माँ, शब्द नहीं एक एहसास है | Maa Ka Ehsaas | A Story On Mother

माँ, शब्द नहीं एक एहसास है

सिर पर आँचल, माथे पर बिंदिया,

 कानों में बाली और होठों पर कभी ना थकने वाली मुस्कान लिए

 करती है हर दिन की शुरुआत, बिना किसी आस लगाए की बदले में मिलेंगी बंदिशें या

 मिलेंगे दो शब्द प्रेम के, प्रोत्साहन के। 

जैसे पत्ते टहनियों से जुड़े रहें या बिखरे रहें,

ज़मीन पर हवा के रुख के साथ ही हो जाते हैं,

ऐसे ही बिना लोभ, लालच के ‘ये माँ’ हर किसी के रंग में खुश हो जाती है। 

सिर पर आँचल, माथे पर बिंदिया,

कानों में बाली, ये ‘माँ’ दुनिया की सबसे खूबसूरत रचना कहलाती है।

मनीषा शैली

एक माँ कि जीवन यात्रा (Story)

‘माँ’,  मात्र एक शब्द नहीं बल्कि वो प्यारा सा एहसास है जो एक व्यक्ति के साथ उसके बचपन से लेकर उसकी आखिरी सांस तक रहता है। ‘माँ’ वो जादुई शब्द है जिसका ज़िक्र होते ही, आँखों के आगे माँ का प्यारा सा, मुस्कुराता हुआ चित्र बन जाता है।  ऐसी होती है माँ, दुनिया से अलग, सबसे जुदा, हमारी प्यारी सी माँ।  भले ही चोट कितनी भी छोटी या कितनी बड़ी ही क्यों ना हो, आप इस देश के किसी भी कोने में क्यों ना रहते हों,  कोई भी भाषा क्यों ना बोलते हों, हर बच्चे के मुँह से ये दो शब्द तो ज़रूर निकलते हैं ‘ओह माँ’। 

जितना दर्द चोट लगने पर तुम्हे होता है,  उससे कई ज़्यादा उस माँ को होता है जो तुम्हे कभी दर्द में नहीं देख सकती।  पर क्या तुमने कभी यह सोचा है कि तुम्हारी यह माँ किन एहसासों से गुज़रती होगी । कैसा रहा होगा उसका बचपन, किन यादों को साथ लिए होगी, तुम्हारी ख़ुशी के लिए कितने अरमानों की उसने बली दी होगी, वो भी तो कभी तुम्हारी तरह ही रही होगी।  हां, तुम्हारी ये माँ जिसका दिन तुमसे शुरू होता है, रात तुम पर ख़त्म होती है, तुम्हारी ख़ुशी से जो झूम उठती है, तुम्हे दुखी देखकर खुद रोया करती है।  वो माँ, कैसा रहा होगा उसका बचपन?

तुम्हारी तरह वो भी अपने पिता की लाडली होगी और अपनी माँ की सबसे अच्छी दोस्त। वो भी अपने घर में उतने ही नाज़ो से पली होगी जितने तुम। जैसे तुम शरारतें करते हो, ऐसे ही वो लाड़ली भी शरारतें किया करती होगी । कभी माँ की तो कभी पापा की डांट उसे पड़ती होगी ।

Maa-Ka-Ehsaas

अपने भाई बहन के साथ भी खूब घर घर खेला होगा उसने और कभी कभी खेल-खेल में दुल्हन भी बनी होगी पर नादान ये नहीं जानती थी कि ये सिर्फ खेल नहीं, उसे एक दिन सच में दुल्हन बनकर दूसरे घर जाना था। 

उसकी एक ख्वाइश पर उसके पापा दौड़कर उसे पूरा कर देते होंगे और उसकी माँ भी उसका मनपसंद खाना बनाकर उसे खिलाती होंगी। हां, वो माँ जिसके लाडले आज तुम हो, वो भी तो अपने माता पिता की लाडली होगी।

