मैरी कॉम की प्रेरणा देने वाली कहानी 2022 | About Mary Kom’s Inspirational Life in Hindi

मैरी कॉम, ये नाम सुनते ही सिर गर्व से ऊंचा हो उठता है और चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है।  लड़कियों के लिए मैरी कॉम  एक मिसाल है, एक ऐसी मिसाल जो हर लड़की को उसका सपना पूरा करने की हिम्मत देती है, ये एहसास दिलाती है कि अगर दिल से चाहो और मेहनत करो तो कोई सपना अधूरा नहीं रहता। 

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मैरी कॉम कौन हैं ?

मैरी कॉम का पूरा नाम मांगते चुंगनेजंग मैरी कॉम  है।  मैरी कॉम  का जन्म 1 मार्च 1983 में कन्गथेइ, मणिपुरी, भारत में हुआ था।  इनके पिता गरीब किसान थे।  मैरी कॉम  चार बहन भाई में सबसे बड़ी हैं।  कम उम्र से ही मैरी कॉम बहुत मेहनती रही है, अपने माता पिता की मदद करने के लिए वे भी उनके साथ काम करती थी।  साथ ही वे अपने भाई बहनों की देखभाल भी करती थी।

एक महिला खिलाड़ी जिन्होंने अपनी महान उपलब्धियों से भारत को गौरवान्वित किया है, ऐसी महान महिला का नाम है मैरी कॉम , (मांगते चुंगनेजंग मैरी कॉम )।

मैरी कॉम थी ओलिंपिक में पहुँचने वाली पहली महिला बॉक्सर

 मैरी कॉम  ने 2012 में हुए ओलंपिक में क्वालीफाई किया था, और ब्रोंज मैडल हासिल किया था।  पहली बार कोई भारतीय बॉक्सर महिला यहाँ तक पहुंची थी।  इसके अलावा वे 5 बार वर्ल्ड बॉक्सर चैम्पियनशीप जीत चुकी हैं।  मैरी कॉम  ने अपने बॉक्सिंग करियर की शुरुवात 18 साल की उम्र में ही कर दी थी। 

एक सफल बॉक्सर बनने तक का सफर मैरी कॉम के लिए आसान नहीं था। सफलता तक पहुँचने के लिए मैरी कॉम ने दिन रात मेहनत की और उनकी मेहनत रंग लायी।

मैरी कॉम पर बनी फिल्म

मैरी कॉम के जीवन पर ‘मैरी कॉम’ नामक एक फिल्म बनाई गयी जिसमे मैरी कॉम की भूमिका प्रिंयंका चोपड़ा ने निभाई। इस फिल्म का प्रदर्शन 2014 में हुआ था।

कई मुश्किलों के बावजूद भी मैरी कॉम ने सपने को पूरा किया

मैरी कॉम को मंगते परिवार ने बहुत मुश्किलों से क्रिश्चियन मॉडल हाई स्कूल तथा सेंट जेवियर, मोइरांग, मणिपुर के स्कूल में शिक्षा दिलाई । मैरी कॉम ने आदिमजाति हाईस्कूल, इम्फाल में हाई स्कूल की परीक्षा दी थी लेकिन वह इस परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हों सकीं । वे इस स्कूल की परीक्षा में दोबारा नहीं बैठना चाहती थीं, अत: उन्होंने स्कूल ना जाने का निर्णय लिया और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से परीक्षा देने का निर्णय लिया ।

मैरी कॉम का डेडिकेशन एथलेटिक्स की ओर अधिक था और एथलेटिक्स में जाने पर उन्हें बॉक्सिंग की ओर आकर्षण प्रतीत हुआ । बारहवीं की किताबी शिक्षा उन्हें रुचिकर नहीं लग रही थी । उनकी तीन बहनों व एक भाई ने अच्छी शिक्षा प्राप्त की थी, लेकिन वे भी ठीक-ठाक कमाई करने में असमर्थ थे ।

अत: मेरी कॉम का झुकाव बॉक्सिंग की ओर बढ़ता गया । घर की आर्थिक तंगी से भी परिवार परेशान था यद्यपि मैरी कॉम के पास अच्छे भोजन का इंतजाम नहीं था, परन्तु वह बॉक्सिंग में तत्परता से लड़ने को तैयार थीं ।

मैरी कॉम पाँच बार विश्व बॉक्सिंग चैंपियन रह चुकी है

मैरी कॉम पाँच बार विश्व बॉक्सिंग चैंपियन रह चुकी है और 6 विश्व चैंपियनशिप में हर एक चैंपियनशिप में मैडल जीतने वाली पहली महिला बॉक्सर है।  वे “शानदार मैरी” के नाम से भी जानी जाती हैं, वे अकेली ऐसी भारतीय महिला बॉक्सर है जिन्हें समर 2012 के ओलिंपिक में चुना  गया था

