जुगुनू कविता | Jugnu Poem

जुगुनू कविता

जुगुनू रात का, चांदनी और तारो के टिमटिमाने से रिश्ता पुराना है। हर बचपन के कुछ किस्से जरूर जुड़े हैं चांद और सितारों से, कभी दादाजी के गोद में, आंगन में बैठ आसमा को झिलमिल चांदनी चादर ओढ़े भी पाया है। लेकिन रात का साथ जब ये दोनों ना दें तब कौन हमारे किस्सों में … Read more