हिरोशिमा दिवस 2022 क्या है, क्यूँ मनाया जाता है | What is Hiroshima Day in Hindi

 ‘6 अगस्त’ को हिरोशिमा दिवस के रूप में याद किया जाता है। इस दिन अमेरिका द्वारा जापान पर अणु बम गिराया गया था।अमेरिका ने 6 अगस्त, 1945 के दिन जापान के हिरोशिमा नगर पर ‘लिटिल बॉय’ नामक यूरेनियम बम गिराया था। इस बम के प्रभाव से 13 वर्ग कि.मी. में तबाही मच गयी थी।

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हिरोशिमा पर हुए हमले से क्या नुकसान हुआ ?

हिरोशिमा की 3.5 लाख की आबादी में से एक लाख चालीस हज़ार लोग एक झटके में ही मारे गए। ये सब सैनिक नहीं थे। इनमें से अधिकांश साधारण नागरिक, बच्चे, बूढ़े तथा स्त्रियाँ थीं। इसके बाद भी अनेक वर्षों तक अनगिनत लोग विकिरण के प्रभाव से मरते रहे।

अमरीका इतने पर ही नहीं रुका। उसे एक अन्य प्रकार के बम के प्रभावों को अभी और आज़माना था। इसलिए इस अमानवीय विनाश के तीन दिन बाद ही 9 अगस्त को ‘फ़ैट मैन’ नामक प्लूटोनियम बम नागासाकी पर गिराया गया, जिसमें अनुमानित 74 हज़ार लोग विस्फोट व गर्मी के कारण मारे गए। इनमें भी अधिकांश निरीह नागरिक थे।

जापान ने परमाणु हथियार का निर्माण ना करने की नीति क्यों स्थापित की ?

हिरोशिमा जापान का एक नगर है जहाँ second world war यानी द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1945 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिराया गया था जिससे पूरा का पूरा नगर बरबाद हो गया था। इस उथलपुथल के परिणाम आज भी इस नगर के लोग भुगत रहे हैं।

जापान के एक दूसरे नगर नागासाकी पर भी परमाणु बम से हमला किया गया था। इसी का परिणाम है कि जापान ने परमाणु हथियार कभी निर्माण ना  करने की नीति स्थापित की है।

हिरोशिमा में कागज़ के सारस क्यों बनाये जाते हैं ?

आज हिरोशिमा जापान का एक बड़ा नगर है। हिरोशिमा में करीब 11,96,264 लोग रहते हैं।  हिरोशिमा में बहुत लोग, शान्ति के लिए,  काग़ज़ के सारस बनाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता  है क्योंकि जब हिरोशिमा पर बम गिराया गया था तब एक लड़की, जिसका नाम सडाको ससाकी था, उसे इस हमले से निकली खतरनाक रेडिएशन की वजह से ल्यूकेमिया(leukemia ) की समस्या हो गयी थी।

उसने हज़ार सारस बनाने की कोशिश की क्योंकि जापान में कहते हैं कि अगर आप हज़ार सारस बनाये, आपकी एक ख़्वाहिश सच होगी। सडाको ने हज़ार सारस बनाये लेकिन उसकी हलात में कोई सुधार नहीं हुआ और दुर्भाग्यवश सडको की मृत्यु हो गयी। हिरोशिमा में आज भी सडको के लिए  लोग कागज़ के सारस बनाते हैं।

हिरोशिमा के बाद नागासाकी पर भी हुआ था हमला

छह अगस्त 1945 को ही सुबह करीब आठ बजे हिरोशिमा पर परमाणु बम का हमला हुआ। ये हमला इतना जबरदस्त था कि इसकी वजह से कुछ ही पल में 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी।

हिरोशिमा में हुए परमाणु बम हमले से जापान अभी उभरा भी नहीं था कि तीन दिन बाद 9 अगस्त को दूसरे शहर नागासाकी में दूसरा परमाणु बम हमला हो गया। इस दिन सुबह के करीब 11 बजे शहर के उपर परमाणु बम गिराया गया। इस हमले में 40 हजार से ज्यादा लोगों की जानें चली गई थी। विस्फोट के बाद रेडियोएक्टिव विकिरण के संपर्क में आने और विस्फोटों के बाद हुई ‘काली बारिश’ से भी दोनों शहरों में हज़ारों लोगों की मौत हो गई थी।

हिरोशिमा दिवस क्यों मनाया जाता है?

