ईयरफ़ोन या हैडफ़ोन लम्बे समय तक इस्तेमाल करते हैं तो रुक जाइये | Harmful effects of using Earphones or Headphones in Hindi

कानों में हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन लगाकर फुल वॉल्यूम (तेज़ आवाज़) में अपने मन पसंद गाने सुनना किसे पसंद नहीं होता।  वॉक करते समय, जिम में एक्सरसाइज करते समय, बस में, ट्रेन में, जब बाहर के शोर से बचना हो तो हम लगाते हैं अपने कानों में हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन और देखते हैं अपनी पसंदीदा फ़िल्म, टीवी सीरीज़ आदि या अपने मूड के हिसाब से बढ़िया से गानें चलाकर सुनते हैं।  ये एहसास इतना सुखमयी होता है कि हमारे हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन के बाहर दुनिया में चल क्या रहा है हमे पता ही नहीं लगता। अब हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन लगाकर आनंद तो बहुत आता है लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा कि कहीं ये आनंद आपको नुक्सान तो नहीं पहुंचा रहा।  कहीं  इस तरह घंटो कानों में हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन लगाकर गाने सुनना, सीरियल देखना या काम करना आपके कानों के लिए हानिकारक तो नहीं।

तेज़ आवाज़/ध्वनि को हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन के माध्यम से लंबे समय तक सुनने से Noise-induced hearing loss अर्थात तेज़ ध्वनि/आवाज़ से सुनने की क्षमता कम या ख़त्म हो सकती है, कानों में संक्रमण हो सकता है और भी कई परेशानियाँ  हो सकती हैं।

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“Precaution is  better  than  cure ” यानी  “एहतियात इलाज से बेहतर है”

यदि आपने इन सब बातों के बारे में कभी नहीं सोचा तो सोचिये क्योंकि आपकी ये आदत आपको आज नहीं तो कल बहुत नुक्सान पहुंचा सकती है और वो कहावत तो आपने सुनी होगी, ” Precaution  is  better  than  cure “ यानी  “एहतियात इलाज से बेहतर है”। यदि आप आगे चलकर पछताना नहीं चाहते तो आज ही सावधान हो जाएं और अपनी इस आदत को बिना समय गवाएं बदल लें। 

टीवी में कोई सीरियल या फ़िल्म देखना या स्पीकर पर गाने सुनना उतना हानिकारक नहीं होता क्योंकि दोनों ही आपके कानों से दूर हैं लेकिन जब आप इतनी तेज़ आवाज़ को इतने पास से सुनते हैं या लम्बे समय तक सुनते हैं तो आपके कानों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। यह असर कई बार जल्दी नहीं दिखता पर कुछ समय बाद इस आदत का दुष्प्रभाव दिखने लगता है। 

National Programme for the Prevention & Control of Deafness (NPPCD) यानी बहरेपन की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय प्रोग्राम

National Programme for the Prevention & Control of Deafness (NPPCD) के अनुसार WHO ने जो आंकलन भारत में किया, उसके अनुसार भारत में करीब 63 मिलियन लोगों को  Significant Auditory Impairment यानी सुनने की क्षमता कमज़ोर होने की समस्या है।  NPPCD  के अनुसार National Sample Survey Office(NSSO)  नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस द्वारा 2001  में किये गए सर्वेक्षण के अनुसार 1  लाख लोगों में  291 लोगों को गंभीर से गहन हियरिंग लॉस की समस्या है और यह समस्या अधिकतर 0 से 14 साल के बच्चों को है।

The World Health Organization (WHO) यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन का क्या कहना है

The World Health Organization (WHO) यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 12 से 35 साल की उम्र के लोगों में से 50 % लोगों को हियरिंग लॉस यानी आवाज़ सुनने की क्षमता के कम या ख़त्म होने का खतरा है क्योंकि वे काफ़ी लम्बे समय तक तेज़ ध्वनि सुनते हैं जैसे तेज़ ध्वनि में गानें सुनना। The World Health Organization (WHO) यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में करीब 5% लोगों को डिसऐब्लिंग हियरिंग लॉस की समस्या है जिसका प्रभाव उन के जीवन पर पड़ रहा है।

