हर व्यक्ति अपने जीवन में निरंतर बेहतर बनना चाहता है। कोई चाहता है कि वह जैसा दिखता है उससे बेहतर दिखे, कोई चाहता है वह हमेशा सभी को खुश रखे तो कोई चाहता है कि वह जीवन में कभी भी ना हारे लेकिन ये सब अपेक्षाएं रखते हुए एक व्यक्ति यह भूल जाता है कि इस संसार में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो परफेक्ट यानी हर काम में निपुण हो। हर व्यक्ति में कोई ना कोई कमी ज़रूर होती है। अपने जीवन को बेहतर बनाने या बेहतर व्यक्ति बनने का प्रयास करना गलत नहीं है लेकिन यदि आप परफेक्ट या हर तरह से निपुण बनने की इच्छा रखते हैं तो यह एक ऐसी इच्छा है जो सिर्फ सपनों में ही पूरी हो सकती है। परफेक्ट बनने की चाहत रखना ऐसा है जैसे ये सोचना कि आपके पास एक जादुई छड़ी आ जाये जो नामुमकिन है।
यदि आप उन चीज़ों को बदलने का प्रयास कर रहे हैं जिन्हे बदलना आपके बस में है तो बहुत अच्छी बात है लेकिन यदि आप उन चीज़ों को बदलने की कोशिश कर रहे हैं जो आपके हाथों में नहीं हैं तो आप दुःख और निराशा को बुलावा दे रहे हैं। ना तो कोई व्यक्ति कभी परफेक्ट था, ना है और ना ही कभी परफेक्ट बन सकता है, यह बात आप जितनी जल्दी समझ जाएं उतना ही अच्छा।
इस तथ्य को स्वीकार करें कि आप हर चीज़ में परफेक्ट यानी निपुण नहीं हो सकते
हम सभी को कहीं ना कहीं यह बात अच्छे से पता तो है कि हम परफेक्ट नहीं है लेकिन हम इस बात को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करते रहते हैं, हम जानते हैं कि हम कभी परफेक्ट नहीं बन सकते तब भी हम निपुणता के पीछे भागते रहते हैं, यह आस लिए कि शायद एक दिन हम परफेक्ट बन जाए और जब ऐसा हो नहीं पाता (क्योंकि ऐसा होना असंभव है) तो हमे सिवाय दुःख और निराशा के कुछ भी नहीं मिलता। जब हम निपुणता प्राप्त नहीं कर पाते तब जाकर हम यह समझते हैं और खुद को समझाते हैं कि कोई भी परफेक्ट नहीं होता है और परफेक्ट ना होना ही एक व्यक्ति की खूबसूरती है लेकिन कई बार यह बात समझने में एक व्यक्ति बहुत देर कर देता है और इस सीख तक पहुँचने के सफर में वो बहुत कुछ खो देता है, कई बार गिरता है, कई बार टूटता है और ये स्वीकार करने में की वह परफेक्ट नहीं बन सकता, वो कभी कभी खुद को भी खो देता है।
ये स्वीकार ना कर पाना कि हम परफेक्ट नहीं है, हमारे अहंकार को दर्शाता है और यह अहंकार हमे यह बात स्वीकार करने से रोकता है कि हम परफेक्ट नहीं बन सकते लेकिन जिस तरह चन्द्रमा दिन में नहीं निकल सकता और सूरज रात में, उसी तरह कोई भी व्यक्ति कितनी भी कोशिश कर ले कभी परफेक्ट नहीं बन सकता। इस बात को स्वीकार करना शुरू करें कि आप परफेक्ट नहीं हैं, आप एक इंसान है जो धीरे धीरे अपने जीवन में आगे बढ़ रहा है, बहुत कुछ नया देख रहा है, गलतियां कर रहा है और उनसे सीख रहा है। आप बेहतर बनने का प्रयास करें परफेक्ट बनने का नहीं। जिस दिन आप इस बात को स्वीकार कर लेंगे कि आप ना परफेक्ट थे ना है और ना बन सकते हैं, उस दिन से आप सिर्फ उन्ही बातों पर फोकस करना शुरू करेंगे जो आपके संयम में है और जो नहीं है उन बातों पर आप ध्यान देना छोड़ देंगे।
