दादाजी की प्यारी गुड़िया

जितना प्यार मुझे आपसे था, उतना किसी और से कभी नहीं था,

जितना प्यार मुझे आपसे है, मैं जानती हूँ उतना अब और किसीसे हो नहीं सकता।

मुझे याद है अपना बचपन जब मेरे कहने से पहले ही आप मेरी हर ख्वाइश पूरी कर दिया करते थे,

मम्मी पापा की डाँट से मेरी आँखों में आंसू देख आप उन्हें ही डाँट दिया करते थे।

बचपन में जब चल ना पाती थी तो आप मेरी छोटी सी उँगली पकड़ मुझे चलना सिखाया करते थे,

वृद्धावस्था में जब आप ढंग से चल ना पाते थे तो मेरा हाथ पकड़कर आगे जाया करते थे। 

याद है मुझे आपकी वो साइकिल जिसके आगे एक छोटी सी गद्दी आपकी ‘गुड़िया’, गुड़िया यानी मेरे लिए हुआ करती थी,

जिस पर बिठाकर आप मुझे ना जाने कहाँ कहाँ घुमाया करते थे।

सच बताऊँ तो उस साइकिल पर आपके साथ बैठने में जितना मज़ा आता था ना,

आज वो किसी भी गाड़ी में बैठने पर नहीं आता। 

आपके साथ उस साइकिल पर बैठकर यहाँ वहाँ घूमना मुझे बहुत था भाता। 

दादा और पोती ही नहीं हम बहुत अच्छे दोस्त भी थे,

कुछ अनोखा सा था हम दोनों का वो नाता।

यूँ तो आपके और मेरे बीच करीब 60 सालों का फासला था, 

लेकिन लगा हमेशा ऐसा जैसे हम दोनों का रिश्ता इस फासले से परे और बहुत ही निराला था।

याद है मुझे कैसे आप और मैं  एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर आँगन में शाम को इवनिंग वॉक करते समय गाने गाया करते थे,

आपकी ढोलक की ताल पर दादी और मैं ठुमके लगाया करते थे।

ऐसे मस्त मौला थे आप कि मेरे दोस्त मुझसे कम आपसे मिलने ज़्यादा आया करते थे,

आपके मज़ेदार किस्से सुनकर ज़ोर ज़ोर से ठहाके लगाया करते थे।

मेरी बहुत सी रातें हमारी उन बातों को याद करके है कटती। 

आपके चेहरे कि वो सुन्दर सी मुस्कान मेरी आँखों के आगे से कभी ना है हटती। 

‘ Something is better than nothing’ मुझे आपने हमेशा यही सिखाया,

ज़िन्दगी खुलकर और खुश रहकर जीने का असली मतलब आपने बताया।

आज आप पास नहीं फिर भी हर पल साथ हैं ऐसा लगता है ,

जब भी कमरे में टंगी हुई आपकी तस्वीर देखती हूँ तो दिन पूरा लगता है। 

आप हमेशा कहते थे ‘बहुत पैसा नहीं बहुत लोग कमाए  हैं,’ ये उस दिन पता लगा जिस दिन आप सबके साथ अपनी गुड़िया को भी अलविदा कह गए,

अपनी यादों के साथ आँखों में आंसू देकर एक मीठी सी मुस्कान भी दे गए।

ऐसे ही थे आप, सबसे अलग और सबसे प्यारे,

आपकी मुस्कान थी ऐसी जैसे आसमान में टिमटिमाते हुए तारे।

जैसे आपने इस जीवन को खुलकर जिया वैसे ही मैं भी जिऊंगी, ऐसा करती हूँ आपसे वादा जी,

ये सच है आप जैसा ना कोई कभी था और ना ही कभी कोई हो पाएगा मेरे प्यारे ‘दादाजी’।

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