हॉट डेस्किंग आजकल के ‘work culture’ का एक नया हाइब्रिड वरज़न है। covid-19 के इस दौर में यह अनेक कंपनियों और उनके एम्प्लाइज के बीच काफी पोपुलर हुआ है। किसी भी कंपनी के सीमित डेस्क और रिसोर्सेज को जब अलग-अलग एम्प्लाइज द्वारा अलग अलग दिनों में या रोटेशनल शिफ्ट में इस्तेमाल किया जाए तो इसे ‘हॉट डेस्किंग’ कहते हैं। यह कंपनियों द्वारा अपनाया गया एक अनोखा तरीका है जिससे सभी कंपनियां कम ऑफिस स्पेस और रिसोर्सेज के साथ भी ज्यादा एम्प्लाइज के साथ काम करने में सक्षम हो पा रही हैं। शुरुआत में काम करने का यह तरीका मजबूरी में अपनाया गया था परन्तु अब कम्पनी और उनके एम्प्लाइज के बीच इस अनोखे तरीके को काफी पसंद किया जा रहा है और इस तरीके को ‘हॉट डेस्किंग’ का नाम दे दिया गया है।
आइये ‘हॉट डेस्किंग’ को डिटेल में समझते हैं।
कैसे शुरू हुआ ‘हॉट डेस्किंग’ ‘वर्क फ्रॉम होम’ का इसमें क्या योगदान है?
वर्ष 2019 – 20 में जब कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैलना शुरू हुआ तो सभी देशों ने अपने-अपने देश वासियों को इस वायरस से बचाने के लिए लॉकडाउन लगा दिया। बहुत सारी कंपनिया अपने एम्प्लाइज को ‘वर्क फ्रॉम होम’ या रिमोटली काम करवाने के लिए मजबूर हो गई और इस कारण कंपनियों और एम्प्लाइज के बीच काम करने का तरीका बिलकुल ही बदल गया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ थ। खास बात ये है कि मजबूरी में अपनाया गया यह काम करने का तरीका अब 2021 में ज्यादातर एम्प्लाइज और कंपनियों को सुहाने लगा है।
नोट – हॉट डेस्किंग में यह पूरी तरह कंपनी पर निर्भर करता है कि वे अपने कर्मचारियों को रोटेशनल शिफ्ट में आल्टरनेट दिनों में बुलाना चाहते हैं या महीने में एक बार या फिर 6 महीने में।
हॉट डेस्किंग के फायदे
मजबूरी में अपनाये गए इस हॉट डेस्किंग के फायदे अब कंपनियों एवम कर्मचारियों को भी लुभाने लगे हैं। आइये जानते है कैसे काम करने का यह नया तरीका कम्पनी और उनको कर्मचारियों को लुभा रहा है।
हॉट डेस्किंग से कंपनियों को क्या फायदा है?
हॉट डेस्किंग विभिन्न कंपनियों के लिए अब बेहद फ़ायदेमंद साबित हो रहा है।आईये जानते है क्या हैं इसके विभिन्न फ़ायदे।
कंपनियों का खर्चा कम होना
पुराने तरीके से काम करने पर कंपनियों को अपने कर्मचारियों के सुचारू रूप से काम करने के लिए विभिन्न प्रकार का खर्च उठाना पड़ता था। जैसे हर एक कर्मचारी के लिए एक अलग डेस्क। परन्तु अब हॉट डेस्किंग तकनीक अपनाने के बाद कंपनियों का यह खर्च बहुत ही कम हो गया है जो कि किसी भी कंपनी के लिए फ़ायदेमंद है। काम अभी भी कर्मचारी उतना ही कर रहे हैं जितना पहले करते थे पर अब ये जो खर्चा बच रहा है, कंपनी इससे खुद को बेहतर बना सकती है।
कहाँ होते हैं कंपनियों के विभिन्न खर्चे?