खुद से प्यार करने की ओर बढ़ने की पहली सीढ़ी है यह स्वीकारना कि हम परफेक्ट नहीं है
ऐसे बहुत से लोग हैं जो खुद की तुलना दूसरों से करते हैं और इस तुलना के कारण वे खुद को दूसरों से कम आंकते हैं और धीरे धीरे अपने आप को लेकर इनसिक्योर महसूस करने लगते है। इस इंसिक्योरिटी की वजह से कई बार कुछ लोग खुद से नफरत भी करने लगते हैं, उनका आत्मविश्वास एकदम खत्म हो जाता है और वे निरंतर दूसरों की तरह बनने का प्रयास करते हैं। दूसरों से प्रेरणा लेना अच्छी बात है लेकिन निरंतर उनकी तरह बनने की कोशिश करना, यह सोचकर की वे परफेक्ट हैं, ये गलत है। जिनसे भी आप प्रेरित हो रहे हैं, वे भी परफेक्ट नहीं है, हो सकता है जिस व्यक्ति को आप परफेक्ट समझ रहे हैं, वह खुद परफेक्ट बनना चाहता या चाहती हो।
आजकल नवयुवक भी सेलिब्रिटीज को देखकर, उनकी तरह दिखने की कोशिश करते रहते हैं, उन्हें लगता है कि वे सुन्दर नहीं दिखते, उनकी आँखे अच्छी नहीं है या चेहरा सुन्दर नहीं है। वे यह भूल जाते हैं कि ये जो मनोरंजन की दुनिया है ये उनकी दुनिया से बिलकुल अलग है, वे इन सेलिब्रिटीज के चेहरों और जीवन को परफेक्ट समझकर खुद के चेहरों और जीवन से नफरत करने लगते हैं। वे यह नहीं जानते कि जो भी उन्हें दिख रहा है वह असल जीवन से बिलकुल अलग है। उन्हें ये लगने लगता ही कि वे भी इन सेलिब्रिटीज की तरह दिख सकते हैं और इसीलिए आजकल चेहरों की सर्जरी और खूबसूरत दिखने के लिए अन्य कई प्रकार की सर्जरी की जा रही हैं।
कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि किसी भी प्रकार की सर्जरी करना गलत है, हर व्यक्ति को वो करना चाहिए जो वह चाहता है लेकिन यदि आप ये सब सिर्फ दूसरों की तरह बनने के लिए या परफेक्ट बनने के लिए कर रहे हैं तो यह असंभव है क्यूंकि जिस व्यक्ति को आज खुद में कमियां दिख रही हैं, उसे कल और परसो भी खुद में कोई ना कोई कमी दिखाई देगी और इस परफेक्शन को प्राप्त करने के चक्कर में वह व्यक्ति अपनी विशिष्टता खो बैठेगा। खुद से प्यार करने की जगह खुद से नफरत करने लगेगा।
खुद से प्यार करना बहुत ज़रूरी है और यदि खुद से प्यार करना है तो जैसे आप हैं खुद को वैसे ही स्वीकारें। चाहे आपका रूप रंग कैसा भी हो, उस पर ध्यान ना देकर एक बेहतर इंसान बनने का प्रयास करें क्योंकि रूप- रंग हमेशा एक जैसा नहीं रहता। किसी की खूबसूरती की तारीफ़ करना अच्छी बात है लेकिन उससे खुद की तुलना कर खुद को कम आंकना अच्छी बात नहीं है , हो सकता है उस व्यक्ति में वो सब अच्छी बातें ना हो जो आप में हैं।
परफेक्ट बनने के चक्कर में खुद को ना खो दें
