लक्ष्य प्राप्ति कैसे करें | गोल ओरिएंटेड कैसे रहें | How To Be Goal Oriented in Hindi

कितनी ख़ुशी होती है  जब अपने सपनों को पूरा किया जा सके और ऐसा तभी होता है जब हम दिन और रात एक कर दें अपने सपने को पूरा करने के लिए, अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए। यदि आप एक लक्ष्य चुन लें और उसे पाने के लिए मेहनत करना शुरू कर दें तो निश्चित ही आप अपने लक्ष्य को पा लेंगे। 

सपना, हाँ वो सपना कुछ करने का, इस जीवन में कुछ बनने का,

वो सपना जिसे हर दिन याद करके हम अपने दिन की शुरुआत करते हैं,

वो सपना जिसे पूरा करने के लिए दिन और रात मेहनत करते   हैं।

कभी कभी हमारा ये सपना हमारी पूरी ज़िन्दगी बन जाता है ,

कहीं ये सपना टूट ना जाये, ये डर हमे दिन रात सताता है।

‘सपने सिर्फ देखो मत, उन्हें पूरा करने के लिए काम भी करो’, ये बात हमे हर कोई सिखाता है ,

हमारा ये सपना पूरा करने का सफर, हमे खट्टे – मीठे बहुत से अनुभव दे जाता है।

अपने सपने पूरा करने के लिए हम कई  बार गिरते हैं ,

लेकिन गिरकर  वापिस उठने वालो के सपने ही पूरे होते हैं।

सपना देखा है तो उसे पूरा करने में कोई कसर मत छोड़ना ,

चाहे कितनी ही विफलताओं का सामना क्यों ना करना पड़े, तुम अपने सपनो से मुँह ना मोड़ना।

Table of Contents

लक्ष्य का अर्थ ( मतलब ) क्या है ?

लक्ष्य का अर्थ है ऐसा कोई उद्देश्य जो हम पूर्ण करना चाहते हों और लक्ष्य जीने का सिर्फ एक माध्यम नहीं है बल्कि वो उद्देश्य है  जिसे पूरा करने या पाने कि लिए एक व्यक्ति अकेले या और कई व्यक्तियों के साथ मिलकर पूरा करने का प्रयास करता है। 

एक लक्ष्य होने का यह मतलब है कि एक व्यक्ति जीवन में किसी निर्धारित स्थान तक पहुँचने के लिए या कुछ प्राप्त करने के लिए एक योजना बनाता है और उसके लिए बहुत मेहनत करता है।  लक्ष्य छोटा या बड़ा किसी भी प्रकार का हो सकता है।  उधारणतः जहाँ एक अच्छी सेहत पाना एक व्यक्ति का लक्ष्य हो सकता है तो वहीँ एक पायलट  बनना भी एक व्यक्ति का लक्ष्य हो सकता है।  कोई नई भाषा सीखना एक व्यक्ति का लक्ष्य हो सकता है तो वहीँ किसी परीक्षा में सफल होना किसी व्यक्ति का लक्ष्य हो सकता है।

गोल ओरिएंटेड यानी लक्ष्यात्मक होने का अर्थ क्या है ? (Goal oriented)

गोल ओरिएंटेड (Goal oriented) यानी लक्ष्यात्मक होने का अर्थ यह है कि जो लक्ष्य आपने चुना है आप उस लक्ष्य पर केंद्रित रहें और उससे भटके नहीं।  आपका ध्यान पूरी तरह से अपने लक्ष्य पर और उसे कैसे प्राप्त करना है इस बात पर होना चाहिए। 

उदाहरण : आपका लक्ष्य है परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना।  सिर्फ लक्ष्य होने से आप लक्ष्यात्मक नहीं बनते।  आप लक्ष्यात्मक तब कहलाएंगे  जब आप इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यानी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए मेहनत करेंगे , पढाई करेंगे और अपने लक्ष्य से भटकेंगे नहीं। 

गोल ओरिएंटेड थिंकिंग यानी लक्ष्यात्मक सोच (Goal oriented Thought Process)

