मलाला डे 2022 | मलाला युसुफ़ज़ई कौन है | Malala Day 2021 in Hindi

मलाला युसुफ़ज़ई जिन्हे मलाला बुलाया जाता है, महिलाओं की पढाई के लिए आवाज़ उठाने वाली एक पाकिस्तानी कार्यकर्ता और सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली युवती हैं। इन्हे मानव अधिकारों के लिए कार्य करने, खास तौर पर खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान में स्थित अपने पैतृक स्थान स्वात वैली की महिलाओं और बच्चों की पढाई के लिए आवाज़ उठाने के लिए जाना जाता है।  

स्वात वैली वो जगह है जहां पर स्थानीय तहरीक-ए-तालिबान, ने कई बार लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी लगाई है। महिलाओं और लड़कियों के पढाई पर हक़ के लिए इन्होने जो लड़ाई लड़ी है उसके लिए इन्हे दुनिया भर में जाना और सराहा जाता है।  वर्ष 2012, अक्तूबर के महीने में जब मलाला मात्र 14 वर्ष की थी, उन पर आतंकवादियों द्वारा हमला किया गया था जिसमे उन्हें बहुत गंभीर चोट आई और वे बुरी तरह घायल हो गयी।  इस कारण वह अन्तर्राष्ट्रीय  मीडिया की सुर्खियों में आईं।

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मलाला डे यानी मलाला दिवस क्यों मनाया जाता है ? (Why Malala Day is Celebrated)

तालिबानियों द्वारा किये गए भयानक हमले के नौ महीने बाद, वर्ष 2013  में अपने सोलहवें जन्मदिन पर मलाला ने संयुक्त राष्ट्र में एक भाषण दिया। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों पर ज़ोर दिया और इसके लिए विश्व के सभी देशों से यह आग्रह किया वे इन विषयों पर अपनी नीतियों को बदलें। 

मलाला पर हुए हमले के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने सोचा था कि वो उनके इरादों को बदल देंगे और उनकी महत्वकांक्षाओं को खत्म कर देंगे लेकिन उनके जीवन में कुछ भी नहीं बदला सिवाय इन बातों के : कमज़ोरी, डर और निराशा खत्म हो गए , हिम्मत, शक्ति और साहस ने जन्म लिया।

मलाला द्वारा अपने जन्मदिन पर दिए गए इस भाषण के बाद संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने 12  जुलाई (मलाल का जन्मदिन) को मलाला डे यानी मलाला दिवस घोषित किया। यह दिवस मलाला द्वारा किये गए कार्यों के सम्मान में मनाया जाता है।

मलाला की बाल्यावस्था (Malala’s Childhood)

मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 में खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान के स्वात जिले में मिंगोरा में एक निम्न माध्यम वर्गीय परिवार में हुआ।  इनके पिता का नाम ज़िआउद्दीन युसुफ़ज़ई और माँ तोर पेकाई युसुफ़ज़ई  हैं। इनका नाम मलाला दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान की प्रख्यात कवियित्री और योद्धा मलालाई के नाम पर रखा गया।  इनके दो छोटे भाई खुशाल युसुफ़ज़ई और अटल युसुफ़ज़ई हैं। 

मलाला पश्तो, उर्दू और अंग्रेजी भाषा में निपुण हैं और इन्हे ज़्यादातर इनके पिता ने पढ़ाया जो एक कवि और शैक्षिक कार्यकर्ता हैं।  पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्नाह और 2  बार पाकिस्तान की प्रधान मंत्री रह चुकी बेनज़ीर भुट्टो जी से प्रेरित होकर, मलाला का शैक्षिक अधिकारों के बारे में बात करना सितम्बर 2008  में शुरू हुआ जब उनके पिता उन्हें पेशावर के एक स्थानीय प्रेस क्लब में लेकर गए।

2009 में मलाला ने Institute for War and Peace Reporting’s Open Minds Pakistan youth program  (इंस्टिट्यूट फॉर वॉर एंड पीस रिपोर्टिंग ओपन माइंड्स पाकिस्तान यूथ प्रोग्राम ) में पहले एक शिक्षार्थी के तौर पर और फिर एक सहकर्मी शिक्षक की तरह कार्य किया। 

तालिबान ने स्वात वैली पर 2007 में कब्ज़ा किया।  स्वात का मुख्य शहर मिंगोरा जहां मलाला अपने परिवार के साथ रहती थी, वहां तालिबान ने मार्च 2009  से लेकर मई 2009  तक कब्ज़ा किया हुआ था।  इस कठिन और दुर्भाग्यपूर्ण समय में मात्र 11 साल की उम्र में ही मलाला ने एक डायरी लिखनी शुरू की। 