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि 2050 तक हर 10 व्यक्तियों में से 1 व्यक्ति को डिसऐब्लिंग हियरिंग लॉस की समस्या हो सकती है।

The World Health Organization (WHO) यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन और International Telecommunication Union (ITU)  यानी अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ  की संस्तुति

World Health Organization (WHO) और International Telecommunication Union (ITU) यानी अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ ने स्मार्टफोन्स और ऑडियो प्लेयर्स को बनाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय  मानक जारी किया जिससे कि इन यंत्रों के इस्तेमाल को कानों के लिए सुरक्षित बनाया जा सके। यह मानक WHO के “Make Listening Safe”, “सुनना सुरक्षित बनाये” पहल के अन्तर्गत WHO और ITU के विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया। WHO यह संस्तुत करता है कि सरकारें और उत्पादक इस स्वैच्छिक WHO-ITU मानक को अपनाएं।

WHO-ITU मानक संस्तुत करता है कि पर्सनल ऑडियो यंत्रों में ये सब होना चाहिए :

“Sound allowance” फंक्शनऐसा सॉफ्टवेयर जो यह ट्रैक या पता कर पाए कि एक व्यक्ति  कितनी देर और किस स्तर की आवाज़ या ध्वनि को ऐक्सपोज़्ड रहा या सुना।
Personalized Profile यानि वैयक्तिकृत प्रोफ़ाइलएक व्यक्ति की लिसनिंग प्रोफाइल जो उसकी लिसनिंग यानी सुनने की आदतों पर आधारित हो, जो उसे यह सूचित करे कि वो सुरक्षित तरीके से कुछ सुन रहा/रही है या नहीं और इस सूचना के आधार पर उन्हें संकेत दे। 
Volume limiting options या आवाज़/ध्वनि सीमित करने के विकल्पआवाज़/ध्वनि को सीमित करने के विकल्प जिसमे स्वचालित आवाज़/ध्वनि सीमित हो जाना सम्मिलित है।
General information यानी सामान्य जानकारीउपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित लिसनिंग प्रैक्टिस के बारे में  जानकारी, दिशा निर्देश आदि।
 
WHO-ITU मानक संस्तुत करता है कि पर्सनल ऑडियो यंत्रों में ये सब होना चाहिए

National Institute of Deafness And Other Communication Disorders/नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेफनेस एंड अदर कम्युनिकेशन डिसऑर्डर्स

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेफनेस एंड अदर कम्युनिकेशन डिसऑर्डर्स के अनुसार यदि एक व्यक्ति 70 डेसिबेल या उससे नीचे की ध्वनि सुनता है तो उसे हियरिंग लॉस होने का खतरा नहीं है लेकिन अगर वो लम्बे समय के लिए या लगातार 85 डेसिबेल या उससे ऊपर की आवाज़ या ध्वनि सुनता है तो इससे उसे हियरिंग लॉस हो सकता है। आवाज़ जितनी ज़्यादा तेज़ होगी, हियरिंग लॉस होने का खतरा उतना ही बढ़ता जाएगा। 

अगर आप हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन में फुल वॉल्यूम में गाने सुनते हैं तो वो 94-110 डेसिबेल के बीच होती है जो खतरनाक साबित हो सकता है। 

हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन का लम्बे समय तक इस्तेमाल करने से आपको ये समस्याएं हो सकती हैं :

Tinitus/टिनिटस

जब लम्बे समय तक या लगातार तेज़ ध्वनि सुनने से कॉक्लिया के हेयर सेल्स (hair cells) नष्ट हो जाते हैं तो कानों में झनझनाहट होने लगती है या ऐसा लगता है जैसे कुछ गूँज रहा हो। इस स्थिति को टिनिटस कहते हैं।

Hyperacusis/ हाइपराकुसिस

जिन लोगों  को टिनिटस की समस्या होती है , उनमे से 50% से अधिक लोगों को हाइपराकुसिस होने का खतरा होता है। हाइपराकुसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमे व्यक्ति को आस पास की सामन्य आवाज़  या ध्वनि से भी परेशानी होने लगती है। 