जानिये 6 अगस्त 1945 को क्या हुआ था

21वीं सदी के वैज्ञानिक विकास ने पूरी मानवता को परमाणु युद्ध की आशंका से घेरा हुआ है क्योंकी संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के साथ-साथ ऐसे कई राष्ट्र हैं जिनके पास करीब 24,000 परमाणु हथियार हैं। इनमे से लगभग 9,000 को परिचालन (operational) माना जाता है और 2,000 से अधिक उच्च अलर्ट पर हैं, जो मिनटों के भीतर उपयोग के लिए तैयार हैं।

इसी वैज्ञानिक विकास का जीता-जागता स्मारक है हिरोशिमा और नागासाकी क्योंकी 6 अगस्त, 1945 को आपसी वैमनस्य ने मानवता को शर्मशार कर दिया था। आइये जानते हैं ऐसा क्या हुआ था 6 अगस्त को जिसकी वजह से आज हम उस परमाणु हमले को स्मारक के रूप में याद करते हैं।

(1939-1945) का दौर था और पूरा विश्व तीन हिस्सों में बंटा हुआ था-सहयोगी, एक्सिस ब्लॉक्स और तटस्थ

 देश। (Allies, Axis Blocks and Neutral countries)।  विचारधारात्मक संघर्ष (ideological struggle), इस युद्ध का मुख्य कारक था। लाखों लोग इस युद्ध की बलि चढ़ रहे थे लेकिन युद्ध था कि ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। फिर वो दिन आया जिसने ना सिर्फ इस युद्ध को रोका अपितु मानव इतिहास को नरसंहार के कटघरे में खड़ा कर दिया।

वो वर्ष था 1945 जब अगस्त माह की छह तारीख को एनोला गे नामक एक अमेरिकी बी-29 बमवर्षक ने ‘लिटिल ब्वॉय’ नामक परमाणु बम हिरोशिमा पर बरसाया था। अमेरिकी बॉम्बर प्लेन बी-29 ने जमीन से तकरीबन 31000 फीट की ऊंचाई से परमाणु बम गिराया था।

जिस जगह पर बम गिराया गया था, उसके आसपास की हर चीज जलकर खाक हो गई थी। जमीन लगभग 4,000 डिग्री सेल्सियस गर्म हो उठी थी। उस परमाणु हमले में लगभग 1.4 लाख लोग मारे गए थे। जो लोग बम हमले से बच गए थे, रेडिएशन की चपेट में आने के कारण बाद में उनकी भी मृत्यु हो गयी।

जापान पर किसी देश द्वारा होने वाला यह सबसे बड़ा हमला था परन्तु इस हमले के बाद भी अमेरिका शांत नहीं हुआ और वह निरंतर अपने कई प्रकार के बमों के प्रभावों को आजमाता रहा। हिरोशिमा को तबाह करने के बाद अमेरिका ने नागासाकी पर ‘फैट मैन’ नाम प्लूटोनियम बम गिराया जिसमें अनुमानित 74 हजार से ज्यादा लोग मारे गये।

हिरोशिमा दिवस एक शोक दिवस है क्योंकी इसी दिन मानव के वैमनस्य ने एक लाख से अधिक आत्माओं का एक अनुस्मारक बना दिया था। इसलिए ये दिवस है परमाणु हथियारों के खतरे और परमाणु ऊर्जा के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए याद किया जाता है ताकि हम फिर से वो गलती ना करे। इस मानवीय संहार और विनाशता को ध्यान में रखते हुए हिरोशिमा दिवस मनाया जाता है।

इस अमानवीय आपदा का परिणाम आज भी इस नगर के लोग भुगत रहे हैं। जापान के एक दूसरे नगर नागासाकी पर भी परमाणु बम से हमला किया गया था। इसी का परिणाम है कि जापान ने परमाणु हथियार कभी निर्माण ना करने की नीति स्थापित की और आर्थिक व सामरिक संबंधों का नया अध्याय जोड़ने में लगा है।

एक मिनट के भीतर हिरोशिमा का 80 फीसदी हिस्सा हो गया था राख

अमेरिकी वायु सेना ने छह अगस्त की सुबह जिस परमाणु बम को शहर के ऊपर  गिराया था उसका नाम था लिटिल ब्वॉय जबकि नागासाकी के उपर जिस परमाणु बम को गिराया था उसका नाम दिया था फैट मैन। हिरोशिमा में सुबह के करीब 8.15 बजे गिराए गए परमाणु बम से ऐसा धमाका हुआ था कि 43 सेकेंड के भीतर ही शहर का 80 फीसदी हिस्सा राख बनकर हवा में उड़ गया था। हिरोशिमा पर किया गया परमाणु हमला दरअसल 1941 को अमेरिका के नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर किए गए जापानी सेना के द्वारा हमले का बदला था।

