‘कू’ एप ट्विटर की तरह ही एक माइक्रो ब्लॉगिंग एप है, यह भारत में निर्मित की गयी है। बीते कुछ दिनों में यह एप भारत में बहुत पोपुलर हुई है , भारत के कई प्रख्यात व्यक्ति जैसे फ़िल्म कलाकार, उद्योग पति, राजनेता, नेता आदि कू ऐप्प पर अपना अकाउंट बना रहे हैं। कू ऐप्प के पोपुलर होने की वजह भी बेहद ख़ास है। दरअसल बीते कुछ दिनों से भारत सरकार और ट्विटर ( एक वर्ल्ड फेमस माइक्रो ब्लॉगिंग ऐप्प), के बीच भारत सरकार द्वारा लाये गए नए आईटी नियमों के बाद बहुत सी परेशानियां सामने आने लगी और ट्विटर का विकल्प ढूँढा जाने लगा। इसी बीच में कू ऐप्प बहुत फ़ेमस हो गई और कुछ हद तक कू ऐप्प ने भारत में ट्विटर की जगह ले ली है।
कू एप कब शुरू हुई ?
कू एप मार्च 2020 में शुरू की गयी, कू एप के सीइओ और को-फाउंडर के मुताबिक यह कंपनी शुरू होने के 1 वर्ष पूर्व ही रजिस्टर हो चुकी थी।
कू एप का नाम ‘कू’ कैसे पड़ा ?
कू एप के फाउंडर के अनुसार यह ऐप्प भारत की विभिन्न भाषाओँ को ध्यान में रख कर बनाई गई है और वह इस ऐप्प का एक ऐसा नाम ढूंढ रहे थे जिसका हर भाषा में एक ही मतलब हो इसलिए इसका नाम ‘कू’ रखा गया क्यूंकि कू का मतलब है कोयल की आवाज़ और कोयल की आवाज़ को हर भाषा में ‘कू’ ही कहते हैं।
कू एप के फाउंडर कौन हैं?
कू एप के फाउंडर यानी संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण(Aprameya Radhakrishna) और मयंक बिदावाटका (Mayank Bidawataka) हैं। अप्रमेय ने ‘Taxi For Sure’ एप और मयंक ने ‘Red Bus’एप की शुरुआत भी की थी। इन युवा entrepreneurs यानी उद्यमकर्ताओं ने भारत की युवा पीढ़ी को नए इनोवेशन करने के लिए काफी प्रोत्साहित किया है और साथ हे प्रेरणा भी दी है।
कू एप की शुरुआत कहाँ हुई ?
कू एप दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटका के बेंगलुरु शहर में शुरू हुई थी।
कू एप को वर्ष 2020 में google playstore (गूगल प्लेस्टोर) की तरफ से क्या ख़िताब मिला?
कू एप को वर्ष 2020 में भारत की सर्वश्रेष्ठ आवश्यक ऐप्प (India’s Best Daily Essential App on Playstore For 2020) के लिए वोट किया गया। साल 2020 में कू एप के लिए गूगल के प्लेस्टोर द्वारा यह ख़िताब मिलना एक बहुत ही बड़ी कामयाबी थी, जब कू एप ने यह ख़िताब जीता तो भारत के लोगों के मन में इस एप के प्रति रूचि बढ़ी और अब पहले की तुलना में इस एप को गूगल प्लेस्टोर से ज़्यादा डाउनलोड किया जा रहा है।
भारत के प्रधानमंत्री द्वारा कू एप का समर्थन कैसे किया गया ?
वर्ष 2020 में कू एप ने, माननीय प्रधान मंत्री जी द्वारा लांच किये गए ‘आत्मनिर्भर एप चैलेंज’ को भी जीता और प्रधान मंत्री जी ने अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ मे भी कू एप का जिक्र करके इस आप की खून सराहना की।
कू एप बनाने की प्रेरणा कहाँ से मिली ?
कू एप के संस्थापकों का कहना है कि भारत में करीब 125 करोड़ की आबादी है और इसमें से एक बहुत बड़ी संख्या अंग्रेजी नहीं जानती। रिलायंस जिओ इंटरनेट रेवोल्यूशन के बाद बहुत सारे लोग अपने स्मार्ट फ़ोन के माध्यम से इंटरनेट से जुड़े, ज़्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफार्म अंग्रेजी में होने के कारण वे उनका सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते थे इसलिए कू एप के संस्थापकों ने इस एप को स्थानीय भाषा में बनाने का फैसला लिया ताकि लोग अपनी ही भाषा में सोशल मीडिया पर अपनी बात अच्छे से रख सके।
कू एप के संस्थापकों का भारत के नए entrepreneurs यानी उद्यमकर्ताओं के लिए क्या संदेश है?