बिजली पानी का खर्चा
एम्प्लाइज अब जब घर से काम कर रहे हैं तो कंपनियों का बिजली पानी का खर्चा भी बच रहा है।
फर्नीचर पर खर्च
काम करने के इस नायाब तरीके के बाद अब कंपनियों को फर्नीचर पर भी खर्च करने की ज़रूरत महसूस नहीं हो रही है क्योंकि सीमित फर्नीचर को कंपनी के कुछ ही कर्मचारी अलग-अलग दिनों पर इस्तेमाल करते हैं।
ऑफिस स्पेस पर खर्च
ऑफिस स्पेस खरीदना या फिर किराये पर लेना किसी भी कंपनी के लिए बहुत बड़ा खर्चा है। कंपनी कितनी बड़ी है या उसकी वैल्यू क्या है इस बात का अंदाज़ा पहले लोग बाहरी रूप से उसका ऑफिस स्पेस देख कर ही लगा लेते थे लेकिन हॉट डेस्किंग अपनाने के बाद अब कंपनियों को ज़्यादा ऑफिस स्पेस लेने की ज़रूरत नहीं है। ज़ाहिर सी बात है इससे बड़ा खर्चा एक कंपनी का और क्या ही हो सकता है।
अनेक उपकरणों का खर्च
अब कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए ज़्यादा उपकरण खरीदने की भी ज़रूरत नहीं रही क्योंकि ज्यादातर कर्मचारी अपने-अपने घरों से अपने ही उपकरणों के माध्यम से काम करते हैं और अगर वे अपने ऑफिस भी जाते हैं तो वहाँ भी कंपनी को हॉट डेस्किंग के कारण सीमित उपकरण ही खरीदने पड़ते हैं।
ट्रांसपोर्टेशन का खर्च
पहले कर्मचारियों की अच्छी सुविधा के लिए कंई कंपनियां उनके ऑफिस आने जाने के लिए उन्हें अच्छी ट्रांसपोर्ट सर्विस मुहैया करवाती थी लेकिन अब ये खर्च भी बहुत हद तक बच रहा है।
कर्मचारियों का हॉट डेस्किंग अपनाने से क्या फ़ायदा है ?
ज्यादातर कर्मचारी हॉट डेस्किंग को हाथों हाथ अपना रहे है क्योंकि अगर उनके दृष्टिकोण से देखें तो उन्हें भी इसके अनेक फ़ायदे हैं जैसे:
वर्क फ्रॉम होम
हॉट डेस्किंग अपनाने के कारण अब लोगों को हर दिन ऑफिस जाकर काम नहीं करना पड़ता बल्कि अब वे अपने घर के आरामदायक माहौल में काम कर पा रहे हैं। अपने घरवालों के साथ समय बिता पा रहे हैं। इसी कारण अब वे ऑफिस के स्ट्रेस में भी नहीं रहते और टेंशन फ्री होकर काम कर पाते हैं। ऑफिस रहते हुए जो घर कि फ़िक्र सताती थी अब वह भी नहीं है। वर्क फ्रॉम होम कुछ कर्मचारियों के लिए तो किसी वरदान से कम नहीं साबित हो रहा है। ये अलग बात है की वर्क फ्रॉम होम की भी अपनी खामियां हैं, उनकी भी हम बाद में चर्चा करेंगे।
रिमोट वर्क
इंटरनेट के माध्यम से जुड़कर अब जरुरी नहीं कर्मचारी सिर्फ घर से ही बैठ कर काम करें बल्कि वे कहीं से भी काम कर सकते हैं। जैसे अपने दोस्तों के घर से, अपने रिश्तेदरों के घर से। कहीं बाहर घूमने गए हैं तो होटल से। रिमोट वर्क ने तो सच में कर्मचारियों की ज़िन्दगी बहुत आसान बना दी है और इसी कारण अब कर्मचारी स्ट्रेस फ्री भी महसूस कर रहे हैं। पहले कर्मचारी ऑफिस में एक ही जगह बैठ कर काम करते करते परेशान हो जाते थे लेकिन रिमोट वर्क तो कर्मचारियों के लिए सच में एक वरदान है।
ऑफिस आने जाने का खर्च