कुछ लोग परफेक्ट बनने के चक्कर में खुद पर दबाव बना लेते हैं, वो इस बोझ तले खुद को दबा देते हैं कि उन्हें हर समय अच्छा बनकर रहना है, कोई भी गलती नहीं करनी और यह सब करते करते वे सबकी नज़रों में अच्छे बन पाएं या ना बन पाएं, वे खुद को खो देते हैं। जीवन में कभी गलती ना करना या हर किसी को पसंद आना नामुमकिन है। ऐसे बहुत से लोग होंगे जो आपसे बहुत प्यार करेंगे, कुछ लोग आपको बिलकुल भी पसंद नहीं करते होंगे और कुछ लोगो के जीवन में आपका कोई महत्त्व भी नहीं होगा और ये सब बिलकुल नार्मल है। हम हर किसी के लिए एक ही जैसे नहीं बन सकते।
आप एक इंसान है जिसे कभी गुस्सा भी आएगा, जो नाराज़ भी होगा और जो गलतियां भी करेगा और ये सब नार्मल है। गलत है गुस्सा होने के बाद यह एहसास ना होना कि आप कुछ ज़्यादा ही बोल गए या गलती करने के बाद उसे सुधारने की कोशिश ना करना। दूसरों की नज़रों में परफेक्ट बनने के चक्कर में खुद को ना खो दें। यदि ऐसा कोई व्यक्ति आपके जीवन में आ भी जाए जिसे लगे की आप परफेक्ट हैं तो सोचिये ये बात कितनी खतरनाक साबित भो सकती है।
जो व्यक्ति आपको परफेक्ट समझने लगेगा, वह हमेशा आपसे यह उम्मीद करेगा कि आप कभी किसी का दिल ना दुखाएं, कभी कोई गलती ना करें और यह असंभव है। यदि आप ऐसा कोई भी काम कर देंगे जो उस व्यक्ति के परफेक्ट होने की परिभाषा में ना आता हो, उस दिन आप उसक लिए परफेक्ट नहीं रहेंगे। इसलिए परफेक्शन के पीछे भागने के चक्कर में खुद से दूर ना भागें, अपने करीब रहे, खुद को स्वीकार करें और प्यार करें।
इम्पेर्फेक्शन यानी आप हर चीज़ में निपुण नहीं हो सकते इस बात से भी प्यार करना सीखें
जी, इम्पेर्फेक्शन से प्यार करना सीखें, खुद से प्यार करना सीखें। हर रोज़ सुबह उठने के बाद जब खुद को शीशे में देखें तो अपने चेहरे में आपको जो भी कमियां दिखती हैं, उनसे प्यार करना सीखें। हर रोज़ खुद से कहें कि क्या हुआ अगर किसी को आपका रंग पसंद नहीं, तो क्या हुआ अगर किसी को आप सुन्दर नहीं लगते, तो क्या हुआ अगर किसी को आपकी आवाज़ पसंद नहीं आती । जैसे आपको पसंद ना करने वाला इंसान परफेक्ट नहीं है वैसे ही आप भी परफेक्ट नहीं है और अपनी इम्पेर्फेक्शन से प्यार करना सीखें।
क्या हुआ अगर आपने कोई गलती की, आप परफेक्ट नहीं है और गलतियां करना भी नार्मल है। उस गलती से सीख लें और दोबारा ना दोहराने का प्रयास करें। अगर आप परेशान हैं या ये नहीं समझ पा रहे हैं कि आपको जीवन में करना क्या है तो कोई बात नही खुद को एक हारे हुए इंसान कि श्रेणी में ना जोड़ें , आप परफेक्ट नहीं हैं और कोई भी नहीं होता। अगर आपको आपकी आँखें नहीं पसंद क्योंकि लोग ऐसा कहते हैं कि आपके आँखें सुन्दर नहीं है तो लोगों की और उनके कारण आपकी नज़र में ये जो इम्पेर्फेक्शन है इससे प्यार करना सीखें क्योंकि आप खुशनसीब हैं कि आप देख सकते हैं, सुन सकते हैं, बोल सकते हैं और चल सकते हैं , इस दुनिया में ना जाने ऐसा कितने लोग है जो ये सब नहीं कर सकते।
यह भी पढ़े :
FAQ’s
क्या हर काम में परफेक्ट होना जरुरी है ?
जी नहीं, यह बिलकुल जरूरी नहीं की आप हर काम में परफेक्ट ही हों, जरुरी है आप जो भी काम कर रहें है उसे आप अपने पुरे फोकस के साथ आनंदपूर्वक करें बाकी परफेक्शन भी काम करते करते अपने आप आ जाता है।