की आस छोड़ चुका हो इसीलिए हर डॉक्टर का सम्मान करें और उनके महत्व को समझें।
नेशनल डॉक्टर्स डे/ राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस किन देशों में मनाया जाता है और क्यों ?
नेशनल डॉक्टर्स डे भारत के साथ ही और भी कई देशो में मनाया जाता है, जिनमे से कुछ देशों के बारे में नीचे बताया गया है:
कुवैत | कुवैत में नेशनल डॉक्टर्स डे मार्च 3 को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का आईडिया कुवैती व्यवसायी ज़ाहरा सुलैमान अल-मुसौवी द्वारा दिया गया था और यह तारीख़ इसलिए चुनी गयी थी क्योंकि इस दिन उनकी बेटी डॉ संदुस अल-मज़ीदी का जन्मदिन होता है। |
ब्राज़ील | ब्राज़ील में यह दिवस अक्तूबर 18 को छुट्टी के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस पर कैथोलिक गिरजाघर द्वारा संत ल्यूक का जन्मदिन मनाया जाता है। संत ल्यूक एक डॉक्टर थे। |
इंडोनेशिया | इंडोनेशिया में यह दिवस हर साल 24 October को मनाया जाता है। इस दिवस के साथ ही इंडोनेशियन डॉक्टर्स एसोसिएशन का जन्मदिन मनाया जाता है। |
मलेशिया | मलेशिया में यह दिवस हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिवस फेडरेशन ऑफ़ प्राइवेट मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन, मलेशिया द्वारा प्रारम्भ किया गया था। |
अमेरिका | अमेरिका में यह दिवस एक ऐसा दिवस है जिसमे हर साल डॉक्टरों के द्वारा देश के लिए की गयी सेवा को सम्मान दिया जाता है। यह आईडिया डॉ चार्ल्स बी आलमंड की धर्मपत्नी युदोरा ब्रॉयन आलमंड द्वारा दिया गया था और यह तारीख़ इसलिए चुनी गयी थी क्योंकि इस दिन सर्जरी में जनरल एनेस्थीशिया का प्रयोग पहली बार किया गया था। |
नेपाल | नेपाल में नेपाली राष्ट्रीयडॉक्टर दिवस 4 मार्च को मनाया जाता है। नेपाल मेडिकल एसोसिएशन की स्थापना के बाद, नेपाल में यह दिवस हर वर्ष मनाया जाता है। |
जानिये माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मन की बात में क्या कहा
रविवार के दिन ‘मन की बात’ के 78th एपिसोड में माननीया प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने डॉक्टर्स के बारे में बात की और राष्ट्र निर्माण में डॉक्टर्स के योगदान को सराहा। प्रधामंत्री जी ने कहा की कोरोना महामारी से लड़ने के लिए डॉक्टरों ने लोगों की मदद की और देश में कोरोना संक्रमित लोगों की जान बचाई।
मोदी जी ने मन की बात में कहा , “आज से कुछ दिन बाद, जुलाई 1 को हम नेशनल डॉक्टर्स डे/ राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाएंगे। यह दिवस इस देश के महान डॉक्टर और राजनेता डॉ बीसी रॉय के जन्म दिवस को समर्पित है। हम सभी डॉक्टरों द्वारा इस कोरोना काल में दिए गए योगदान के लिए उनके आभारी हैं। हमारे डॉक्टरों ने अपनी जान की परवाह किये बिना लोगों की सेवा की। अतः इस साल यह दिवस और भी ज़्यादा विशेष है। “
तनिष्क द्वारा नेशनल डॉक्टर्स डे/ राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर लॉन्च की गयी एक फिल्म
आभूषणों की ब्रांड तनिष्क ने नेशनल डॉक्टर्स डे/ राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर एक फिल्म लॉन्च की है जिसमे स्वास्थ्य सेवा समुदाय की प्रतिबद्धता को सेलिब्रेट किया गया है। यह फिल्म सभी डॉक्टर्स को सलाम करती है जो इस महामारी में दिन रात काम कर रहे हैं और उनके घरवालों को भी, जिन्होंने इस बुरे समय में निरंतर उनका साथ दिया। इस महामारी में डॉक्टरों का योगदान आप इस फिल्म के माध्यम से देख पाएंगे।
भारत में नेशनल डॉक्टर्स डे/ राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस किस तरह मनाया जाता है ?