पेट्रोल और डीज़ल के बढ़ते दाम तो रोज़ ही चर्चा में रहते हैं। कोई न कोई कह ही रहा होता है कि महीने में हज़ारो रुपये तो पेट्रोल में ही लग जाते हैं। हॉट डेस्किंग के कारण अब कर्मचारियों को बहुत ही कम ऑफिस जाने की जरुरत पड़ती है और इसी वजह से अब उनका ऑफिस आने जाने का खर्चा या किराया भी बच जाता है। वे अब अपनी सैलरी में से ज़्यादा बचत कर पाते हैं।
समय की बचत
शहर बड़े हों या छोटे, आजकल शहरों में आबादी बढ़ने के कारण ट्रैफिक भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ रहा है। इसी कारण ऑफिस आने जाने में पहले कर्मचारियों का मूल्यवान समय बहुत नष्ट होता था। दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में तो छोटा सा डिस्टेंस कवर करने के लिए भी बहुत अधिक समय लग जाता था लेकिन अब उसकी भी बहुत बचत हो रही है।
अच्छी मेंटल हेल्थ
वर्क फ्रॉम होम ओर रिमोट वर्क जैसे काम करने के तरीके, कर्मचारियों की अच्छी मेंटल हेल्थ का कारण बन रहे हैं क्योंकि पहले कर्मचारी ऑफिस जा कर पूरा दिन एक जगह बैठ कर किसी बंधक की तरह काम करता था। इसी मेंटल स्ट्रेस के कारण वह शाम तक घर लौटते-लौटते बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस करता था। कई लोग तो इसी रूटीन के कारण डिप्रेशन जैसी गंभीर बीमारी का भी शिकार हो गए लेकिनअब वे काफी फ्रेश और अच्छा महसूस करते हैं।
परिवार के साथ ज़्यादा समय मिल पाता है
आजकल ऑफिस में इतना काम हो जाता है, ऊपर से ऑफिस जाने और आने में इतना समय लग जाता है कि एक व्यक्ति का पूरा दिन इसी में चला जाता है और वह अपने परिवार के साथ चाहकर भी समय नहीं बिता पाता। अब कर्मचारी घर से काम करने के कारण अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिता पा रहे हैं जिससे परिवार को समय ना देने की बढ़ती एक गंभीर समस्या का भी हल निकल आया है।
फ्लेक्सिबल टाइमिंग
ना ऑफिस जाने की चिंता ना आने की, अब कर्मचारी अपनी जीवन शैली के हिसाब से चुनी हुई टाइमिंग के अनुसार फ्लेक्सिब्ली काम कर पा रहे है।
माइग्रेट नहीं करना पड़ता
ज्यादातर लोगों का सपना होता है कि वे पढ़े लिखें और फिर अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में जाकर नौकरी करें और ये सारी बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां ज्यादातर बड़े शहरों में ही हैं जिसके कारण कर्मचारियों को अपना सपना पूरा करने के लिए अपने शहर या गाँव से बहुत दूर जाकर किसी दूसरे बड़े शहर में बसना पड़ता है लेकिन अब घर से ही काम करने के कारण यह दिक्कत भी ख़त्म हो गई है।
जिस तरह हर सिक्के के दो पहलु होते हैं उसी तरह हॉट डेस्कइंग के फ़ायदे तो बहुत हैं लेकिन कुछ नुक्सान भी हैं। आईये जानते हैं हॉट डेस्किंग से कंपनियों और उनके कर्मचारियों को क्या क्या नुक्सान है।