कू एप के संस्थापकों आईटी रेवोलयूशन को अलग अलग वेव के रूप में देखते हैं। उनका कहना है जब भारत में इन्फोसिस, विप्रो, टीसीएस जैसी बड़ी कंपनीयाँ शुरू होकर सफल हुई तो ये भारतीय आईटी रेवोलयूशन की पहली वेव थी। उसके बाद जब फ्लिप्कार्ट, ओला जैसी भारतीय कंपनीयाँ बाज़ार में उतरी तो यह दूसरी वेव थी और कू ऐप्प जैसी भारतीय सोशल मीडिया कंपनी भारत में तीसरी वेव है। आने वाले समय में जब भारत के युवा दुनिया के लिए वर्ल्ड क्लास प्रोडक्ट बनाएँगे तो वह चौथी वेव होगी, आने वाले समय में भारत के युवा उद्यमकर्ता को वर्ल्ड क्लास प्रोडक्ट बनाने पर ध्यान देना होगा जिसे विश्व भर के लोग इस्तेमाल कर पाए।
क्या कू एप ट्विटर जैसी बड़ी कंपनी जगह ले सकती है?
कू एप के संस्थापकों की माने तो इस समय ट्विटर के कुल यूज़रस 35 करोड़ हैं और भारत अकेले ही 125 करोड़ लोगों का देश है। कू एप भारत की विभिन्न स्थानीय भाषाओँ में उप्लब्ध है और यदि केवल भारत के लोग ही कू एप को इस्तेमाल करने लगें तो बहुत जल्द कू एप ट्विटर से आगे जा सकती है।
भारत के आईटी मिनिस्टर का कू एप के बारे में क्या कहना है?
भारत के आईटी मिनिस्टर श्री रविशंकर प्रसाद जी का कू एप को लेकर बहुत ही सकारात्मक विचार है। उनका कहना है कि भारत में ही निर्मित माइक्रो ब्लॉगिंग एप व वेबसाइट को इस्तेमाल करना हमारे लिए गर्व की बात है, यह प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए मंत्र ‘वोकल फॉर लोकल’ के उद्देश्य को भी पूरा करता है। श्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में दिए गए भाषण में भी कहा था कि भारत की आईटी इंडस्ट्री को कू एप जैसे और भी स्टार्टअप की जरुरत है।
कू एप किन देशों में प्रसिद्ध है ?
कू एप पूर्ण रूप से भारत में निर्मित है। यह एप भारत में हाल ही में बहुत प्रसिद्ध हुआ है और ट्विटर के नाइजीरिया में बैन होने के बाद से कू एप नाइजीरिया में भी काफी प्रसिद्ध हुआ है। वहां के यूज़रस इस एप को अब हाथो हाथ अपना रहे हैं।
कू एप नाइजीरिया में क्यों प्रसिद्ध हुई ?
ट्विटर एप को हाल ही में नाइजीरिया में अनिश्चित काल के लिए ससपेंड कर दिया गया है। नाइजीरिया सरकार को यह कदम इसलिए उठाना पढ़ा क्यूंकि ट्विटर ने कुछ समय पहले वहां के राष्ट्रपति का एक ट्वीट डिलीट कर दिया था , ट्विटर के इस एक्शन को नाइजीरिया ने अपने देश पर हमले की तरह लिया इसलिए नाइजीरियन सरकार ने ट्विटर के खिलाफ यह बड़ा कदम उठाया। अब नाइजीरिया भारत में निर्मित कू एप को ट्विटर के विकल्प के रूप में देख रहा है और वहां के लोग इस एप को उतना ही इस्तेमाल कर रहे हैं जितना की भारत के लोग।
कू एप कितनी भाषाओँ में है?
कू एप पर लोग भारत में बोले जाने वाली अनेक भाषाओ में अपने विचार प्रकट कर सकते हैं जैसे हिंदी, कन्नड़, तमिल, तेलगु, मराठी, बंगला, गुजराती, अंग्रेजी आदि। आने वाले समय में लोग मलयालम और ओड़िया(Odia) भाषा में भी कू एप इस्तेमाल कर सकेंगे।
क्या कू एप की कोई वेबसाइट भी है?
कू सभी प्लेटफॉर्म्स पर उप्लब्ध है और इसकी वेबसाइट भी है। यदि आप स्मार्टफ़ोन यूज़र भी नहीं है तब भी आप वेबसाइट के माध्यम से कू से जुड़ सकते हैं।
कू एप से हम क्या कर सकते हैं?