यदि  आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो सबसे पहले अपनी सोच को मज़बूत करें।  एक अच्छी सोच रखें।  अपनी सोच को सकरात्मक रखें और किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से कोसों की दूरी बनाएं रखें।  अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए एक ऐसी सोच रखना बहुत ज़रूरी है जो हर तरह से आपके लक्ष्य पर केंद्रित हो। 

अपने लक्ष्य को कभी ना भूलें।  चाहे कुछ भी हो जाए, हमेशा यही सोचें कि आप अपने लक्ष्य तक ज़रूर पहुंचेंगे। खुद को हमेशा प्रोत्साहित करें।  अपने लक्ष्य तक कैसे पहुंचना हैं, क्या करना है , किन बातों का ध्यान रखना है, इस बारे में सोचे और विचार करें क्यूंकि जब सोच ऐसी होगी तो कार्य भी उसी तरह का करेंगे जो आपको आपके लक्ष्य तक पहुंचा सके।

बहुत बार ऐसा होता है कि आप बार बार विफल होने लगते है, ऐसे में आपकी सोच भी नकारात्मक हो जाती है लेकिन इन विफलताओं का अपनी सोच और लक्ष्य पर बिलकुल भी असर न पड़ने दे क्योंकि विफलताएं तो जीवन का हिस्सा है।  आप इन विफलताओं से सफलताओं की ओर ज़रूर  बढ़ेंगे , ऐसी सोच रखें। 

गोल ओरिएंटेड एटीट्यूड  यानी लक्ष्यात्मक रवैय्या रखें (Goal Oriented Attitude)

आपने इस बात पर हमेशा गौर किया होगा कि जो लोग अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं, उन सभी के जीवन में कोई ना कोई लक्ष्य ज़रूर होता है। जब हम सफल व्यक्तियों की सफलता की कहानियाँ सुनते हैँ तो हम हमेशा यह देखते हैं कि वे सफल इसलिए हुए कि उन्होंने कभी हार नहीं मानी।  उनके रास्ते में हज़ारों कठिनाइयांआईं  लेकिन उनका रवैया कभी नहीं बदला। उनक ध्यान अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटका और यही वजह है कि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके। 

आप भी लक्ष्यात्मक रवैया रखें। यदि आप यह निर्णय ले चुके हैँ कि आपको एक लक्ष्य प्राप्त करना ही है तो बेकार बातों पर कभी समय ना  गवाएं, ऐसी बातों पर ध्यान दें जो आपको आपके लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करें , प्रोत्साहित करें , ऐसे लोगों के  साथ समय बिताएं जो स्वयं भी लक्ष्यात्मक हों। चाहे कुछ भी हो जाए अपना रवैया ना  बदले।  किसी भी प्रकार के विकर्षण या विफलताओं से बिलकुल भी प्रभावित ना हो।

सफलता के लिए फ़ोकस जरूरी क्यों है ?

फ़ोकस यानी जो भी आप कर रहे हैं या करना चाहते हैं, उस पर केंद्रित रहना। हमेशा याद रखें, हर सफल व्यक्ति आज सफल इसलिए हुआ है क्योंकि उस व्यक्ति ने कभी फ़ोकस नहीं खोया। ज़रा सोचिये अगर वो व्यक्ति फ़ोकस खो देता तो क्या आज वो सफल हो पाता ?  यदि आज आप एक लक्ष्य निर्धारित कर लें, उस पर काम करना शुरू करें और 2 -4  दिन बाद आपका अपने लक्ष्य पर से फ़ोकस हट जाए तो ज़ाहिर सी बात है कि आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जिस दिशा में चल पड़े थे, उस दिशा से वापिस वहीँ लौट आएंगे जहाँ से आपने चलना शुरू किया था और कभी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। 

