अपामार्ग (चिरचिटा) पौधे के औषधीय गुण व फायदे | Apmarga Chirchita Latjeera Health Benefits Hindi

बरसात के  दिनों मे हमारे घरों के आसपास कई तरह के पेड़ पौधे उग जाते हैं। परंतु हम लोग  जानकारी के अभाव मे उन्हे बेकार का समझ लेते हैं। उन्ही मे से एक पौधा हैं अपामार्ग (चिरचिटा) जिससे लटजीरा भी कहते हैं। इसका एक नाम और भी है, कुछ लोग शायद इस पौधे को इस नाम से जानते होंगे कुकुरघास।

जी हाँ,एक बहुत ही गुणी औषधि हैं बारिश की शुरुआती  मौसम मे ही ये पौधा अंकुरित होने लगता हैं। ठंड के मौसम मे फलते फूलते हैं और गर्मी के मौसम मे पूरी तरह बड़े हो जाते हैं।

Table of Contents

अपामार्ग (चिरचिटा), लटजीरा की बनावट व इसको पहचान ने की कुछ निशानियाँ

1.इसके बीज चावल जेसे होते हैं जिन्हे अपामार्ग तंडुल कहते हैं।
2.इसके फूल हरी ,गुलाबी कलियों से भरे होती हैं।
3.इसके पत्ते बहुत ही छोटे और सफ़ेद रोमो से ढके होते हैं।
4.इसकी लंबाई लगभग 60 से 120 से. मी होती हैं।
5.इस पौधे की सबसे  बड़ी पहचान ये हैं जब आप इस पौधे के पास से गुजरते हैं तो इसके काँटेदार बीज आप के कपड़ो पर चिपक  जाते हैं और इन्हे निकालने मे आपको काफी मेहनत करनी पड़ती हैं।
अपामार्ग (चिरचिटा) पौधा

अपामार्ग मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं

1.सफेद अपामार्ग
2.लाल अपामार्ग

सफेद अपामार्ग (चिरचिटा)

इसकी डंठल हरी और पत्तियां भूरी व सफेद रंग की और इसके बीज जौ के समान होते हैं।

लाल अपामार्ग (चिरचिटा)

इसकी डंठल लाल और पत्तियों पे लाल छींटे होते हैं। 

अपामार्ग (चिरचिटा), लटजीरा की खासियत

अपामार्ग मे पॉटेशियम की मात्रा बहुत अधिक होती हैं। आदि काल से ही अपामार्ग को  आयुर्वेद मे एक विशेष दर्जा मिला हुआ हैं क्यूंकी इसकी जड़, बीज ,पत्ती ,यह तक की पूरा पौधा  काम आता हैं। जानये किस किस बीमारी मे काम आता हैं।

अपामार्ग (चिरचिटा), लटजीरा के फायदे

अपमार्ग के बहुत से औषधिये गुण हैं आईये सभ एक एक करके जानते हैं।

दांत के दर्द मे 

अपामार्ग की डंठल को दातुन की तरह इस्तेमाल किया जाता हैं। पुराने समय मे लोग ब्रश की जगह इसी डंठल का उपयोग करते थे. इसकी जड़ व पत्तियों का चूर्ण से दांत के दर्द व मुह के छालों  मे आराम मिलता हैं।

आँखों की बीमारी मे

आई फ्लू, आँखें लाल होना  ,रतौंधी जेसे विकारों मे मददगार होती हैं।अपामार्ग की जड़ को सेंधा नमक  और दही के पानी के साथ मिलाते हुए घिसे।  घिसने के लिए तांबे के बर्तन का इस्तेमाल करे। इस काजल को लगाने से इन रोगों मे आराम मिलता हैं.

स्किन इन्फेक्शन मे

अपामार्ग आपके शरीर की अंदर से सफाई कर आपको बीमारियों से दूर रखता हैं, अगर कोई फोड़े, फुंसी या स्किन के किसी भी रोग से परेशान हो तो वह अपामार्ग (चिरचिटा) की पत्तियों  का पेस्ट बना कर लगा ले उसे तुरंत आराम मिलेगा।

बुखार मे   

लटजीरा के 10-12 पत्ते ले, 5-6 काली मिर्च और 5-6 ही लहसुन की कलियाँ ले और इनको पीसकर 3-4 गोली बना कर रख ले और बुखार होने का जैसे हे आपको एहसास हो तो इसका प्रयोग करें । ठंड लगकर आने वाला बुखार उतर जाएगा।

चोट लगने मे  

अपामार्ग के 2 3 पत्तों का हाथ से मसलकर रस निकालकर घाव पर लगाने से घाव  से बहने वाला  खून रुक जाता हैं। जड़ का काढ़ा बनाकर घाव धोने  से भी घाव ठीक हो जाता हैं।  पुराना घाव हो तो अपामार्ग के रस का मलहम लगाने से घाव पकता नहीं हैं।