उन्होंने 51 kg की केटेगरी के अंदर अपने प्रतिस्पर्धी को हराकर ब्रोंज मैडल जीता।  AIBA की विश्व महिला पहलवान की रैंकिंग में मैरी कॉम चौथे स्थान पर है।  2014 में इंचेओं, साउथ कोरिया के एशियाई खेलो में गोल्ड मैडल जितने वाली वे पहली भारतीय महिला बॉक्सर रही।

गोल्ड मेडलों को हासिल करने के लिए मैरी कॉम जीतोड़ कड़ी मेहनत करती हैं।   वे बहुत शिद्दत से मुक्केबाजी की ट्रेनिंग करती हैं।  मैरीकॉम को ‘सुपरमॉम’ के नाम से भी जाना जाता है।  31 वर्षीय मैरीकॉम के तीन बच्चे हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने बॉक्सिंग करना नहीं छोड़ा. उनकी फिटनेस देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो तीन बच्चों की मां हैं।

मैरी कॉम की शिक्षा

मैरी कॉम ने कई कठिनाइयों के  के बाद भी पढाई की और उनकी पढाई की शुरुआत  ‘लोकटक क्रिस्चियन मॉडल हाई स्कूल’ से हुई, जहाँ उन्होंने छठी कक्षा तक पढाई की।  इसके बाद मैरी कॉम संत ज़ेवियर कैथोलिक स्कूल में पढ़ी, जहाँ से इन्होने कक्षा आठवीं की परीक्षा पास की। 

आगे की पढाई के लिए वे आदिमजाति हाई स्कूल  गई, किन्तु वे परीक्षा में पास नहीं हो पाई।  स्कूल की पढाई मैरी कॉम ने बीच में ही छोड़ दी और आगे उन्होंने NIOS की परीक्षा दी।  इसके बाद इन्होंने अपना ग्रेजुएशन चुराचांदपुर कॉलेज, इम्फाल (मणिपुर की राजधानी) से किया।

मैरी कॉम का शुरुआती करियर

मैरी कॉम को बचपन से ही एथलीट बनने का शौक रहा, स्कूल के समय में वे फुटबॉल जैसे खेल में हिस्सा लेती थी। आप ये जानकार हैरान होंगे कि उन्होंने बॉक्सिंग में कभी भाग नहीं लिया था।  सन 1998 में बॉक्सर ‘डिंगको सिंह’ ने एशियन गेम्स में गोल्ड मैडल जीता, वे मणिपुर के थे।  उनकी इस जीत से उनकी पूरी मातृभूमि झूम उठी थी। 

यहाँ मैरी कॉम ने बॉक्सिंग करते हुए डिंगको को देखा, और इसे अपना करियर बनाने की ठान ली थी।  इसके बाद उनके सामने पहली चुनौती थी, अपने घर वालों को इसके लिए राजी करना।  छोटी जगह के साधारण से ये लोग, बॉक्सिंग को पुरुषों का खेल समझते थे। 

उन्हें लगत था कि लड़कियों के लिए यह एथेलेटिक्स खेल सुरक्षित नही है , और उन्हें लगता था कि इस तरह के खेल में बहुत ताकत और मेहनत लगती है, जो इस कम उम्र की लड़की के लिए ठीक नहीं थी।

मैरी कॉम की बॉक्सिंग ट्रेनिंग

 मैरी कॉम ने मन में ठान लिया था कि वे अपने लक्ष्य तक जरुर पहुंचेंगी, चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी क्यों न करना पड़े।   मैरी कॉम ने अपने माता पिता  को बिना बताये इसके लिए ट्रेनिंग शुरू कर दी।  एक बार इन्होने ‘खुमान लम्पक स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स’ में लड़कियों को लड़कों से बॉक्सिंग करते देखा, जिसे देख वे स्तब्ध रह गई।  यहाँ से उनके मन में उनके सपने को लेकर विचार और परिपक्व हो गए। 

वे अपने गाँव से इम्फाल गई और मणिपुर राज्य के बॉक्सिंग कोच एम् नरजीत सिंह से मिली और उन्हें ट्रेनिंग देने के लिए निवेदन किया।  वे इस खेल के प्रति बहुत भावुक थी, साथ ही वे एक जल्दी सीखने वाली विद्यार्थी थी।  ट्रेनिंग सेंटर से जब सब चले जाते थे, तब भी वे देर रात तक अभ्यास  करती  थी।

 मैरी  कॉम के करियर की शुरुआत 

बॉक्सिंग शुरू करने के बाद मैरी  कॉम को पता था कि उनका परिवार उनके बॉक्सिंग में करियर बनाने के विचार को कभी नहीं मानेगा, जिस वजह से उन्होंने इस बात को अपने परिवार से छुपा कर रखा था।  1998 से 2000 तक वे अपने घर में बिना बताये इसकी ट्रेनिंग लेती रही। 