फ़ोटो  तो आप सभी खींचते होंगे।  जब फ़ोटो खींचते हुए आप जिस व्यक्ति या वस्तु की फोटो खींच रहे हैं , उस पर सही से कैमरा का फ़ोकस ना हो, तो क्या फ़ोटो अच्छी आएगी ? जवाब हैं नहीं।  फ़ोटो अच्छी इसलिए नहीं आएगी क्योंकि आपके कैमरा का उस व्यक्ति या वस्तु पर फ़ोकस नहीं था।  इसी प्रकार आपका निर्धारित लक्ष्य भी है। 

उसे प्राप्त करने के लिए या जीवन में सफ़ल होने के लिए अपने हर लक्ष्य पर फ़ोकस करना यानी केंद्रित रहना सीखें।  जब आपका फ़ोकस बना रहेगा तो रिज़ल्ट भी अच्छा  आएगा लेकिन अगर आपका ध्यान भटक जाएगा, आप इधर उधर की बातों में लग जाएंगे , कुछ और करने लगेंगे तो ज़ाहिर सी बात है आपका फ़ोकस पूरी तरह से खत्म हो जाएगा और  जो आप करना चाहते हैं वो बिलकुल भी नहीं कर पाएंगे।  इसीलिए सफलता प्राप्त करनी हैं तो फ़ोकस बहुत ज़रूरी हैं , फ़ोकस नहीं तो सफलता नहीं।

अपना लक्ष्य कैसे बनाये या एक लक्ष्य कैसे निर्धारित करें

लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सबसे पहले ज़रूरी है एक लक्ष्य का होना और उसके बाद उस पर फोकस करना। अक्सर होता यह है कि लोग अपने लक्ष्य को पा तो लेते हैं पर अपने लक्ष्य तक पहुंचने के कुछ समय बाद ही उसे छोड़कर दूसरे रास्ते पर चल पड़ते हैं। इस तरह हर समय लक्ष्य बदलने से भटकाव के सिवाय कुछ नहीं मिलता। एक लक्ष्य तय करना और उसे प्राप्त करने के लिए जी-जान लगा देना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।   

यदि आप भी इस असमंजस में फंस चुके हैं जहाँ आपके लक्ष्य अनेक हैं ओर आप समझ नहीं पा रहे है कि किस लक्ष्य को ज़्यादा महत्त्व दिया  जाये तो ऐसे में आपको यह निर्णय लेना होगा की कौन सा लक्ष्य प्राप्त करना आपके लिए सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है और जब आप ये समझ जाएं तब उस लक्ष्य को पाने के लिए खूब मेहनत करें।  

नीचे दी गयी इन बातों को फॉलो करें:

अपना लक्ष्य निर्धारित करें

सबसे पहले यह निर्धारित कीजिये की आप क्या करना चाहते हैं ? हो सकता है कि आप अपना वज़न कम करना चाह रहे हों, साथ ही एक नई भाषा सीखना चाहते हों और कुछ समय बाद एक अच्छे कॉलेज में दाखिला चाहते हों।  अब ये सभी लक्ष्य है , कुछ छोटे तो कुछ बड़े लेकिन हर एक लक्ष्य ज़रूरी है और उसे प्राप्त करना भी।  सबसे पहले कागज़ और कलम उठाएं और अपने लक्ष्य लिख डालें। इसके बाद अपने आप से ये सवाल करें :

क्या ये लक्ष्य ज़रूरी है ? यदि हाँ तो कितना ज़रूरी और इसे पूरा करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए।

इन सभी लक्ष्यों में सबसे ज़्यादा ज़रूरी लक्ष्य कौन सा है ?

क्या मुझे इस लक्ष्य को समय देना चाहिए और मेहनत करनी चाहिए ?