जहाँ एक ओर कंपनियों को हॉट डेस्किंग से फायदा हो रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ इसके नुक्सान भी अपनी जगह है।
फिजिकल या लाइव ट्रेनिंग की कमी
रीसर्च द्वारा यह साबित हुआ है कि एक कर्मचारी के काम की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि उसे उसकी कंपनी द्वारा कितनी अच्छी ट्रेनिंग दी गयी है। कोई भी कंपनी जितनी अपने कर्मचारियों को जितनी अच्छी ट्रेनिंग देगी उतना ही बेहतर उसके कर्मचारी उसके लिए काम कर पाएंगे लेकिन अब हॉट डेस्किंग के कारण कंपनियां ऑनलाइन ही अपने सभी कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रहीं हैं जिसका फिजिकल लाइव ट्रेनिंग के साथ कभी कोई मुकाबला नहीं किया जा सकता। इसी वजह से उनके कर्मचारियों की उत्पादकता कम हो रही है और कंपनियों को इसका नुक्सान उठाना पड़ रहा है।
कर्मचारियों के काम करने के लिए संसाधनों की कमी
हॉट डेस्किंग अपनाकर अधिकतम कर्मचारी घर से ही काम कर रहे हैं और ज्यादातर कर्मचारियों के पास काम करने के लिए सारे संसाधन मौजूद नहीं हैं जिस कारण वे प्रोडक्टीवली काम नहीं कर पा रहे हैं और कंपनी को इसका बड़ा नुक्सान उठाना पड़ रहा है।
कर्मचारियों का हॉट डेस्किंग से क्या नुक्सान है ?
कर्मचारियों को हॉट डेस्किंग से अधिकतम फ़ायदे ही हैं परन्तु जहाँ फ़ायदे होते हैं वहां कुछ नुक्सान भी जरूर होते हैं।
सही वर्क एनवायरनमेंट ना मिलना
आजकल का काम इस तरीके का हो गया है कि एक व्यक्ति को अपना पूरा ध्यान और दिमाग सिर्फ अपने काम पर लगाना पड़ता है और किसी भी तरह कि डिस्टर्बेंस उसके काम कि क्वॉलिटी को खराब कर सकती है। घर से काम करने के कारण कर्मचारियों को घर में सही वर्किंग एनवायरनमेंट नहीं मिल पा रहा है इसी वजह से वे प्रोडक्टिवली काम नहीं कर पा रहें है। जहाँ एक ओर कर्मचारी एक दूसरे की काम में मदद करते थे, उनसे सीखते थे, वहीँ घर में काम करने से अब वे ना तो एक दूसरे की मदद कर पा रहे हैं और ना ही कुछ ज्यादा सीख पा रहे हैं। थोड़ा असहाय सा भी महसूस कर रहे हैं।
एक्सपोज़र ना मिलना
कुछ कर्मचारियों का ऐसा मानना है कि जब वे ऑफिस में जाकर काम करते थे तो उन्हें वहाँ अच्छा वर्किंग एनवायरनमेंट मिलता था जिसके कारण उन्हें ज्यादा एक्सपोज़र और सीखने को मिलता था परन्तु अब घर से काम करने के कारण वह संभव नहीं हो पा रहा है।
पर्सनैलिटी डेवलपमेंट ना होना
ज़्यादातर कम्पनियाँ पहले अपने कर्मचारियों की अच्छी पर्सनालिटी डेवलप करने के लिए उन्हें खूब ट्रेनिंग दिया करती थी परन्तु अब वर्क फ्रॉम होम के कारण वह भी संभव नहीं है।
कर्मचारियों का इंट्रोवर्ट नेचर विकसित होना
सही एक्सपोज़र, पर्सनालिटी डेवलपमेंट और सही वर्क एनवायरनमेंट ना मिलने के कारण अधिकतर कर्मचारी इंट्रोवर्ट बनते जा रहे हैं जो आगे के समय में मुश्किल पैदा कर सकता है।
हॉट डेस्किंग से दुनिया पर क्या असर पड़ रहा है ?