परमाणु विस्फोट के बाद जीवित बचे 84 लोगों को पीड़ितों के रूप में मिली मान्यता

हाल ही में हिरोशिमा की एक जिला अदालत ने परमाणु विस्फोट के बाद हुई ‘काली बारिश’ से जीवित बचे 84 लोगों को पीड़ितों के रूप में मान्यता दे दी है। अब ये सभी लोग परमाणु विस्फोट के पीड़ितों के रूप में उपलब्ध निःशुल्क चिकित्सीय सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

 (Hiroshima Day) 76 साल पहले आज ही हिरोशिमा पर गिरा था परमाणु बम हिरोशिमा दिवस कैसे मनाया जाता है ?

हिरोशिमा दिवस पर लोग एकत्र होकर प्रार्थना करते हैं। परमाणु हमले के 75 साल पूरे होने पर उसकी याद में हिरोशइमा में घंटिया बजी। इस मौके पर कोरोना का असर भी साफ तौर पर देखा गया। हिरोशिमा के मेयर ने लोगों से अपील की है कि वो अपने निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने खड़ी चुनौतियों का एक जुट होकर सामना करें।

आमतौर पर इस दिन हिरोशिमा के केंद्र में स्थित पीस पार्क (Peace Park) में हजारों लोग एकत्र होते हैं और शांति के लिए एकसाथ प्रार्थना करते हैं। इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते पीस पार्क में बहुत कम लोग इकट्ठा हुए। 6 अगस्त 1945 के परमाणु हमले में बचे कुछ लोग और उनके परिवार के लोग ही पीस पार्क में प्रार्थना के लिए आए।

परमाणु हमले के 75वीं वार्षिकी के महत्व के बावजूद इस बार 6 अगस्त को होने वाली समारोह को बहुत ही सादगी से मनाने का निर्णय लिया गया है। कोरोना वायरस के चलते ऐसा किया गया है। बता दें कि 75 साल पहले इस हमले में हिरोशिमा में 140,000 लोगों की जान गई थी। साथ ही लाखों लोग घायल हुए थे।

हिरोशिमा के  मेयर Kazumi Matsui ने कहा कि 6 अगस्त को हिरोशिमा परमाणु हमले से बर्बाद हो गया था। उस समय यह अफवाहें थी कि यहां एक घास का तिनका भी नहीं उगेगा, लेकिन हिरोशिमा इस हमले से पूरी तरह से उभरा और शांति का प्रतीक बना।

हिरोशिमा को क्यों बनाया था निशाना?

परमाणु बम गिराने के लिए हिरोशिमा को इसलिए निशाना बनाया गया था क्योंकि अमरीकी वायुसेना के हमलों में इसे टारगेट नहीं किया गया था। ऐसे में परमाणु बम की विध्वंस क्षमता का पता लगाना आसान होता. यह जापान का अहम सैन्य ठिकाना भी था। इसके अलावा ज़्यादा आबादी वाले द्वीपों को निशाना बनाने से परहेज किया गया था।

 कैसे गिराया गया था पहला परमाणु बम?

6 अगस्त, 1945 को अमरीकी बी-29 बमवर्षक विमान ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था. बम को पैराशूट के ज़रिए गिराया गया और जमीन से 580 मीटर की ऊंचाई पर विस्फोट किया गया. इस विस्फोट के चलते 10 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में गहरे गड्ढे बन गए।

विस्फोट के बाद का मंज़र कैसा था?

विस्फोट के बाद हिरोशिमा में जगह-जगह आग लग गई थी. ये आग तीन दिनों तक जारी रही. विस्फोट होते ही 60 हज़ार से 80 हज़ार लोगों की मौत तुरंत हो गई. बम धमाके के बाद इतनी गर्मी थी कि लोग सीधे जल गए. इसके बाद हज़ारों लोग परमाणु विकिरण संबंधी बीमारियों के चलते मारे गए. इस विस्फोट में कुल 1,35,000 लोगों की मौत हुई थी।

अमेरिका ने क्यों किया था परमाणु हमला?