सन 2000 में जब मैरी  कॉम ने ‘वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप, मणिपुर’ में जीत हासिल की, और इन्हें बॉक्सिंग में पुरस्कार मिला, तो वहां के हर एक समाचार पत्र में उनकी जीत की बात छपी, तब उनके परिवार को भी उनके बॉक्सर होने का पता चला।  इस जीत के बाद उनके घर वालों ने भी उनकी इस जीत का जश्न मनाया।  इसके बाद मैरी  कॉम ने पश्चिम बंगाल में आयोजित ‘वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ में गोल्ड मैडल जीत, अपने राज्य का नाम रौशन किया।

 मैरी कॉम ने जीती नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप

मैरी कॉम ने वर्ष 2001 में पहली बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। प्रथम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के अपने अनुभव के बारे में वह बताती है कि वे काफ़ी घबराई हुई थी। तब उन्होंने सोचा उनके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, पर पाने के लिए बहुत कुछ है। इस सोच के साथ मैरी कॉम ने व‌र्ल्ड वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया।

मैरी कॉम ने AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप में सिल्वर मैडल जीता

2001 – सन 2001 में मेरी ने अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अपना करियर शुरू किया।  इस समय इनकी उम्र मात्र 18 साल थी।  सबसे पहले इन्होने अमेरिका में आयोजित AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप, 48 kg वेट केटेगरी में हिस्सा लिया और यहाँ सिल्वर मैडल जीता। 

इसके बाद सन 2002 में तुर्की में आयोजित AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप, 45 kg वेट केटेगरी में वे विजयी रहीं और इन्होने गोल्ड मैडल अपने नाम किया।  इसी साल मैरी कॉम ने हंगरी में आयोजित ‘विच कप’ में 45 वेट केटेगरी में भी गोल्ड मैडल जीता।

मैरी कॉम ने एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप में जीता स्वर्ण पदक

2003 – सन 2003 में भारत में आयोजित ‘एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ में 46 kg वेट केटेगरी में मेरी ने गोल्ड मैडल जीता।  इसके बाद नॉर्वे में आयोजित ‘वीमेन बॉक्सिंग वर्ल्ड कप’ में एक बार फिर मैरी कॉम को गोल्ड मैडल मिला।  

2005 – सन 2005 में ताइवान में आयोजित ‘एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ 46 kg वेट क्लास में मैरी कॉम  को फिर से गोल्ड मैडल मिला।  इसी साल रसिया में मेरी ने AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप भी जीती।

2006 – सन 2006 में डेनमार्क में आयोजित ‘वीनस वीमेन बॉक्स कप’ एवं भारत में आयोजित AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप में मैरी कॉम ने जीत हासिल कर, गोल्ड मैडल जीता।

2008 – एक साल का ब्रेक लेकर मैरी कॉम 2008 में फिर वापस आई और भारत में आयोजित ‘एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ में सिल्वर मैडल जीता।  इसके साथ ही AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप चाइना में गोल्ड मैडल जीता।

2009 – सन 2009 में वियतनाम में आयोजित ‘एशियन इंडोर गेम्स’ में मैरी कॉम ने गोल्ड मैडल जीता।

2010 – सन 2010 कजाखस्तान में आयोजित ‘एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ में मैरी कॉम ने गोल्ड मैडल जीता, इसके साथ ही मैरी कॉम ने लगातार पाचंवी बार AIBA वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप में गोल्ड मैडल जीता।  इसी साल मैरी कॉम ने एशियन गेम्स में 51 kg वेट क्लास में हिस्सा लेकर ब्रोंज मैडल जीता था।  2010 में भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स का भी आयोजन हुआ था, यहाँ ओपनिंग सेरेमनी में विजेंदर सिंह के साथ मैरी कॉम भी उपस्थित थी।  इस गेम्स में वीमेन बॉक्सिंग गेम का आयोजन नहीं था, जिस वजह से मेरी यहाँ अपनी प्रतिभा नहीं दिखा सकीं।

2011 – सन 2011 में चाइना में आयोजित ‘एशियन वीमेन कप’ 48 kg वेट क्लास में गोल्ड मैडल जीता।

2012 – सन 2012 में मोंगोलिया में आयोजित ‘एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशीप’ 51 kg वेट क्लास में गोल्ड मैडल जीता।  इस साल लन्दन में आयोजित ओलंपिक में मैरी कॉम को बहुत सम्मान मिला, वे पहली महिला बॉक्सर थी जो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई हुई थी।  यहाँ मैरी कॉम को 51 kg वेट क्लास में ब्रोंज मैडल मिला था।  इसके साथ मैरी कॉम तीसरी भारतीय महिला थी, जिन्हें ओलंपिक में मैडल मिला था।