वर्ष 2009  में बीबीसी उर्दू के लिए अज्ञात रूप से डायरी  लिख मलाला पहली बार दुनिया की नज़र में आई थी। इस डायरी में मलाला ने स्वात में तालिबान द्वारा किये जाने वाले अत्याचारों के बारे में लिखा। मलाला ने जब इन सब अत्याचारों के बारे में ब्लॉग और मीडिया के माध्यम से लिखा और बताया तो उन्हें धमकियाँ मिलने लगी।

मलाला को स्कूल जाना बहुत पसंद था लेकिन जब तालिबान ने स्वात पर कब्ज़ा किया तब सब कुछ बदल गया। तालिबान द्वारा स्वात में लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबन्दी लगा दी गयी थी।  उनके टीवी पर कार्यक्रम देखने पर पाबन्दी लगा दी गयी थी और इसी तरह और भी कई तरह की पाबंदिया लगाई गयी थी।

फरवरी 2009 में मलाला पहली बार टीवी पर आईं और एक पाकिस्तानी पत्रकार  द्वारा उनका इंटरव्यू लिया गया। फरवरी महीने के अंत में पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान के खिलाफ बढ़ते हुए विरोध के चलते द्वारा लड़कियों पर लगाई हुई पाबन्दी हटा दी गयी  और उन्हें इस शर्त पर स्कूल जाने के लिए अनुमति दी कि वे बुरखा पहनकर ही स्कूल जाएंगी। हालाँकि इसके कुछ महीने बाद ही स्थिति बहुत ख़राब हो गयी और मलाला कि परिवार को स्वात छोड़कर जाना पड़ा। 

वर्ष 2009 में न्‍यूयार्क टाइम्‍स ने मलाला पर एक फिल्‍म भी बनाई थी।  इसी के साथ वह इंटरनेशनल चिल्‍ड्रन पीस अवार्ड (2011) के लिए भी नामित हुई और 2013  में उन्हें ये पुरस्कार मिला। 

2012 में मलाला पर किया गया हमला (Attack On Malala)

9 October 2012 को जब मलाला अपनी २ और दोस्तों के साथ अपनी परीक्षा खत्म कर बस से घर लौट रही थी, तो एक नकाबपोश बंदूकधारी ने उस बस में चढ़कर पुछा कि मलाला कौन है।  मलाला की दोस्तों ने जब मलाला की और देखा तो वो समझ गया और उसने मलाला पर गोली चला दी जो मलाला के सिर के बाहिने तरफ  जाकर लगी और वह बुरी तरह ज़ख़्मी हो गयीं।  उनके साथ 2  और लडकियां भी इस हादसे में घायल हुई।

मलाला  के सिर पर गोली लगने से उनकी स्थिति बहुत गंभीर हो गयी थी और उन्हें रावलपिंडी इंस्टिट्यूट ऑफ़ कार्डियोलॉजी में भर्ती किया गया जहाँ उनका इलाज चला और उसके बाद उन्हें बरमिंघम के क़्वीन एलिज़ाबेथ  हॉस्पिटल ले जाया गया। 

इस दर्दनाक घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मलाला का समर्थन किया गया।  इस हमले के कुछ हफ़्तों बाद पाकिस्तान के 50 प्रमुख मुफ्तियों द्वारा उन व्यक्तियों के खिलाफ फतवा जारी किया गया जिन्होंने मलाला की हत्या करने की कोशिश की थी।

तहरीक-ए-तालिबान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों द्वारा निंदा की गयी और  विरोध किया गया। गॉर्डोन ब्राउन जो संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक शिक्षा के विशेष प्रतिनिधि हैं , उन्होंने इस हमले के बाद एक याचिका शुरू की जिसमे ये कहा गया कि विश्वभर के बच्चे 2015  तक स्कूल में होने चाहिए।   इस याचिका के बाद पाकिस्तान में शिक्षा का अधिकार विधेयक  की पुष्टी की गयी।   दिसंबर 2012  में पाकिस्तान ने मलाला  के सम्म्मान में 10  मिलियन डॉलर का शैक्षिक फण्ड घोषित किया।

मलाला का ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला (Malala Studying in Oxford University)