1945 में second world War के अंतिम चरण में जापान और अमेरिका के रिश्ते खराब हो गए थे। जापान की सेना ने ईस्ट-इंडीज के तेल-समृद्ध क्षेत्रों पर कब्जा करने के इरादे से इंडो-चाइना को निशाना बनाने का फैसला किया। जापान के इस कदम का अमेरिका ने विरोध किया था।

अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने आत्मसमर्पण के लिए जापान पर परमाणु हमला किया। उन्होंने जापान को चेतावनी दी थी कि वह आत्मसमर्पण करें या विनाश के लिए तैयार रहे। जापान ने अमेरिका की चेतावनी को नजरअंदाज किया। इसका नतीजा ये हुआ कि अमेरिका ने तीन दिन के भीतर दो परमाणु हमले किए।

 पहला परमाणु बम अमेरिका ने  जापान के हिरोशिमा में 6 अगस्त 1945 को गिराया था।

यह बम ‘इनोला गे’ विमान से गिराए गए थे। इसे कर्नल पॉल तिब्बेत उड़ा रहे थे।

हिरोशिमा पर जो बम गिराया गया था, वह 13-16 किलोटन का था। इसका नाम लिटिल ब्वॉय था। हालांकि, इसका असर कहीं से लिटिल नहीं था।

यह 600 मीटर की ऊंचाई से जमीन पर गिराया गया था। इस हमले में करीब 1 लाख 40 हजार लोगों की मौत हुई थी। इस हमले का धुआं जमीन से 20 हजार किमी ऊपर तक उठा था।

हमले के तुरंत बाद 10 हजार लोगों की तुरंत मौत हो गई थी। बाकी लोगों ने इलाज के दौरान और बीमारी से दम तोड़ दिया था। सालों तक इस हमले के प्रभाव के कारण लोग मारे जाते रहे।

अमेरिका ने तीन दिन बाद नागासाकी पर फैट मैन बम गिराया। इस हमले में करीब 74000 लोग मारे गए थे। फैट मैन एक मोटे आदमी की तरह नजर आता था। 

अमेरिका ने इसे भी एयरफोर्स के बी-29 बॉम्बर विमान से 9 अगस्त को गिराया था। दुनिया में पहली बार युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया था।

करीब 10 हजार लोगों की मौत इस हमले में तुरंत हो गई थी। जबकि सालों तक बीमारी और जख्मी लोगों की मौत होती रही।

6 अगस्त वो काली सुबह

6 अगस्त की सुबह हिरोशिमा के लोगों के लिए हर दिन जैसी ही थी।  तबाही से अंजान वो लोग नहीं जानते थे कि एक पल में सब ख़ाक हो जाएगा। इतिहास लिखा जाना अभी भी बाकी था, लेकिन इसकी इमारत तैयार थी।   6 अगस्त, 1945 की सुबह 8:15 बजे, US B-29 विमान ने हिरोशिमा पर ‘लिटिल बॉय’ नाम का बम गिराया।

एक ही पल में इसने दक्षिण-पश्चिम शहर हिरोशिमा को तबाह कर दिया।  जिस समय बम विस्फोट हुआ, हिरोशिमा मलबे में बदल गया और  एक पल के लिए भीड़ उमड़ पड़ी, लाशों की शैय्या पर लोग सिसकते रहे और शांति बेल बजने लगी।

यह बम हिरोशिमा पर तय जगह पर नहीं गिराया गया।  दरअसल , ‘लिटिल बॉय’ को हिरोशिमा के आइयो ब्रिज के पास गिराया जाना था।  मगर हवा के विपरीत दिशा के कारण यह शीमा सर्जिकल क्लिनिक पर जा गिरा।  इस हमले में करीब 1 लाख 40 हजार लोगों की मौत हो गई। 

हजारों लोगों को गंभीर चोट और बीमारियों का सामना करना पड़ा।  इसके कारण कई लोगों की मृत्यु हो गई और कई रेडिएशन से ग्रस्त हो गए।  करीब  1 लाख 40 हजार लोगों का यूँ एक झटके में चला जाना आज भी दिल दहला देता है। 

प्रार्थना सभा पर वैश्विक महामारी का असर

प्रधान मंत्री शिंजो आबे ने हमेशा की तरह इस प्रार्थना सभा में भाग लिया, लेकिन कोविड 19 की वजह से विदेशी आगंतुकों की संख्या कम थी।