जब माँ बड़ी हुई होगी और घर पर उसकी शादी का ज़िक्र हुआ होगा तो वो भी ऐसे ही चिढ़ गयी होगी जैसे इस टॉपिक पर तुम चिढ़ जाते हो। कहा तो उसने भी ज़रूर होगा, “मैं नहीं करुँगी शादी, कहीं नहीं जाउंगी आपको और इस घर को छोड़कर।“ उस वक़्त उसके पिता ने उसके सिर पर हाथ रखकर  ज़रूर कहा होगा “बिटिया, एक ना एक दिन तो हर लड़की को अपने घर जाना होता है, तुझे भी जाना ही होगा।“  इस बात पर उसका मन बहुत दुखी हुई होगा, सोचा उसने भी होगा कि अगर उसका घर कहीं और ही था तो इतने सालों तक वो उस घर में क्यों रही। जब पराया करना ही था तो उसे इतना लाड किया ही क्यों? सवाल तो उसके मन में लाखों आये होंगे पर चुप चाप वो भी दिन गुज़ारती रही होगी और एक दिन आखिरकार वो घड़ी आई होगी जब उसे अपना घर छोड़कर दूसरे घर जाना था।

खुश बहुत हुई होगी कि जीवन का नया सफर शुरू करने जा रही थी एक जीवनसाथी के साथ, पर साथ ही अपने माँ, पापा, भाई, बहन, दोस्त, दादा, दादी सबसे गले मिलकर फूट फूटकर रोई होगी। दिल बैठा जा रहा होगा यह सोचकर कि एक नए घर में, नए लोगों के बीच कैसे रह पाएगी, घर उसका दूर है तो जब याद आएगी सबकी तो दौड़कर मिलने कैसे आएगी। कैसा होगा उसका ससुराल, उसके नए रिश्तेदार, नए रिश्ते कैसे संभालेगी? पर जाना तो उसे था ही, पराया धन जो थी वो, पोंछ लिए होंगे उसने अपने आंसू, दिल को थामा होगा और निकल पड़ी होगी अपने जीवनसाथी के साथ एक नयी दुनिया बसाने।

शादी के बाद कुछ समय तक मुश्किल तो बहुत हुई होगी, अकेले रोइ भी होगी याद में, कभी कभी घर जाया करती होगी, अपनी माँ के हाथ का खाना खाया करती होगी। माँ उसकी उसको समझाया करती होगी कि ससुराल में किस तरह रहना चाहिए, रिश्ते कैसे सँभालने चाहिए। सब सुनकर इन बातों को अपने जीवन में अपनाया करती होगी। ससुराल का ध्यान रखना था और मायके का भी क्योंकि दोनों ही घर उसके थे और नहीं भी। 

A-Poem-On-Mother

फिर कुछ समय बाद उसके जीवन में एक ऐसा समय आया जिसका एहसास उसके लिए सबसे खूबसूरत रहा होगा। तुम्हे अपनी कोख में रखने का एहसास, एक नया जीवन देने का एहसास । वो नौ महीने उसने कैसे काटे होंगे यह सिर्फ वही जानती है। हाँ, हर दिन, हर पल अपना उसने तुम्हारे साथ जिया होगा, अब उसने अपना नहीं, सिर्फ तम्हारा ख्याल किया होगा। मन बहुत किया होगा उसका कुछ करने का, कहीं जाने का, पसंद का खाना खाने का लेकिन हर बार उसने अपना मन मारा होगा क्योंकि तुम्हे जो लाना था इस दुनिया में।

जब तुम इस दुनिया में आये तो बहुत दर्द से गुज़री होगी वो,  समझ नहीं पाई होगी कि कैसे सहेगी इस दर्द को  पर सब  सह गयी क्योंकि अब खुद से ज़्यादा तुम्हे जो चाहने लगी थी वो।  जब पहली बार उसने तुम्हे अपनी गोद में लिया होगा, आँखों में आंसू और होठों पर मुस्कान लिए उसने तुम्हारा माथा चूमकर तुम्हे सीने से लगाकर अपने अनगिनत एहसासों को बयां किया होगा।

तुम्हारे इस दुनिया में आने के बाद तुम्हारा जीवन ही उसका जीवन बन गया। तुम्हारे लिए नींद पूरी न हो पाना, ढंगसे खा न पाना, हमेशा तुम्हारा ख्याल रखना, तुम्हे प्यार करना। अब अपनी कोई फ़िक्र ही कहाँ रही उसे क्यूंकि अब अपने जीवनसाथी और ससुराल के बाद तुम ही तो थे जिसका ख्याल उसे रखना था।