भारत में ये दिवस विभिन्न स्वास्थ्य सेवा संबंधी संगठन के कर्मचारियों द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करके मनाया जाता है। इस दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं जहा अलग अलग चिकित्सा सम्बन्धी विषयों पर चर्चा की जाती है जैसे बीमारी का सही इलाज और उसकी रोकथाम आदि। कई संस्थानों द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर मुफ्त चिकित्सीय परीक्षण कैंप लगाए जाते हैं और लोगों को कई बीमारियों के बारे में अवगत किया जाता है।
कोरोना महामारी में डॉक्टरों का योगदान
दुर्भाग्यवश इस कोरोना काल में जहाँ हमारे डॉक्टर्स रात दिन हमारे बेहतर स्वास्थ्य के लिए काम कर रहे हैं , उन पर हिंसा होने की कई निंदनीय घटनाएं सामने आई हैं और ये घटनायें कोरोना काल में बहुत ज़्यादा बढ़ गयी हैं। डॉक्टरों के लिए अपशब्दों का प्रयोग करने से लेकर मार पीट जैसी घटनाएं भी सामने आई जो बेहद दुखद हैं।
कोरोना संक्रमण के मामले जब बहुत ज़्यादा बढ़ गए और हस्पतालों में भीड़ बढ़ने लगी, बेड की कमी होने लगी तब भी डॉक्टरों ने हार नहीं मानी। उन्होंने हर तरह से कोशिश की अपने हर मरीज़ को बचाने की लेकिन हस्पताल में बेड ना मिलने के कारण या किसी अन्य कारण से लोगों के भीतर इतना गुस्सा भर गया कि कई लोगों ने इस गुस्से के चलते डॉक्टरों पर हमला कर दिया। वे लोग ये भूल गए कि ये डॉक्टर किस तरह अपना परिवार छोड़ उनके परिवार के सदस्यों की जान बचाने में जुटे हुए हैं।
हर दिन हज़ारों कोरोना संक्रमित मरीज़ों का इलाज करना, असहनीय गर्मी में भी PPE किट पहनकर रखना, ना खाने का ख्याल न सोने का। उन्हें तो कोई हिम्मत देने वाला भी नहीं। वे अपनी हिम्मत भी बन रहे हैं और मरीज़ों की भी। कितने डॉक्टर तो कोरोना संक्रमित मरीज़ों का इलाज करते करते खुद कोरोना संक्रमित हो गए और कई डॉक्टरों की तो जान भी चली गई ।
हमें इन सब बातों को ध्यान में रख ये समझना होगा कि यह समय डॉक्टर्स के लिए कितना मुश्किल है , हम तो अपने घरों में सुरक्षित हैं लेकिन वो हर दिन अपने घर से दूर हर रोज़ अपनी जान की परवाह किये बिना कोरोना संक्रमित मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं।
जो त्याग डॉक्टर्स हमारे लिए हर दिन कर रहे हैं, उसका आभार हम कभी नहीं चुका पाएंगे इसलिए ज़्यादा नहीं तो बस इतना करें कि सुरक्षित रहें, हर डॉक्टर का सम्मान करें , उनके योगदान को समझें और समझें कि यदि डॉक्टर ही सुरक्षित नहीं रहेंगे तो हम भी सुरक्षित नहीं रह पाएंगे।
कोरोनाकाल में डॉक्टरों की निस्वार्थ सेवा के लिए हम सभी इस देश के हर डॉक्टर को सलाम करते हैँ। हम सम्मान करते हैं अपने देश के हर डॉक्टर का जिसने बिना रात, दिन, गर्मी, सर्दी, घर या अपनी तबियत की परवाह करते हुए हम सबका ख्याल रखा और प्रार्थना करते हैं उन सभी डॉक्टरों के लिए जिन्होंने इस देश के लोगों की जान बचाते बचाते अपनी जान गवां दी।
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FAQ’s
Q. भारत में पहला राष्ट्रीया डॉक्टर दिवस कब मनाया गया था ?
Ans: भारत में पहला राष्ट्रीया डॉक्टर दिवस वर्ष 1991 में मनाया गया था।
Q. भारत में राष्ट्रीया डॉक्टर दिवस क्यों मनाया जाता है ?
Ans: भारत में यह दिवस डॉ बिधान चंद्र रॉय के जन्मदिन के रूप में और उन्हें सम्मान देने कि लिए मनाया जाता है।
Q. डॉ बिधान चंद्र रॉय कौन थे ?
Ans: डॉ बिधान चंद्र रॉय एक भारतीया चिकित्सक, शिक्षाविद्, समाज-सेवी, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे जो वर्ष 1948 से 1962 बंगाल के मुख्यामंत्री रहे।
Q. डॉ बिधान चंद्र रॉय का जन्म कब हुआ ?
Ans: डॉ बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 में हुआ।
Q. डॉ बिधान चंद्र रॉय का निधन कब हुआ ?
Ans: डॉ बिधान चंद्र रॉय का निधन 1 जुलाई 1962 को हुआ।