कू एप एक माइक्रो ब्लोग्गिंग वेबसाइट है जिसमे हम सीमित शब्दों (400 शब्द) में अपनी ही भारतीय भाषा में अपने मन की बात, मन के विचार रख सकते है। कू एप में हम अपनी बात शब्दों के माध्यम से भी रख सकते हैं, अपनी आवाज़ का ऑडियो (1 मिनट का) रिकॉर्ड करके भी अपलोड कर सकते हैं और (1 मिनट के) वीडिओ के माध्यम से भी हम अपने मन की बात प्रकट कर सकते हैं। कू एप देश विदेश के अन्य लोगों से जुड़ने का भी बहुत ही अच्छा साधन है।
कू एप के कितने यूज़रस हैं
फिलहाल कू एप के 60 लाख यूज़र्ज हैं और इन यूज़र्ज की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जबसे यह एप नाइजीरिया में प्रसिद्ध होने लगी है तब से तो इस ऐप्प के यूज़र्ज और भी ज़्यादा तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं।
कू एप किन प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल की जा रही है ?
कू ऐप्प को अब लगभग सभी प्रसिद्ध लोग अपनाने लगे हैं। उधारणतः राजनेताओं में पीयूष भारत के आईटी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद, रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल, अध्यात्मिक लीडर सद्गुरु जी, क्रिकेटर अनिल कुंबले, श्रीनाथ, अभिनेता/अभिनेत्री जैसे कंगना रनोत और बहुत से सरकारी विभाग के एकाउंट्स भी कू ऐप्प पर आ गए हैं।
कू एप कौन कौन से प्लेटफार्म पर उप्लब्ध है?
कू सभी प्लेटफॉर्म्स पर उप्लब्ध है जैसे एंड्राइड ऐप्प (Android App) आईओएस ऐप्प (IOS App) और कू वेबसाइट। कू का कई प्लेटफॉर्म्स पर होना भी इस ऐप्प को बेहद खास बनाता है क्यूंकि इस से अलग अलग प्लेटफॉर्म्स के यूज़रस को भी एक ही ऐप्प पर आपस में जुड़ने का मौका मिलता है।
कू ऐप्प को कैसे डाउनलोड करें?
कू ऐप्प को आप गूगल के प्लेस्टोर से और एप्पल के ऐप्प स्टोर से आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
कू ऐप्प ट्विटर से बेहतर क्यों है?
अगर भारत के लिहाज से देखा जाए तो कू ऐप्प ट्विटर से काफी बेहतर ऐप्प है क्यूंकि यह भारत के नए आईटी नियमों का पुर्णतः पालन करती है जिसकी वजह से यह ऐप्प पुर्णतः सुरक्षित है और भारत वासियों को इस ऐप्प पर अपनी भाषा में ही अपने विचार रखने की आज़ादी मिलती है। दूसरी वजह ये भी है कि जब हम कू जैसी सोशल मीडिया ऐप्पस पा अपना अकाउंट बनाते हैं तो इन सोशल मीडिया कंपनियों के पास यूज़रस का काफी सारा डाटा एकत्रित हो जाता है तो जब भारत का यूज़र भारत में ही निर्मित ऐप्प को इस्तेमाल करेगा तो उसका डाटा भारत में ही रहेगा , किसी और देश में नहीं जाएगा जबकि ट्विटर के साथ यह संभव नहीं था क्यूंकि ट्विटर एक अमेरिकन कंपनी है जो भारत के यूज़रस का डाटा अपने देश में जमा करती है।
कू ऐप्प और ट्विटर में क्या समानताएं हैं?
कू ऐप्प ओर ट्विटर ऐप्प दोनों हे माइक्रो ब्लॉगिंग ऐप्पस हैं, दोनों में ही हम अपने मन के विचार प्रकट कर सकते हैं और इन दोनों की फंक्शनलिटी एक समान ही हैं।
कू एप की जनकारी संछिप्त में
कू एप कब शुरू हुई | कू एप मार्च 2020 में शुरू हुई। |
कू एप के कितने यूज़रस हैं | कू एप के फिलहाल 60 लाख यूज़रस हैं। |
कू एप कितनी भाषाओं में उपलब्ध है | कू एप फिलहाल 8 भाषाओं में उप्लब्ध है। |
कू एप कौनसे देश में निर्मित हुई | कू एप भारत देश में निर्मित हुई। |
कू एप कौनसी एप का विकल्प है | कू एप ट्विटर अप्प का मजबूत विकल्प है। |
यह भी पढ़े :
FAQ’s
Q. कू एप के संस्थापक कौन हैं?
Ans: कू एप के संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण(Aprameya Radhakrishna) और मयंक बिदावाटका (Mayank Bidawataka) हैं।
Q. कू एप का headquarter कहा स्थित है?
Ans: कू एप का headquarter भारत के बंगलुरु शहर में स्थित है।
Q. कू एप के 2021 में कितने यूज़रस हैं?
Ans: कू एप के 2021 में 60 लाख से ज्यादा यूज़रस हैं।
Q. कू एप कब शुरू हुई?
Ans: कू एप कि पूर्ण रूप से मार्च 2020 में शुरुवात हुई।
Q. कू एप क्या है?
Ans: कू एप एक माइक्रो ब्लॉगिंग एप व वेबसाइट है।