Noise-induced hearing loss या तेज़ ध्वनि/आवाज़ से सुनने की क्षमता कम या ख़त्म होना

लम्बे समय तक या ज़्यादा तेज़ ध्वनि सुनने से Noise-induced hearing loss भी हो सकता है।

नोट: इसके बारे में आगे पढ़ें। 

Dizziness  यानी चक्कर आना

कई बार, कान के परदे में तेज़ ध्वनि के कारण दबाव बनता है जिससे चक्कर भी आ सकता है।

Ear Infection या कान में संक्रमण

ईयरफ़ोन सीधा कान में लगाए जाते हैं, वे कान में हवा जाने वाले मार्ग को पूरी तरह से बंद कर देते हैं जिस कारण कान में संक्रमण (इन्फेक्शन) होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है।  प्रतिदिन या लम्बे समय तक ईयरफ़ोन इस्तेमाल करने से बैक्टीरिया या जीवाणु पैदा होते हैं जो ईयरफ़ोन में रहते हैं और इन्फेक्शन या संक्रमण के खतरे को बढ़ाते हैं।  जब ये ईयरफ़ोन आप दूसरों के साथ बांटते हैं तो उन्हें भी कान के संक्रमण होने का खतरा हो जाता है।

कानों में दर्द

लम्बे समय तक हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन के इस्तेमाल से कानों में दर्द की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।  कानों में दर्द का कारण कान में ईयरफोन की खराब फिटिंग हो सकती है और यह दर्द आंतरिक कान तक बढ़ सकता है।

कान में मैल का अत्यधिक बढ़ जाना

लम्बे समय तक ईयरफ़ोन का इस्तेमाल करने  से कान में मैल भी बढ़ता है जो टिनिटस, सुनने में परेशानी, कान दर्द और कान के संक्रमण को बहुत ज़्यादा बढ़ा देता है।

दिमाग पर असर

हैडफ़ोन से electromagnetic waves  यानी विद्युत चुंबकीय तरंग निकलती हैं जो दिमाग के सेल्स को काफी क्षति पहुंचाती हैं और भविष्य में मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं।  

Noise-induced hearing loss कैसे होता है या तेज़ ध्वनि/आवाज़ से सुनने की क्षमता कम या  ख़त्म कैसे होती है ?

जब ध्वनि तरंगे कानों तक पहुँचती हैं तो eardrum  यानी कान के परदे में vibrations होती हैं जो छोटी-छोटी अस्थियाँ यानी मुग्दरक (Medullas), निहाई (Incus or Anvil) और रकाब (Stapes) द्वारा  मध्य कर्ण तक जाती हैं और फिर cochlea (कॉक्लिया) तक पहुँचती हैं।  Cochlea (कॉक्लिया) वो चैम्बर हैं जिसमे फ्लूइड (fluid) होता है और जब वाइब्रेशंस कॉक्लिया तक पहुँचती हैं तो यह फ्लूइड भी वाइब्रेट करता है जिस कारण कॉक्लिया में जो हेयर सेल्स होते हैं वो हिलने लगते हैं। यदि ध्वनि बहुत ज़्यादा तेज़ होती है तो ये हेयर सेल्स और भी ज़्यादा तेज़ी से हिलने लगते हैं और इस कारण  “temporary hearing loss” यानी कुछ समय के लिए सुनने की क्षमता कम या  ख़त्म हो सकती है।

इन हेयर सेल्स को तेज़ ध्वनि से जो नुक्सान पहुँचता है, उससे उभरने के लिए बहुत समय लग जाता है।  कई बार तो ऐसा भी होता है कि ये सेल्स पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं और वापिस ठीक से काम नहीं कर पाते।  इस स्थिति में सुनने की क्षमता हमेशा के लिए ख़त्म हो जाती है।

क्या ऊपर दी गयी परेशानियों से बचा जा सकता है ?