इन सभी सवालों के जवाब आप स्वयं ही दे पाएंगे।  यदि आपको लगता है कि कोई लक्ष्य ऐसा है जिसमे आपको समय देना व्यर्थ लग रहा है तो उसे हटा दें , किसी लक्ष्य को लेकर यदि आप असमंजस में है तो उसे सबसे बाद में रखें और यदि कोई लक्ष्य ऐसा है जिसके बारे में आपको यह लग रहा है कि इसे प्राप्त करना आपके लिए बहुत ज़रूरी है  तो बिना समय गवाएं उस लक्ष्य की ओर कार्य करना शुरू करें।  एक ही साथ सभी लक्ष्यों पर ध्यान देंगे तो शायद किसी भी लक्ष्य पर क्रेंद्रित ना रह पाएं इसलिए एक एक कर अपने हर लक्ष्य की ओर,  उस लक्ष्य के महत्त्व के अनुसार उस पर काम करें। 

टाइम टेबल यानी सारणी बनाएं (Make Time Table)

जब आप यह निश्चित कर लें कि आपका लक्ष्य क्या है तो उसके बारे में विचार करना शुरू करें जैसे आपको अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए शुरुआत कैसे करनी है , प्रतिदिन कितना समय देना है , कितने समय में आप अपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं या पहुँच सकते हैं , आपको वहाँ तक पहुँचने कि लिए किन चीज़ों की ज़रुरत पड़ेगी, इन सभी बातो के बारे में सोचे। 

एक टाइम टेबल यानी सारणी बनाएं जिसमे आप हर दिन कितने घंटे अपने लक्ष्य के लिए कार्य करने को दे सकते हैं, यह लिखें।  इससे आपको आसानी होगी।  जितना भी समय निर्धारित किया है , उस समय में सर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखें , दोस्तों के साथ बाहर जाना या कोई फ़िल्म या सीरियल देखने में अपन समय बिलकुल व्यर्थ ना  करें। 

सारणी के अनुसार अपने लक्ष्य की ओर कार्य करना शुरू करें

जब आप एक सारणी बना लें तो उस सारणी के अनुसार अपने लक्ष्य की ओर कार्य करना शुरू करें।  कोशिश करें कि आप इस सारणी को हर दिन फॉलो करें।  यदि किसी दिन आप 1  घंटा कम दे पाते हैं तो जब भी समय मिले इस 1  घंटे की तैयारी उस दिन करें।  एक सारणी फॉलो करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्यूंकि इससे आपके जीवन में अनुशासन बना रहेगा, आप सही समय पर काम करने की आदत डाल पाएंगे और जो भी कार्य करना चाहते हैं वो कार्य कर पाएंगे। 

जब आप यह तय कर लें की आपका लक्ष्य है और किस तरह उसपर काम करना है लेकिन उस पर फोकस करने में मुश्किल हो रही है तो याद रखें की यदि आप जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको फोकस के महत्त्व को समझना होगा क्यूंकि बिना फोकस के आप सफलता प्राप्त नहीं कर सकते।

इसे समझने के लिए आप यह सोचिये कि आपके सामने बहुत सी चीजें बिखरी पड़ी हुई हैं। अब आप किसी एक ओर ध्यान ही नहीं लगा पा रहे हैं।  ऐसे में यह ज़रूरी है कि आप उन सभी चीज़ों को इकठ्ठा कर लें, ऐसा करने से आप पूरा ध्यान उन इकठ्ठा की गयी चीज़ों पर लगा पाएंगे।

इसी तरह आपके जीवन में भी होता होगा कि जब आप किसी एक जगह पर फोकस करना चाहते हैं तो इतनी सारी चीज़ें आपके सामने आने लगती हैं कि आप किसी एक जगह फोकस कर ही नहीं पाते।  ऐसे में ज़रूरी है अपने सामने हर बिखरी हुई चीज़ को समेटकर अपने लक्ष्य पर फोकस करना।

लक्ष्य निर्धारित कर लेने के बाद ज़रूरी है उसपर टिके रहना 

आइये जानते है कैसे अपने लक्ष्य पर केंद्रित रह सकते है:

लक्ष्य पर फोकस्ड यानी केंद्रित रहना

लक्ष्य चाहे छोटा हो या बड़ा, उसे पाने के लिए फोकस्ड यानी केंद्रित रहना बहुत ज़रूरी है।  अपने लक्ष्य पर फोकस्ड रहने के लिए आप अपने लक्ष्य को कुछ छोटे –छोटे हिस्सों में बाँट लें और फिर एक एक कर हर छोटे हिस्से को पाने के लिए मेहनत करें।  जिस तरह बूँद बूँद से ही सागर बनता है , उसी तरह जब आप अपने इन छोटे छोटे लक्ष्यों को पाने के लिए मेहनत करेंगे तो आपका हर लक्ष्य आपको अपने परम लक्ष्य तक ज़रूर पहुंचाएगा। 