जब तुम स्कूल जाने लगे होंगे, तब तुम्हारा टिफ़िन, खाना, कपड़े, इन सब में ही उसने अपना समय बिताया होगा।  तुम्हे सबसे पहले खिलाकर और खुद सबसे आखिर में खाना खाया होगा। अब वही माँ जो कहती थी अपना मायका छोड़कर नहीं जाएगी, आज बार बार बुलाने पर भी अपने मायके नहीं जा पाती क्योंकि अब समय ही कहाँ मिलता होगा उसे तुम्हारा और अपने ससुराल का ख्याल रखने से।  जब  अपने घर जाया करती होगी और उसकी माँ उसकी पसंदीदा खीर बनाया करती होगी तो कहती होगी वो  “माँ खीर रहने दो हलवा बना दो,” क्योंकि तुम्हे हलवा जो पसंद है।  अब उसकी पसंद नापसंद का उसे ख्याल कहाँ था, अब तो तुम्ही उसकी दुनिया थे। 

मुस्कुराई होगी माँ भी जब उसने अपनी बेटी को ऐसे देखा होगा क्योंकि वो माँ भी तो इन्ही सब एहसासों से गुज़री होगी जिनसे तुम्हारी माँ गुज़री है।

तुम कितने भी बड़े हो जाओ, दुनिया के किसी भी कोने में क्यों ना चले जाओ, एक माँ के लिए तुम उसके छोटे बच्चे ही हो । आज भी उसे तुम्हारी उतनी ही फ़िक्र है जितनी बचपन में थी।आज भी दूर नहीं रह पाती है वो। तुम्हारे एक दुःख पर उसके दिल के टुकड़े टुकड़े हो जाते हैं, हर दिन हर पल अपनी दुआ में उसे तुम ही याद आते हो  क्यूंकि ऐसी ही होती हैं माँ, वो अपने लिए नहीं अपने बच्चे के लिए जीती है, अपने बच्चे के लिए दुआओं की चादरें सीती है । वो कभी कहेगी नहीं तुमसे कि क्या क्या गुज़री उस पर तुम्हे  इस दुनिया में लाने के लिए क्यूंकि माँ है ना वो, कभी कुछ जताती कहाँ है, अपने दुःख बताती कहाँ है।  उसकी तो हर सुबह तुमसे शुरू और हर रात तुम पर ख़त्म है, आत्मसपर्मण और प्रेम से भरी हुई ये मूर्ती इसीलिए तो दुनिया कि सबसे सुन्दर रचना कहलाती है। 

यह भी पढ़े :

मेरे प्यारे पापा

जुगुनू – कविता

किताबे नही पढ़ने के नुक्सान

ट्विटर क्या है, कैसे इस्तेमाल करें

आप सुबह न उठ के क्या खो रहें हैं

क्या आप भी सुबह जल्दी नही उठ पाते हैं, आसान है यह करके देखिये

कोरोना काल में सकारात्मक कैसे रहें

हॉट डेस्किंग क्या है वर्क फ्रॉम होम कैसे इसको बढ़ावा दे रहा है

नया वायरस पल्मोनरी एस्पेरगिलोसिस क्या है?

बासमती चावल क्यों बना भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई का मुद्दा ?

ये गलतियाँ सुबह उठकर बिलकुल ना करें जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

किताबें पढ़ने की आदत कैसे डालें

FAQs

Q. माँ को अंग्रेजी में क्या कहते है ?

Ans: माँ को अंग्रेजी में Mother कहते हैं।

Q. माँ को अपने बच्चों की इतनी फिक्र क्यूँ होती है?

Ans: माँ अपने बच्चों को दिल से प्यार करती है इसलिए माँ को अपने बच्चों की इतनी फिक्र होती है।

Q. माँ की अपने बच्चों से क्या उम्मीद होती है ?

Ans: माँ अपने बच्चों से कोई उम्मीद नहीं करती सिवाय इस बात के कि उसके बच्चे उसे थोड़ा समय और प्यार दें।

Q. बच्चों को माँ का ख्याल कैसे रखना चाहिए ?

Ans: माँ का ख्याल रखने के लिए बच्चो को माँ को समय देना चाहिए। उनका काम में हाथ बटाना चाहिए और उनकी तबियत का ख्याल रखना चाहिए।

Q. माँ का दिल किस बात से दुखी होता है ?

Ans: हर माँ का दिल अपने बच्चो को दुखी देखकर दुखी होता है।

12 thoughts on “माँ, शब्द नहीं एक एहसास है | Maa Ka Ehsaas | A Story On Mother”

  1. Every line…..every sentence…..every paragraph is beautifully written .No complicated terms used just a pure summary of an individual who acknowledged every single obstacle with smile and courage….
    Good job guys 👍

    Reply

Leave a Comment