अगर आप समय रहते एहतियाद बरते और अपनी आदत बदल लें तो आप ऊपर दी गयी समस्याओं से बच सकते हैं। इससे बचने के लिए नीचे दी गयी बातों को ध्यान रखें :

1लम्बे समय तक हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन का इस्तेमाल नाकरें।
2हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन पर तेज़ वॉल्यूम में गाने ना सुनें। हमेशा वॉल्यूम कम रखें।
3अपने ईयरफ़ोन किसी और के साथ ना बांटे क्योंकि ऐसा करने से उस वयक्ति को कान का संक्रमण हो सकता है।
4अपने हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन को साफ़ रखें।
5हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन अगर लम्बे समय तक इस्तेमाल कर रहे हैं तो हर आधे या एक घंटे बाद कुछ देर का ब्रेक लें। 
6हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन का इस्तेमाल कम करने की कोशिश करें।
7यदि बस, ट्रेन या किसी भी  वाहन में हैं तो हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन का इस्तेमाल ना करें क्योंकि पहले ही बाहर ट्रैफिक का बहुत शोर होता है और आपके कानों को नुक्सान हो सकता है। 
8ये जानिये की किस तरह कि आवाज़ या ध्वनि आपको नुक्सान पहुंचा सकती है।
9यदि कभी तेज़ ध्वनि को कम नहीं कर पा रहे तो उससे दूर हो जाएं।
10बच्चों को हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन से दूर रखें।
11अपने करीबी दोस्तों , रिश्तेदारों को भी इन परेशानियों के बारे में बताएं।
12यदि आपको ऊपर दी हुई कोई भी परेशानी हो रही है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। 
13इस बात पर हमेशा ध्यान दें कि आप कितनी देर और कितनी ऊँची आवाज़ में गानें सुन रहे हैं ।
14अच्छी ब्रांड्स के हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन इस्तेमाल करें। 
क्या ऊपर दी गयी परेशानियों से बचा जा सकता हैं ?

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Q. लम्बे समय तक हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन इस्तेमाल करने के क्या नुक्सान हैं ?

Ans:लम्बे समय तक हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन इस्तेमाल करने से  चक्कर आना, हियरिंग लॉस, कान का संक्रमण आदि समस्याएं हो सकती हैं।

Q.क्या लम्बे समय तक हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन के इस्तेमाल से दिमाग पर असर पड़ता है ?

Ans:हैडफ़ोन से electromagnetic waves  यानी विद्युत चुंबकीय तरंग निकलती हैं जो दिमाग के सेल्स को काफी क्षति पहुंचाती हैं।  इसीलिए लम्बे समय तक लम्बे समय तक हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन का इस्तेमाल करने से बचें। 

Q.रोज़ हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन का इस्तेमाल करने से क्या होगा ?

Ans:यदि आप लम्बे समय तक हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन का इस्तेमाल करते हैं और ज़्यादा वॉल्यूम में सुनते हैं तो इससे आपके सुनने की क्षमता कम या ख़त्म भी हो सकती है।

Q.क्या सस्ते हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन आपको नुक्सान पंहुचा सकते हैं ?

Ans:सस्ते हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन से आपको साफ़ आवाज़ नहीं आती तो आप आवाज़ या ध्वनि को बढ़ा देते हैं या फुल वॉल्यूम पर सुनते हैं , ऐसा करने से आपकी सुनने की क्षमता पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है।

Q.कितनी देर के लिए हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन या का इस्तेमाल कर सकते हैं ?

Ans:कोशिश कीजिये की एक दिन में आप 1  घंटे से ज़्यादा हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन का इस्तेमाल ना करें  और अगर इससे ज़्यादा समय के लिए  करना पड़ रहा है तो कोशिश करें की हर आधे घंटे में ब्रेक लें।

Q.क्या ईयरफ़ोन के इस्तेमाल से कान में इन्फेक्शन हो सकता है ?

Ans:ईयरफ़ोन का ज़्यादा इस्तेमाल करने से कान में इन्फेक्शन होने का खतरा होता है, अपने ईयरफ़ोन को sanitize करते रहें। 

Q.क्या हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन लगाकर सोना गलत हैं ?

Ans:हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन लगाकर सोने से आपके कानों को नुक्सान पहुंच सकता है।  इसलिए कभी हैडफ़ोन या ईयरफ़ोन कानों में लगाकर न सोये। 

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