 कुल मिलाकर वैश्विक महामारी को देखते हुए उपस्थिति सामान्य से 10 प्रतिशत तक कम थी।   साथ ही उपस्थित लोगों ने सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखा था।

जानिए हिरोशिमा परमाणु हमले से सबंधित कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट्स

1.इस बम के कारण जमीनी स्तर पर लगभग 4,000 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी पैदा हुई थी।
2.बम हिरोशिमा के तय जगह पर नहीं गिराया जा सका था, यह हिरोशिमा के आइयो ब्रिज के पास गिरने वाला था मगर उल्टी दिशा में बह रहे हवा के कारण यह अपने लक्ष्य से चूक गया।
3.कनेर (ओलियंडर) नाम का फूल इस हमले के बाद सबसे पहले खिला था. यह हिरोशिमा का ऑफिशियल फूल है।
4.यूएस एयरफोर्स के जवानों ने हमले से पहले लोगों को चेतावनी देने के लिए पर्चा गिराया था।
5.एनोला गे नाम के अमेरिकी बी-29 बॉम्बर से परमाणु बम गिराया गया था।
6.परमाणु बम तकरीबन 4000 किलोग्राम का था।
7.परमाणु हमले में कुछ पुलिसवालों ने अपनी जान एटॉमिक चमक दिखने के बाद खास तरीके से छुपकर बचाई थी. इस प्रक्रिया को ‘डक एंड कवर’ कहा जाता है. इन पुलिसवालों ने नागासाकी जाकर बचाव के इस तरीके की जानकारी दी. जिससे नागासाकी परमाणु हमले में काफी लोगों ने अपनी जान बचाई।
8.लिटल ब्वॉय को मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत लॉस अलामोस में तैयार किया गया था।
9.परमाणु बम के कारण शहर के 90 फीसदी डॉक्टर मारे गए थे. इस कारण घायल होने वालों का इलाज जल्द से जल्द संभव नहीं हो पाया।
10.हिरोशिमा के इंडस्ट्री प्रोमोशनल बिल्डिंग को हमले के बाद पीस मेमोरियल के रूप में बनाया गया।
11.धमाके से 3900 डिग्री सेल्सियस तापमान गर्मी और 1005 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली आंधी पैदा हुई।
12.इस बम में 6.4 किलोग्राम प्लूटोनियम था।
13.अगर जापान 14 अगस्त को सरेंडर नहीं करत अमेरिका ने 19 अगस्त को एक और शहर पर परम बम गिराने की योजना बनाई थी।

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FAQ’s

Q. किस तारीख़ को हिरोशिमा दिवस कहा जाता है ?

Ans: ‘6 अगस्त’ को हिरोशिमा दिवस कहा जाता है।

Q. अमेरिका द्वारा हिरोशिमा पर गिराए गए बम का नाम क्या था ?

Ans: अमेरिका द्वारा हिरोशिमा पर गिराए गए बम का नाम ‘लिटिल बॉय ‘ था।

Q. ‘6 अगस्त’ को हिरोशिमा दिवस क्यों कहा जाता है ?

Ans: ‘6 अगस्त’ को हिरोशिमा दिवस इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन अमेरिका द्वारा जापान पर अणु बम गिराया गया था।

Q. हिरोशिमा कहाँ स्थित है ?

Ans: हिरोशिमा जापान में स्थित है।

Q. नागासाकी में हमला किस दिन हुआ ?

Ans: नागासाकी में 9 अगस्त 1945 को दूसरा परमाणु बम हमला हुआ।

Q. नागासाकी कहाँ स्थित है ?

Ans: नागासाकी जापान में स्थित है।

Q. नागासाकी पर गिराए जाने वाले बम का नाम क्या था ?

Ans: नागासाकी पर गिराए जाने वाले बम का नाम फैट मैन था।

Q. हिरोशिमा के मेयर कौन हैं ?

Ans: हिरोशिमा के मेयर Kazumi Matsui (काजुमी मात्सुई ) हैं।

Q. हिरोशिमा पर परमाणु बम किसने गिराया था ?

Ans: हिरोशिमा पर परमाणु बम अमरीकी बी-29 बमवर्षक विमान ने गिराया था।

Q. हिरोशिमा हमले में कितने लोगों की मृत्यु हुई ?

Ans: हिरोशिमा हमले में करीब 1,35,000 लोगों की मृत्यु हुई।

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