कोरोना हमें बहुत कुछ सिखा गया | A Poem on Covid-19 in Hindi

कोरोना में लोगों ने बहुत कुछ गवाँ दिया,

 ये कोरोना हमें बहुत कुछ सिखा गया।

जिस जीवन के लिए ईश्वर को कभी धन्यवाद नहीं कहा,

उस जीवन का असली महत्व हमे सिखा गया।

कल तक जहाँ बातें ऐसी थी कि बड़ा घर चाहिए, गाड़ी चाहिए, कौन कहाँ घूमने जाएगा,

वहीं आज बातें कुछ ऐसी हैं, “बस ज़िंदा बच जाएँ, बाक़ी सब तो हो ही जाएगा। “

कल तक जहाँ अपनों से ना मिलने के झूठे बहाने बनाते रहे,

वहीं कोरोना आज एक असली बहाना बनकर हम सबको अपनों की कीमत बता गया।

कल तक जो अपनी थाली में खाना छोड़ दिया करते थे,

कोरोना आज उन्हें एक एक निवाले की कीमत से रूबरू करा गया।

कल तक जिसने रुपयों को पानी की तरह बहाया, आज जब वो अपने घर में राशन ना रख पाया,

तो उसे ये समझ में आया कि इस कोरोना में लोगों ने बहुत कुछ है गवाँ दिया,

ये कोरोना हमे बहुत कुछ है सिखा गया।

कल तक जिन लोगों को अपने परिवार के साथ चार दीवारी में रहकर घुटन महसूस होती थी,

आज हर तरफ जानें जाती देख घर से बाहर एक कदम भी नहीं रखना चाहते। क्यों ?

क्योंकि वो जानते हैं कोरोना में लोगों ने बहुत कुछ गवां दिया और यह कोरोना हमे बहुत कुछ सिखा गया।

सिखा गया कि जीवन व्यापन के लिए रोटी, कपड़ा और सिर पर एक छत ज़रूरी है,

सिखा गया कि ये जो सांसें हम ले रहे हैं, हम इसके हक़दार नहीं बल्कि कर्ज़दार हैं और ये जीवन हमे दिया गया एक उपहार है।

इस उपहार की कीमत उस व्यक्ति से पूछो जिसे सांस लेने में परेशानी हो रही है पर हस्पताल में बेड नहीं है,

इस उपहार की कीमत उस माँ  से पूछो जो इधर से उधर ऑक्सीजन सिलिंडर लेने के लिए दौड़ी पर कुछ कर ना सकी,

इस उपहार की कीमत उस करोड़ों कमाने वाले व्यक्ति से पूछो जो इतना पैसा होने के बावजूद भी अपने भाई की जान ना बचा पाया।

ये जीवन अनमोल है, इसकी क़द्र करो कोरोना ने हमे यही है सिखाया।

कोरोना ये दिखा गया कि ये अमीर या गरीब में भेद नहीं करता,

ये बढ़ता चला जाता है , किसीसे नहीं ये डरता।  

ये भी सत्य है कि समय हमेशा एक सा नहीं है रहता,

इस दुखद समय का अंत भी निश्चित हैं क्योंकि इस दुनिया में कुछ भी हमेशा नहीं है रहता। 

अभी भी देर नहीं हुई है इस जीवन के महत्व को समझो ,

इन चलती हुई साँसों की और अपनों के प्यार की कीमत को समझो।

ख़ुशनसीबी है तुम्हारी हर सुबह का उगता हुआ सूरज देख पाना,

हर रात को चाँद की चांदनी की ठंडक महसूस कर पाना। 

कल तक खुलकर सांस लेने की कीमत हमने ना थी जानी,

आज सब मास्क लगाकर घूम रहे हैं क्योंकि सबको अपनी जान है बचानी।

प्रकृति की ये देन देख पाना हमारा हक़ नहीं हम पर एक उपकार है ,

जिस उपकार के लिए हम ईश्वर और इस प्रकृति के कर्ज़दार हैं।

याद रहे कि बिना सैनिटाइज़र साथ रखे घर से बाहर तुम्हे नहीं है निकलना ,

बिना मुँह पर मास्क लगाए किसी भी व्यक्ति से नहीं है मिलना।

यदि आज भी हम इस अनमोल उपहार यानी जीवन का महत्व ना समझे तो फिर कभी ना समझ पाएंगे,

फिर आने वालो पीढ़ी को हम क्या मुख दिखलायेंगे।

इसीलिए ज़रूरी है डॉक्टरों और सरकार द्वारा बताये गए सभी प्रीकॉशन्स को फॉलो करना,

हम सबको एक होकर इस वायरस से है लड़ना।

हिम्मत बनना है हमे उन लोगों  की जो इस कोरोना की चपेट में हैं आ चुके ,

साथ देना है उन सबका जो इस वायरस के कारण अपनों को हैं गवाँ चुके।

सभी प्रीकॉशन्स फॉलो करेंगे तो इस वायरस से हम लड़ पाएंगे,

आने वाली पीढ़ी को भी एक खुशहाल जीवन दे पाएंगे।

अब भी समय है कोरोना की गंभीरता को ज़रूरी है समझना,

इस कोरोना से हम सबको मिलकर है लड़ना। 

क्योंकि इस कोरोना में लोगों ने बहुत कुछ है गवाँ दिया ,

यह कोरोना हमे बहुत कुछ है सिखा गया। 

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