हस्पताल में इलाज होने के बाद वर्ष 2014 में मलाला ने अपने पिता के साथ यूनाइटेड कनीगंगड़ों में मलाला फण्ड की शुरुआत की। डेमबेर 2014  में मलाला को उनके काम की सराहना कर उन्हें नोबेल शान्ति पुरस्कार दिया गया।  वर्ष 2018  में मलाला ने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र, पॉलिटिक्स और अर्थशात्र की पढाई की। वर्ष 2020 में उनकी शिक्षा पूर्ण हुई। 

मलाला फण्ड क्या है ? (What is Malala Fund)

मलाला और उनके पिता द्वारा शुरू किया गया मलाला फण्ड  हर लड़की की 12  वर्ष तक मुफ्त, सुरक्षित और अच्छी शिक्षा कि लिए कार्य करता है।  इस फण्ड की सभी सदस्यों का प्रयास है कि विश्व की हर लड़की स्कूल जा सके। 

मलाला फण्ड उन सभी व्यक्तियओं और कार्यकर्ताओं की मदद करता है जो लड़कियों को अपने समुदायों के विद्यालयों में जाने से रोकने वाली   नीतियों और प्रथाओं का विरोध कर रहे हैं। यह फण्ड ऐसे कई देशों में काम कर रहा जहाँ कई  लड़कियाँ माध्यमिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाती जैसे ब्राज़ील, तुर्की, भारत , पकिस्तान, नाइजीरिया आदि। 

वर्ष 2015 में मलाला ने मलाला फण्ड की सहायता से लेबनान में सीरियन सिविल वॉर की शरणार्थियों के लिए एक लड़कियों का स्कूल खोला।

मलाला को किन पुरस्कारों से सम्मनित किया गया ? (Prizes Malala is Awarded With)

मलाला को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।  उनको दिए गए कुछ पुरस्कारों और उपलब्धियों की  सूची नीचे दी गयी है

1.2011 में मलाला को Pakistan’s first Youth National Peace Prize यानी पाकिस्तान का पहला राष्ट्रीय शान्ति पुरस्कार मिला।
2.2011 में मलाला ने एक किताब प्रकाशित की जिसका नाम है, I Am Malala: The Girl Who Stood Up for Education and Was Shot by the Taliban यानी मैं हूँ मलाला : वो लड़की जो शिक्षा के लिए खड़ी हुई और जिस पर तालिबान द्वारा हमला किया गया।
3.2012 में उन्हें मदर टेरेसा पुरस्कार से नवाज़ा गया।
4.2013 में मलाल को Sakharaov Prize यानी साखारोव पुरस्कार मिला।
5.2014 में मलाला नोबेल शान्ति पुरस्कार पाने वाली सबसे काम उम्र की विजेता हैं।
6.2014 में मलाला को 100 Most Influential People यानी सौ सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक घोषित किया।
7.2017 में मलाला ने Malala’s Magic Pencil यानी मलाला की जादुई कलम नामक एक किताब लिखी मलाला Liberty Medal जीतने वाली सबसे कम उम्र की विजेता है।
8.मलाला Liberty Medal जीतने वाली सबसे कम उम्र की विजेता है।

मलाला यूसुफ़ज़ई  से हमे क्या प्रेरणा मिलती है ? (Inspiration From Malala Yousafzai)

मलाला यूसुफ़ज़ई परिश्रम, दृढ़-निश्चय और निडरता की एक मज़बूत मिसाल हैं।  जिस उम्र में बच्चे पढाई करते हैं , खेलते कूदते हैं, किसी भी परेशानी से वंचित होते हैं, उस उम्र में मलाला ने उस अधिकार के लिए बिना डरे लड़ाई की जो सबको मिलना चाहिए – शिक्षा का अधिकार।  कठिन परिस्थितयों में रहने के बावजूद भी मलाला ने हिम्मत नहीं छोड़ी। 

हम छोटी सी परेशानियों के चलते इतने परेशान हो जाते हैं लेकिन  मलाला उनके साथ हुए दर्दनाक हादसे के बाद भी डटी रहीं।  उस भयावह हादसे ने उनके भीतर डर पैदा करने की जगह उन्हें और भी ज़्यादा साहसी और निडर बना दिया।

हम सभी को मलाला से यह सीख मिलती है कि चाहे परिस्थति कैसी भी क्यों ना हो, अत्याचार के खिलाफ हमेशा आवाज़ उठानी चाहिए क्योंकि जो आवाज़ नहीं उठाता वो जीवन भर अत्याचार सहता है और उसे बढ़ावा देता है। 