हॉट डेस्किंग से दुनिया पर अच्छे और बुरे दोनों तरह के प्रभाव पड़ रहे हैं। एक ओर तो इसका बहुत अच्छा प्रभाव देखने को मिल रहा है वहीँ दूसरी ओर इसके बुरे और गंभीर प्रभाव हैं। आइये डीटेल में जानते हैं हॉट डेस्किंग के दुनिया पर क्या अच्छे और बुरे प्रभाव हैं।
हॉट डेस्किंग से दुनिया पर अच्छे प्रभाव
पर्यावरण पर अच्छा असर
कार्य करने के इस नए और अनोखे तरीके का पर्यावरण पर अच्छा प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि इसमें पर्यावरण से मिलने वाले रिसोर्सेज सीमित तौर पर इस्तेमाल में आयेंगे जैसे, फर्नीचर जो आम तौर पर लकड़ियों का बना होता, कम इस्तेमाल होगा, पेड़ कम काटने पड़ेंगे, बिजली-पानी जैसे रिसोर्सेज का भी कम इस्तेमाल होगा, पेपर का कम इस्तेमाल होगा, कर्मचारी ऑफिस कम आयेंगे तो उनके ट्रांसपोर्टेशन में प्रयोग होने वाला इंधन भी कम लगेगा और जब ये सब होगा तो पर्यावरण पर इसका अच्छा प्रभाव पड़ना तय है।
बड़े शहरों पर कम बोझ पड़ेगा
आम तौर पर यह देखा गया है कि ज्यादातर मल्टीनेशनल कम्पनियाँ या कोई भी बड़ी-बड़ी कंपनियां, बड़े शहरों में ही ऑपरेट होती हैं और इन कंपनियों में काम करने के लिए लोग दूर दराज़ गाँव से या छोटे बड़े शहरों से भी आते हैं। उन्हें मजबूरी में इन बड़े शहरों में ही अपना ठिकाना बनाना पड़ता है जिसके कारण इन बड़े-बड़े शहरों में बहुत अधिक बोझ पड़ जाता है जैसे अधिक ट्रैफिक होना, अधिक भीड़ होना आदि लेकिनअब हॉट डेस्किंग अपनाने के बाद इन बड़े शहरों को राहत मिलेगी।
छोटे शहर और गाँव पहले से ज़्यादा विकसित और समृद्ध होंगे
जब लोग अपने-अपने शहरों से और गांवों से ही काम करेंगे तो अपनी आमदनी को भी वहीँ खर्च करेंगे। इस कारण उनके अपने शहर और गाँव ज़्यादा विकसित और समृद्ध हो पाएंगे।
हॉट डेस्किंग से दुनिया पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव
रियल एस्टेट में गिरावट
हॉट डेस्किंग को अपनाने के बाद रियल एस्टेट सेक्टर पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ना लगभग तय है और अब तो यह प्रभाव दिखने भी लगा है। हॉट डेस्किंग तकनीक अपनाने से कंपनियों को ज़्यादा ऑफिस स्पेस खरीदने की या किराये पर लेने की जरुरत नहीं पड़ेगी इसी कारण रियल एस्टेट सेक्टर में प्रॉपर्टी के दाम भी गिर गए हैं जिसका सीधा असर सभी देशों की इकॉनमी पर दिखाई भी देने लगा है।
बड़ी कंपनियों में कुछ जॉब लगभग ख़त्म हो जायेंगी
पहले बड़ी बड़ी कंपनियों में नौकरियाँ हुआ करती थी जैसे सिक्योरिटी, ड्राईवर, कैंटीन में काम आदि परन्तु अब ये सारी जॉब्स इन कंपनियों में या तो कम हो जायेंगी या तो बिलकुल खत्म ही हो जायेंगी।
कौनसी कम्पनियाँ हॉट डेस्किंग अपना सकती हैं
हॉट डेस्किंग वो कम्पनियाँ ही अपना सकती हैं जिनके कर्मचारियों को कंपनी में कोई फिज़िकल काम नहीं करना होता है यानि जो कंपनिया इंटरनेट के माध्यम से अपना काम करती हैं वो हॉट डेस्किंग के इस हाइब्रिड वर्किंग मॉडल को आसानी से अपना सकती हैं, प्रमुख रूप से आई टी कंपनियां। इन कंपनियों का सारा काम इंटरनेट के माध्यम से हो जाता है इसलिए इस तरह की कम्पनियाँ हॉट डेस्किंग मॉडल को आसानी से अपना सकती हैं।
कौनसी कम्पनियाँ हॉट डेस्किंग नहीं अपना सकती हैं ?
मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियाँ हॉट डेस्किंग मॉडल को बिलकुल भी नहीं अपना सकती क्यूंकि इन कंपनियों में सारा काम मैन्युअल ओर फिजिकल होता है और इस काम को करने में बड़े-बड़े उपकरणों की भी जरुरत होती है जो सिर्फ कंपनी या फैक्ट्री में ही मौजूद होते हैं।
टेबल के रूप में जानिए हॉट डेस्किंग और वर्क फ्रॉम होम से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें
1 | हॉट डेस्किंग के कारण सन 2023 तक 40% घट सकती ऑफिस स्पेस की मांग। |
2 | एक्सचेनजर की रिपोर्ट में 83% कर्मचारियों ने हाइब्रिड वर्क मॉडल को सपोर्ट किया। |
3 | इस नए वर्किंग कल्चर से रियल एस्टेट सेक्टर को भारी नुक्सान उठाना पड़ेगा। |
4 | पर्यावरण पर इसके अच्छे प्रभाव पड़ेंगे। |
5 | इस हाइब्रिड वर्किंग मॉडल को अपनाने वाली कंपनियों को काफी मुनाफा होगा। |
6 | बहुत सी कम्पनियाँ इस वर्किंग मॉडल को अपनाने का ऐलान अभी से कर चुकी हैं। |
7 | इस मॉडल को अपनाने से कर्मचारियों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा। |
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FAQs
Q. हॉट डेस्किंग क्या है?
Ans: हॉट डेस्किंग विभिन्न कंपनियों द्वारा काम करने का एक हाइब्रिड मॉडल है जिसमे कंपनी के सीमित संसाधनों को कंपनी के कर्मचारियों द्वारा रोटेशनल शिफ्ट में अलग-अलग दिनों में इस्तेमाल किया जाता है।
Q. हॉट डेस्किंग से क्या फायदा हैं ?
Ans: हॉट डेस्किंग से बड़ी कंपनियां कम संसाधनों का इस्तेमाल करके भी ज्यादा कर्मचारियों के साथ काम कर सकती हैं।
Q. हॉट डेस्किंग से कंपनियों को ज्यादा फायदा है या कर्मचारियों को?
Ans: हॉट डेस्किंग से दोनों कंपनी एवम् कर्मचारियों को अपनी-अपनी जगह पर फ़ायदे और नुक्सान हैं।
Q. क्या हॉट डेस्किंग से कोई नुकसान है?
Ans: हॉट डेस्किंग के फ़ायदों के साथ साथ बहुत सारे नुक्सान भी है, जैसे रियल एस्टेट सेक्टर को नुक्सान उनमे से एक है।
Q. ज्यादातर कौनसी कम्पनियाँ हॉट डेस्किंग अपना रहीं हैं?
Ans: ज्यादातर आई टी कम्पनियाँ हॉट डेस्किंग को अपना रहीं हैं।
Q. हॉट डेस्किंग कब प्रचलन में आया?
Ans: हॉट डेस्किंग 2019 में पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैलने के बाद ज्यादा प्रचालन में आया।
Q. वर्क फ्रॉम होम और हॉट डेस्किंग में क्या फर्क है?
Ans: वर्क फ्रॉम होम के कारण ही हॉट डेस्किंग हाइब्रिड वर्किंग मॉडल का काम करना संभव हो पा रहा है।