अपनी सोच को सोल्युशन ओरिएंटेड यानी समाधान केंद्रित कैसे बनाएं | Solution Oriented Thinking in Hindi

समस्याएं तो हर व्यक्ति के जीवन में आती हैं।  इस संसार में ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं है जिसके जीवन में समस्याओं ने कभी दस्तक ना दी हो।  समस्या एक बिन बुलाये मेहमान की तरह है , आप चाहें या ना चाहें, समस्याएं आपके जीवन रुपी इस घर में प्रवेश ज़रूर करेंगी, कभी कम समय के लिए तो कभी लम्बे समय तक रहेंगी लेकिन आप इन समस्याओं से कैसे निपटते हैं, वो सम्पूर्णतः आप पर निर्भर करता है।

कुछ लोग समस्या आते ही घबरा जाते हैं और परेशान रहते हैं, वहीँ कुछ लोग समस्या से निरंतर परेशान रहने की जगह समस्या का समाधान निकालने का प्रयास करते हैं और यहीं से पता चलता है एक खुश और दुखी व्यक्ति के बीच का अंतर। जिस व्यक्ति का पूरा ध्यान उसकी समस्या पर होता है, समस्या के समाधान पर नहीं, वह हमेशा दुखी रहता है, वहीँ जिस व्यक्ति का ध्यान समस्या का समाधान निकालने पर रहता है, वह हमेशा खुश रहता है इसलिए यदि खुश रहना है तो अपनी सोच को समस्या केंद्रित नहीं समाधान केंद्रित बनाएं। 

आज के समय में हर दूसरा व्यक्ति परेशान है

यह बात तो आप भी मानेंगे की आज के समय में हर दूसरा व्यक्ति किसी ना किसी समस्या से गुज़र रहा है, कुछ लोग तो कभी कभी इस बात से भी परेशान हो जाते हैं कि उनके जीवन में सब बढ़िया चल रहा है, कोई समस्या ही नहीं है, यदि कोई परेशानी आ गई तो क्या होगा और इस सोच के चलते एक ऐसा व्यक्ति जिसके जीवन में सब बढ़िया चल रहा है, वो भी परेशानी को अपने जीवन में बुलावा देकर गले लगा लेता है।  यदि एक कमरे में 4  लोग बैठे हैं और उनमे से एक यह कह दे की वह परेशान है तो इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि कुछ ही सेकंड में बचे हुए तीन व्यक्ति भी अपनी परेशानी बताने लगते हैं। 

यदि आप यह सोच रहे है कि आप अकेले ही परेशान है तो ऐसा नहीं है, ना जाने ऐसे कितने लोग है जो रोज़ छोटी से छोटी बातों के कारण भी बहुत परेशान हो जाते हैं और यही छोटी छोटी बातों के कारण परेशान होना खतरे की घंटी है।  ऐसे लोगो का मन और मस्तिष्क कभी शांत नहीं रहता। 

हम आसानी से समस्याओं का समाधान क्यों नहीं निकाल पाते हैं ?

ऐसा कई बार होता है कि समस्या तो बहुत छोटी सी होती है लेकिन उसके बारे में सोच सोचकर हम इतने परेशान हो जाते हैं कि वो छोटी सी समस्या कब बहुत बड़ी बन जाती है हमे पता ही नहीं चल पाता। बहुत बार समस्या का समाधान हमारे सामने ही होता है लेकिन हम अपनी समस्या के बारे में सोचते में इतना समय व्यर्थ कर देते हैं कि उस समाधान को देख ही नहीं पाते। 

ऐसा आपके साथ भी कई बार होता होगा कि जब आपको कोई चीज़ नहीं मिलती तो आप अपनी माँ को आवाज़ लगाते हैं और जो चीज़ आपको घंटो से नहीं मिल रही होती वो आपकी माँ दो मिनट में आपको दे देती हैं और कहती हैं “सामने ही तो पड़ा था, दिखाई नहीं देता ? तुम्हे तो बस हर चीज़ तुम्हारे हाथ में चाहिए। “? ऐसा होता है ना? ऐसा ही आपकी समस्याओं के साथ भी होता है, समाधान आपके सामने ही होता है, आप जानते हैं कि समाधान क्या है लेकिन आप अपनी समस्या के बारे में सोचना बंद करेंगे तभी तो समाधान की ओर बढ़ पाएंगे। 

पहले समस्याओं के जाल से निकलें, ये तय करें कि आपको समाधान ढूंढ़ना हैं तभी तो आप समाधान ढूंढ पाएंगे। 

समस्या केंद्रित सोच की जगह समाधान केंद्रित सोच अपनाना क्यों है ज़रूरी?

जैसा आप सभी जानते हैं कि आजकल ऐसे बहुत से लोग हैं जो किसी ना किसी तरह की मानसिक बीमारी के शिकार हैं।  कुछ लोग इस मानसिक बीमारी का इलाज करने के लिए मानसिक रोग विशेष्यज्ञों के पास जाते हैं, वहीँ कुछ लोग अपनी मानसिक स्थिति की समस्या की बात किसी को भी बताने में हिचकिचाते हैं। 

चाहे वो नौकरी ना लगने की समस्या हो, शादी शुदा जीवन में खटास हो या अन्य कोई भी परेशानी, अधिकतर लोगों की सोच समस्या केंद्रित होने के कारण उनका आधे से ज़्यादा समय समस्या में उलझे हुए और दुःख में व्यतीत हो जाता है।  उन्हें ऐसा लगता है जैसे इस समस्या से निकलने का उन के पास कोई रास्ता ही नहीं और इसी के चलते कई लोग गलत कदम भी उठा लेते हैं जो उनके और उनके परिवार वालों के लिए घातक सिद्ध होते हैं।

समस्या केंद्रित सोच की जगह समाधान केंद्रित सोच अपनाना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि समस्या केंद्रित सोच वाला व्यक्ति हमेशा परेशान रहता है और उसके जीवन में समस्याएं ही समस्याएं आती हैं, वहीँ जो व्यक्ति समाधान केंद्रित सोच रखता है, वह समस्या के आने पर परेशान तो ज़रूर होता है लेकिन जल्द ही उसका समाधान खोजने लगता है और जब भी आप अपनी समस्या का समाधान ढूंढने लगेंगे, आप खुद देखेंगे कि आप सकारात्मक ऊर्जा से भरने लगेंगे और आपके दिल में एक नई आशा की किरण जन्म लेगी, आपको यह लगने लगेगा की आपकी समस्या का जल्द ही समाधान होगा। 

समस्या केंद्रित सोच वाला व्यक्ति हमेशा नकारात्मकता से घिरा रहता है, उसके माथे के शिकन से ही आप पता लगा सकते हैं कि वह कितना परेशान है, वहीँ एक समाधान केंद्रित सोच वाला व्यक्ति समस्याओं से डरता नहीं है, वह जानता है कि समस्या चाहे जो भी हो उसका समाधान ज़रूर होगा और ऐसे व्यक्ति के चेहरे की चमक दूर से ही दिखने लगती है। 

यदि आप भी चाहते है की आप खुश रहे, सकारात्मकता से भरे रहे तो समस्या आने पर उसके समाधान की ओर  ध्यान दें।

यह भी पढ़े :

FAQ’s

Q. समाधान केंद्रित सोच क्या होती है ?

Ans: जब मनुष्य जीवन में कोई समस्या आने पर समस्या के बारे में न सोच के बल्कि उसके समाधान के बारे में सोचे उसे समाधान केंद्रित सोच कहते है।

Leave a Comment