उधारणतः आप डॉक्टर, वकील आदि बनना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह पता करना होगा की उसके लिए आपको किस तरह से पढाई करनी होगी, क्या क्या पढ़ना होगा, कौन सी परीक्षा देनी होगी, परीक्षा के लिए कौन सी किताबें खरीदनी होंगी।  आपका परम लक्ष्य तो डॉक्टर वकील आदि बनना है लेकिन वहां तक पहुँचने के लिए पहले आपको ये सब सीढ़ियां चढ़नी ही होंगी तो जिस तरह अपने घर की छत पर पहुँचने के लिए आपको सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है उसी तरह अपने परम लक्ष्य तक पहुँचने के लिए भी आपको ये सभी सीढ़ियां चढ़नी होंगी और हर ये सीडी वो लक्ष्य है जिसे पूरा करते हुए आप अपने परम लक्ष्य तक पहुँच पाएंगे।

 ज़रूरी बात यह है कि आप अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए जो भी मेहनत कर रहे है, वो कितनी देर तक कर रहे हैं और  कब तक अपने लक्ष्य पर  फोकस रख पाते हैं। जहाँ आपका फोकस थोड़ा भी हिला, वहाँ आप अपने लक्ष्य से दूर होने लगते हैं।  जितनी भी देर आप फोकस कर पातें हैं उस समय को कहीं  पर लिख लें, जब थक जाएं तो कोई प्रेरणात्मक वीडियो देख लें या स्पीच सुन लें और फिरसे फोकस करें।  इस प्रकार  यदि आप अधिक समय तक फोकस रख पाते हैं, तो आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी।

लक्ष्य प्राप्त करना है तो  ”नहीं” कहना सीखे

पढ़ने में आपको यह बात थोड़ी अजीब लग रही होगी लेकिन ‘नहीं’ शब्द का प्रयोग बहुत ज़रूरी है।  ऐसा कई बार होता है कि  जब आप अपना एक लक्ष्य निर्धारित करते हैं और उस ओर  काम करना या मेहनत करना शुरू करते हैं तो कई बार आप भटक से जाते हैं।  उदाहरण के  तौर पर ये समझिये – यदि अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आपको कोई परीक्षा देनी है तो आप उसके लिए पढ़ते हैं। 

आप ये निर्धारित करते हैं कि आपको कितने घंटे पढ़ना है या कितने दिनों में एक विषय ख़त्म करना है लकिन कई बार या तो आपके दोस्त आपके साथ कहीं घूमने का कोई प्लैन बना लेते है या किसीका फ़ोन आ जाता है तो आप घंटो उस पर व्यस्त रहते हैं और भी ऐसी कई  बातें हो सकती हैं जिनके कारण आप अपने लक्ष्य को पूरा करने में असफल हो जाते है क्यूंकि आप दूसरो को ना नहीं कह पाते।

ना कहना सीखिए।  जो भी वयक्ति अपने जीवन में सफल होता है वो इसीलिए होता है क्योंकि वो ना कहना जानता है।  चाहे कोई कितनी भी कोशिश क्यों ना कर लें यदि आप एक बार ठान लें की आपको किसी भी हालत में अपने लक्ष्य तक पहुंचना है तो ना कहने सीखें।  ये ना सोचे की दूसरों को बुरा लग सकता है क्योंकि जो आपके हितैषी हैं वे आपकी बात ज़रूर समझेंगे और जो नहीं समझते उनसे दूर रहना ही बेहतर है।