आज मलाला के कभी ना थकने वाले जज़्बे और हिम्मत की वजह से ना जाने कितने बच्चो को पढ़ने का मौका मिल रहा है।मलाला का दृढ़ निश्चय उन्हें उनका उद्देश्य पाने में निसंदेह सफल करेगा क्योंकि जिनके इरादे नेक होते हैं और जो कुछ अच्छा करने की हिम्मत रखते हैं, उनके रास्ते में लाखों कठिनाइयां ही क्यों ना आ जाएं, वे डटकर उनका सामना करते हैं और एक उभरते हुए सूरज की तरह उन कठिनायों को पार करते हुए हर जगह रौशनी फैलाते हैं जैसे मलाला ने बहुत से लोगों के जीवन में फैलाई है।

जब उनसे पूछा गया कि वह 12-13 साल के बच्चों को  क्या सलाह देंगी तो उन्होंने कहा कि इस उम्र में ये समझना ज़रूरी है कि ये मत सोचिये कि आप छोटे हैं और इस उम्र में कुछ नहीं कर सकते। आपकी उम्र आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। आगे आइये और जो करना चाहते हैं वो करें , बड़े होने का इंतज़ार ना करें क्योंकि बहुत देर हो जाएगी।

बहुत सुन्दर बात कही मलाला ने कि सही दिशा में बढ़ने की और कुछ अच्छा करने की कोई उम्र नहीं होती।  यदि मलाला  कम उम्र में इस विश्व में इतना बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं और दूसरों के अधिकारों के लिए लड़ सकती हैं तो आप सब भी ऐसा कर सकते हैं।  सलाम हैं मलाला की निडरता और साहस को।

मलाला द्वारा कही गई कुछ खास बातें ( Quotes By Malala Yousafzai )

1.जब पूरी दुनिया खामोश हो तब एक आवाज़ भी ताकतवर बन जाती है।
2.एक किताब, एक कलम, एक बच्चा और एक शिक्षक दुनिया बदल सकते हैं।
3.आप कहीं भी चलाए जायें, स्वर्ग में भी, आप अपने घर को हमेशा याद करेंगे।
4.एक राजनेता लोगों को घायल होने से रोक सकता है।
5.मैं बस एक चीज़ चाहती हूँ और वो है शिक्षा और मैं किसीसे नहीं डरती।
6.बंदूकों से आप आतंकवादियों को मार सकते हैं, शिक्षा से आप आतंकवाद को मारते हैं।
7.शिक्षा पर हर एक मानव का अधिकार होता है।
8.परेशानियां बहुत सारी हैं पर मुझे लगता है उनका समाधान है और वो एक ही है – शिक्षा।
9.अगर आप खड़े होकर बोलेंगे नहीं तो आतंकवाद ओर फैलेगा।
10.अपनी बेटियों का सम्मान करें , वे सम्माननीय हैं।
11.चलिए अब अपना भविष्य बनाएं चलिए अब अपने सपनो को कल की हकीकत बनें।
12.मैं अपना चेहरा नहीं ढकती क्योंकि में अपनी पहचान दिखाना कहती हूँ।

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FAQ,s

Q. मलाला का पूरा नाम क्या है?

Ans: मलाला का पूरा नाम मलाला युसुफ़ज़ई है।

Q. मलाला का जन्म कहाँ हुआ था?

Ans: मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 में खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान के स्वात जिले में मिंगोरा में एक निम्न माध्यम वर्गीय परिवार में हुआ।

Q. मलाला की माँ का नाम क्या है?

Ans: मलाला की माँ का नाम (Toor Pekai Yousafzai) तूर पकाई युसुफ़ज़ई है।

Q. मलाला के पिता का नाम क्या है?

Ans: मलाला के पिता जियाउद्दीन यूसुफजई (Ziauddin Yousafzai) है।

Q. मलाला कितने साल की है?

Ans: मलाला 23 साल की है।

Q. मलाला को नोबेल पुरस्कार कब मिला?

Ans: 17 साल की उम्र में, मलाला को 2014 में  नोबेल शांति पुरस्कार मिला।

Q. मलाला फण्ड किसने शुरू किया?

Ans: मलाला फण्ड खुद मलाला और उनके पिता जियाउद्दीन यूसुफजई (Ziauddin Yousafzai) ने शुरू किया।

Q. मलाला कौन से देश की हैं?

Ans: मलाला पाकिस्तान देश की हैं।

Q. मलाला किस देश में रहती हैं?

Ans: मलाला यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में रहती हैं।

Q. मलाला कौन सी भाषा बोलती है?

Ans: मलाला पश्तो, उर्दू और अंग्रेजी भाषा में निपुण हैं।

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