2014 – सन 2014 में साउथ कोरिया में आयोजित एशियन गेम्स में वीमेन फ्लाईवेट (48-52kg) में मैरी कॉम ने  गोल्ड मैडल जीता और इतिहास रच दिया।

मेरी कॉम अवार्ड्स एवं अचीवमें

2003अर्जुन अवार्ड
2006पद्म श्री अवार्ड
2007खेल के सबसे बड़े सम्मान ‘ राजीव गाँधी खेल रत्न’ के लिए नोमिनेट किया गया।
2007लिम्का बुक रिकॉर्ड द्वारा पीपल ऑफ़ दी इयर का सम्मान मिला।
2008CNN-IBN एवं रिलायंस इंडस्ट्री द्वारा ‘रियल हॉर्स अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।
2008पेप्सी MTV यूथ आइकॉन।
2008AIBA द्वारा ‘मैग्निफिसेंट मैरी’ अवार्ड।
2009राजीव गाँधी खेल रत्न दिया गया।
2010सहारा स्पोर्ट्स अवार्ड द्वारा स्पोर्ट्सवीमेन ऑफ़ दी इयर का अवार्ड दिया गया।
2013देश के तीसरे बड़े सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

 35 की उम्र, 3 बच्चों की मां, सामने 22 साल की बॉक्सर, फिर भी मैरी कॉम ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डाला

जिन लोगों को लगता है कि वो जिंदगी में कुछ नहीं कर पा रहे हैं, या कुछ करना तो चाहते हैं मगर हो नहीं पाता है, उन्हें मणिपुर से आने वाली भारतीय बॉक्सर एमसी मैरीकॉम से प्रेरणा लेनी चाहिए।  35 साल की मैरी कॉम ने छठी बार बॉक्सिंग की वर्ल्ड चैंपियनशिप जीत ली है।  तीन बच्चों की मां मैरी कॉम ऐसा करने वाली इकलौती महिला बॉक्सर हैं।

दिल्ली में हो रहे इस इवेंट में मैरी कॉम के सामने 22 साल की नौजवान बॉक्सर थी जिसे 5-0 से हराकर ये खिताब जीता है।  यूक्रेन की हन्ना ओखोटा को 48 किलो भार वर्ग में हराकर मैरी ने इस इंवेट के इतिहास के सबसे ज्यादा 7 मेडल जीते हैं।  6 गोल्ड और एक सिल्वर। 

यानी जब ये चैंपियनशिप 2001 में शुरू हुई थी तो मैरी ने सिल्वर मेडल जीता था। उसके बाद लगातार 5 बार वो गोल्ड जीत चुकी हैं।

इस जीत के बाद आंखों में आंसू लिए मैरी कॉम ने कहा,” मैं उन तमाम लोगों का शुक्रिया करना चाहती हूं जो मेरे इस फाइनल मुकाबले को देखने आए और मुझे सपोर्ट करते रहे।  मेरे पास देश को देने के लिए इस गोल्ड मेडल के अलावा कुछ नहीं है।  मुझे उम्मीद है कि मैं अब 2020 के टोक्यो ओलंपिक्स में भी देश के लिए गोल्ड जीत पाउंगी।.”

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FAQ’s

Q. मैरी कॉम का पूरा नाम क्या है ?

Ans: मैरी कॉम का पूरा नाम मांगते चुंगनेजंग मैरी कॉम  है। 

Q. मैरी कॉम  का जन्म कब हुआ ?

Ans:  मैरी कॉम  का जन्म 1 मार्च 1983 में हुआ।

Q. मैरी कॉम  का जन्म कहाँ हुआ ?

Ans: मैरी कॉम  का जन्म कन्गथेइ, मणिपुरी, भारत में हुआ था। 

Q. मैरी कॉम कितनी बार वर्ल्ड बॉक्सर चैम्पियनशीप जीत चुकी हैं ?

Ans: इसके अलावा वे 5 बार वर्ल्ड बॉक्सर चैम्पियनशीप जीत चुकी हैं।

Q. मैरी कॉम पर बनी फिल्म  का क्या नाम है ?

Ans: मैरी कॉम पर बनी फिल्म का नाम मैरी कॉम है।

Q. मैरी कॉम फिल्म में मैरी कॉम का अभिनय किसने किया ?

Ans: मैरी कॉम फिल्म में मैरी कॉम का अभिनय प्रियंका चोपड़ा ने किया।

Q. मैरी कॉम कितनी बार विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता जीत चुकी है ?

Ans: मैरी कॉम 8 बार ‍विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं।

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