लक्ष्य प्राप्त करने पर खुद को पारितोषिक दें

हमेशा याद रखें की पारितोषिक और सराहना किसी भी व्यक्ति को आगे बढ़ने में बहुत मदद करती है।  जैसे अपने दोस्त या किसी करीबी के कुछ अच्छा करने पर  उसकी पीठ थपथपाते हैं, उसी प्रकार जब आप कुछ अच्छा करते हैं तो अपनी पीठ भी थपथपाएं।   लक्ष्य बनाए रखने और ध्यान भटकने से बचने के लिए उत्साहित रहना बहुत ही ज़रूरी है। चाहे आपने अपने लक्ष्य की ओर एक छोटा सा कदम ही क्यों न बढ़ाया हो, स्वयं को सराहें। 

मान लीजिये आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और आपने यह निश्चित किया कि 1  महीने में आप एक विषय पूरा पढ़ेंगे और आपने वो विषय पूरा पढ़ लिया तो ऐसा करने पर खुद को पारितोषिक दें, खुद को ट्रीट दें चाहे वो आपका पसंदीदा खाना हो या फिल्म देखना। 

ऐसा करने से आपको ख़ुशी भी मिलेगी और आपका उत्साह भी बना रहेगा।  ये छोटी छोटी बातें एक व्यक्ति को आगे बढ़ने का उत्साह देती हैं।  

अपने परम लक्ष्य को छोटे छोटे लक्ष्यों में विभाजित करें

ऐसा बहुत बार होता है कि एक व्यक्ति अपना परम लक्ष्य तो चुन लेता है लकिन उस लक्ष्य तक पहुँचते के लिए इतना उत्साहित हो जाता है कि ये नहीं समझ पाता कि वहां तक पहुंचे कैसे।  लक्ष्य चाहे कुछ भी हो उसे हमेशा छोटे छोटे लक्ष्यों में विभाजित करें और फिर एक एक कर हर लक्ष्य की ओर काम करें तभी आप अपने परम लक्ष्य तक पहुँच पाएंगे। 

यदि अपने परम लक्ष्य को विभाजित किये बिना उसे प्राप्त करने की कोशिश में जुटे रहेंगे तो समझ नहीं पाएंगे कि क्या करें और परेशान होने लगेंगे।  आगे नहीं बढ़ पाएंगे , कुछ कर नहीं पाएंगे और बैठकर बस सोचते ही रहेंगे की करें क्या।  इसीलिए लक्ष्यात्मक रहने के लिए ज़रूरी है अपने परम लक्ष्य को छोटे छोटे लक्ष्यों में विभाजित करना और फिर एक एक कर हर लक्ष्य पर काम करना।

जैसे जब आपको भूख लगी होती है और आपके सामने खाने की थाली होती है तो चाहे भूख कितनी ही ज़्यादा क्यों ना हो, आप एक साथ सारा खाना नहीं खा सकते।  थोड़ा थोड़ा करके ही खा पाएंगे।  उसी तरह जब आपका एक परम लक्ष्य होता है तो उसे प्राप्त करने के लिए भी आपको कई और लक्ष्य प्राप्त करने होंगे।

लक्ष्य प्राप्त करना है तो विफाताओं से न डरें

सफल वही लोग होते हैं जो विफलताओं से डरते नहीं हैं।  ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसको विफलताओं का सामना नहीं करना पड़ता। याद रखिये विफलताएं भी उसी के मार्ग में आती हैं जो कुछ करने की हिम्मत रखते हैं, जिन लोगों के जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता उनके जीवन में विफलताओं का सामना करने का सवाल भी नहीं उठता। 

यदि आपके मार्ग में विफलताएं आएं तो उनका डटकर सामना करें, जैसे तूफ़ान में एक पेड़ डटकर खड़ा रहता है, तूफ़ान आकर चला जाता है लेकिन वो पेड़ वहीँ खड़ा रहता है, उसी तरह आपके मार्ग में भी ये विफलता रुपी तूफ़ान आते रहेंगे पर आपको भी उसी पेड़ की तरह डटकर इनका सामना करना है। 

