विश्वकर्मा जयंती क्या है और कब मनाई जाती है | Vishwakarma Jayanti in Hindi

विश्वकर्मा जयंती भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन पर मनाई जाती है। विश्वकर्मा जयंती हर वर्ष सितम्बर 17 या  सितम्बर 18  को, जब  भारतीय भादो/भद्रा/ भद्राबा/ भद्रपदा महीने का अंत होता है, मनाई जाती है।  यह जयंती कन्या संक्रांति को मनाई जाती है। इस वर्ष विश्वकर्मा जयंती 17 सितम्बर को मनाई जाएगी। 

भगवान विश्वकर्मा कौन थे ?

भगवान विश्वकर्मा को इस संसार का निर्माता माना जाता है।  ऐसा कहा जाता है कि भगवान् विश्वकर्मा ने द्वारका नगरी का निर्माण किया था।  उन्होंने पांडवों के इंद्रप्रस्थ महल, स्वर्गलोक, लंका आदि  और देवताओं के लिए कई शस्त्रों की रचना भी की।   ऋग्वेद में भगवान् विश्वकर्मा को ब्रह्माण्ड के वास्तविक निर्माता और वास्तुकार बताया  गया है।

विश्वकर्मा जयंती पर कौन पूजा करते है ?

विश्वकरम जयंती प्रमुख रूप से कारखानों और औद्योगिक क्षेत्रों में मनाई जाती है। यह जयंती सिर्फ इंजीनियर और

वास्तुकारों  के द्वारा ही नहीं बल्कि उद्योगों में काम करने वाले कर्मी, शिल्पकार, कारखानों में काम करने वाले मज़दूरों आदि द्वारा भी मनाई जाती है।  यह जयंती भारत के कई क्षेत्रों में मनाई जाती है।

विश्वकर्मा जयंती का क्या महत्त्व है ?

वास्तुकार, इंजीनियर, शिपकार आदि के लिए विश्वकर्मा जयंती बहुत महत्वपूर्ण है।  इस दिन सभी भगवान् विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।  उनसे अपने व्यपार में बढ़ोत्तरी और उन्नति की मनोकामना करते है।  ऐसा माना जाती है विश्वकर्मा जयंती पर भगवान् विश्वकर्मा की पूजा करने से भगवान्पू विश्वकर्मा पूजा करने वालों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस दिवस पर अस्त्रों और औज़ारों की पूजा भी की जाती है।  इस दिन उद्योगों में प्रयोग होने वाली मशीनों की पूजा की जाती है।

भगवान विश्वकर्मा के मंदिर

भारत में भगवान् विश्वकर्मा के जो मंदिर हैं उनमें गुवाहाटी में स्थित भगवान विश्वकर्मा का मंदिर भारत का सबसे पुराना मंदिर है।  इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1965  में हुआ था और कहा जाता है कि भगवान् विश्वकर्मा के इस मंदिर को कामाख्या मंदिर के पुजारी भाबा कांता सरमाह जी द्वारा महाबीर प्रसाद धिरासरिया के साथ मिलकर स्थापित किया गया था।  

हर वर्ष विश्वकर्मा जयंती पर पूरे देश से हज़ारों लोग विश्वकर्मा मंदिर जाकर भगवान् विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। 

भगवान् विश्वकर्मा के मंदिरों की सूची

1.बागसेवनिया, भोपाल
2.देहरादून
3.गुवाहाटी
4.जबलपुर
5.अहमदाबाद
6.बैंगलोर
7.जालंधर
8.इंदौर
9.सूरत
10.जमशेदपुर
11.अम्बाला
12.गाज़ियाबाद
13.पटना
14.पटियाला
15.लखनऊ आदि

विश्वकर्मा पूजा मंत्र

ओम आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:।

भगवान् विश्वकर्मा जी की पूजा पूरा ध्यान लगाकर करनी चाहिए और पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए।  यह पूजा एक व्यक्ति को अपनी पत्नी के साथ बैठकर पूरे विधि विधान के साथ करनी चाहिए। 

भगवान् विश्वकर्मा की मूर्ती

वैसे तो भारत के अलग अलग क्षेत्रों में भगवान् विश्वकर्मा की मूर्ती का अलग अलग रूपों में चित्रण हैं लेकिन भारत के उत्तरी और उत्तर पश्चिमी भागों में उनका सबसे लोकप्रिय चित्रण हैं – मूर्ती जिसमे भगवान् विश्वकर्मा के चार हाथ, सफ़ेद दाढ़ी है और वे अपने वाहन हंस पर विराजमान है।  आमतौर पर भगवान् विश्वकर्मा की जो मूर्ती है , उसमें वे एक सिंहासन पर विराजमान दिखाई देते हैं और उनके पुत्र उनके आस पास खड़े दिखाई देते हैं।  उनके हाथों में स्केल, कमण्डलु और किताब दिखाई देती है। 

वहीँ भारत के पूर्वी भागों में भगवान् विश्वकर्मा की जो मूर्ती है, उसमे भगवान् विश्वकर्मा का चित्रण एक शक्तिपूर्ण युवा का है।  उनकी काली मूछे हैं उनके इस चित्रण में उनके पुत्र भी उनके आस पास नहीं दिखाई देते है। इस चित्रण में वे एक हाथी पर विराजमान दिखाई देते हैं।

FAQ’s

Q. भगवान विश्वकर्मा के पिता कौन थे ?

Ans: भगवान् विश्वकर्मा को भगवान् ब्रह्मा का सातवा धर्म पुत्र माना जाता है। 

Q. भगवान विश्वकर्मा कौन हैं ?

Ans: भगवान विश्वकर्मा को इस संसार का निर्माता माना जाता है।

Q. भगवान् विश्वकर्मा का जन्म कब हुआ ?

Ans: ऐसा कहा जाता है कि भगवान् विश्वकर्मा का जन्म सितम्बर 17  को हुआ था।

Q. भगवान् विश्वकर्मा का जन्म कैसे हुआ ?

Ans: ऐसा माना जाता है कि भगवान् विश्वकर्मा का जन्म समुद्र मंथन के द्वारा हुआ।

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