हार नहीं माननी।  चाहे आपको हार का सामना क्यों ना करना पड़े, कुछ  देर दुखी होने का अधिकार आपको है लेकिन उससे ज़्यादा महत्वपूर्ण है फिरसे उठकर अपने लक्ष्य को पाना, उस लक्ष्य को पाना जिसके लिए आपने मेहनत की। विफलताओं का डटकर सामना करने वालों की कभी हार नहीं होती, होते है तो सिर्फ अनुभव और चाहे वो अनुभव बुरे हो या अच्छे, एक लक्ष्यात्मक व्यक्ति  हर अनुभव से कुछ न कुछ सीख ज़रूर लेता है। 

कुछ कामयाब लोगों द्वारा कही गई प्रमुख बातें (Quotes By Famous and Successful People)

1.उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये – स्वामी विवेकानंद
2.फुटबाल की तरह ज़िन्दगी में भी आप तब तक आगे नहीं बढ़ सकते जब तक आपको अपने लक्ष्य का पता ना हो – अर्नोल्ड एच ग्लासगो
3.एक लक्ष्य एक समय सीमा के साथ देखा गया एक सपना है – नेपोलीयन हिल
4.आप कभी भी इतने वृद्ध नहीं होंगे कि नया लक्ष्य तय न कर सकें या फिर नया स्वप्न ना देख सकें। – सी.एस. लेविस
5.अगर आप खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं तो उसे किसी लक्ष्य से बाँध कर रखिये ना कि लोगों या चीजों से – अल्बर्ट आइंस्टीन
6.जब ये स्पष्ट हो कि लक्ष्य तक नहीं पहुंचा जा सकता तब अपने लक्ष्य को न बदलें बल्कि अपने प्रयासों को लक्ष्य अनुकूल बनायें – Confucius कन्फ़्यूशियस
7.यदि आप सफलता चाहते हैं तो इसे अपना लक्ष्य ना बनाइये, सिर्फ वो करिए जो करना आपको अच्छा लगता है और जिसमे आपको विश्वास है, और खुद-बखुद आपको सफलता मिलेगी। – डेविड फ्रोस्ट
8.बार बार असफल होने पर भी उत्साह ना खोना ही सफलता है। ” – विंस्टन चर्चिल
9.ज़िन्दगी में हम जो चाहते हैं उसके ना मिलने की एक ही वजह है- हमारा उन कारणों के बारे में सोचना कि हम वो चीजें क्यों नहीं पा सकते – टोनी रोब्बिन्स
10.अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलना सीखो – डॉ ऐ पी जे अब्दुल कलाम

यह भी पढ़े :

FAQ’s

Q. लक्ष्य का मतलब क्या है ?

Ans: लक्ष्य का अर्थ है ऐसा कोई उद्देश्य जो हम पूर्ण करना चाहते हों और लक्ष्य जीने का सिर्फ एक माध्यम नहीं है बल्कि वो उद्देश्य है जिसे पूरा करने या पाने कि लिए एक व्यक्ति अकेले या और कई व्यक्तियों के साथ मिलकर पूरा करने का प्रयास करता है।

Q. लक्ष्य प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए ?

Ans: लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उस ओर मेहनत करनी चाहिए और भटकना नहीं चाहिए।

Q. क्या फोकस और मेहनत से एक व्यक्ति आपने लक्ष्य तक पहुँच सकता है ?

Ans: फोकस और मेहनत कर एक व्यक्ति आपने लसखए तक ज़रूर पहुँच सकता है क्यूंकि जो लोग अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहते हैं उन्हें इधर उधर कि बातों का कोई असर नहीं होता।

Q. गोल ओरिएंटेड यानी लक्ष्यात्मक होने का अर्थ क्या है ?

Ans: गोल ओरिएंटेड यानी लक्ष्यात्मक होने का अर्थ यह है कि जो लक्ष्य आपने चुना है आप उस लक्ष्य पर केंद्रित रहें और उससे भटके नहीं।

Q. क्या नकारात्मक लोग अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाते ?

Ans: नकारात्मकता एक व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोकती है। नकारात्मक व्यक्ति हमेशा डरता है और नकारात्मक सोच के कारण आगे नहीं बढ़ पाता।

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