पेट के रोग मे  

2 ग्राम अपामार्ग की जड़ के चूर्ण मे शहद मिलकर लेने से पेट दर्द मे आराम मिलता हैं। चिरचिटा पेट को साफ रखता हैं।

बवासीर मे   

अगर किसी को बवासीर की परेशानी हो तो अपामार्ग उसके लिए वरदान साबित हो सकता हैं। मगर शर्त ये हैं की उसे अपामार्ग का सेवन नियमित रूप से करना पड़ेगा। पत्तियों  को साफ करके पानी के साथ उसका पेस्ट और शरीर के प्रभावित हिस्से पर लगाए ।

पथरी मे  

लटजीरा की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी मे मिलकर पीस ले इसे घोलकर पीने से बहुत लाभ होता हैं। इससे किड्नी की पथरी टुकड़े टुकड़े होकर मूत्र के सहारे निकल जाती हैं क्यूंकी यह एक मूत्रावर्धक औषधि हैं।  

माईग्रैन मे

अपामार्ग के बीज के चूर्ण को केवल सूंघने से  ही आराम  मिल जाता  हैं। इसको सूंघने से मस्तिष्क के अंदर जमा हुआ कफ निकल जाता हैं और दर्द मे आराम मिलता हैं।

भूख बढ़ाने मे

लाल अपामार्ग की जड़ का काढ़ा बना ले । 10-30 मिली की मात्र मे इसका नियमित रूप से सेवन करें  यह हमारी पाचन शक्ति को बढ़ा देता हैं।

विष दंश मे

ततैया,बिच्छू और अन्य जहरीले कीड़ो के काटने के स्थान  पे  अपामार्ग के पत्तों का रस लगा दे। इससे जहर उतर जाता हैं।

अस्थमा मे  

दमा  जैसी बीमारी मे लटजीरा की जड़ चमत्कारिक रूप से काम करती हैं इसके 8-10 सूखे पत्ते हुक्के मे रखकर पीने से इस बीमारी मे फायदा होता है।     

भस्मक रोग मे  

अधिक भूख लगने की बीमारी को भस्मक रोग कहते हैं.इसमे खाया हुआ अन्न भस्म हो जाता हैं और शरीर वैसा ही रहता है। अपामार्ग  के बीज का चूर्ण खाने से ज्यादा भूख  लगनी  बंद हो जाती हैं।

रसौली मे  

अपामार्ग के लगभग 10 ग्राम पत्ते व 5 ग्राम हरी दूब को पीस ले इसमे 60 मिली पनि मे मिलकर छान  ले। इसे 20 मिली गाय के दूध मे मिलकर नियमित रूप से पिए । इससे गर्भाशय की गांठ की परेशानी ठीक ह जाती हैं।

अपामार्ग (चिरचिटा) की तासीर

अपामार्ग की तासीर गरम हैं। इसका स्वाद कड़वा और कसैला होता हैं।

अपामार्ग  का सेवन करते वक्त बरते ये सावधानियाँ                    

ये तो हम सब जानते हैं की अगर कोई चीज फायदेमंद होती हैं तो उसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। तो चलिए हम आपको  बताते हैं की इतने चमत्कारी पौधे के इस्तेमाल मे हमे क्या सावधानियाँ रखनी पड़ती हैं.

1.चिरचिटा का सेवन ज्यादा मात्रा मे नहीं करना चाहिए, इसके ज्यादा प्रयोग से उल्टियाँ होने लगती हैं।
2.चिरचिटा का सेवन गर्भवती स्त्री को नहीं करना चाहिए क्यूंकि ये गर्भ  निरोधक होता हैं।
3.आमाशय के विकारों मे इसका प्रयोग अधिक मात्रा मे नहीं करना चाहिए।

अपामार्ग (चिरचिटा) का सेवन कितनी मात्रा मे करना चाहिए

रस10—20 मिली
बीज3 ग्राम
क्षार2 ग्राम
 चूर्ण3-6 ग्राम

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FAQ’s

Q. अपामार्ग (चिरचिटा) क्या है ?

Ans: अपामार्ग (चिरचिटा) एक पौधा है जिसके बहुत से औषधिये गुण हैं। यह बहुत से रोगों के उपचार में काम आता है।

Q. अपामार्ग (चिरचिटा), लटजीरा की की पहचान क्या है ?

Ans: इसके फूल हरी ,गुलाबी कलियों से भरे होती हैं, इसके पत्ते बहुत ही छोटे और सफ़ेद रोमो से ढके होते हैं, इस पौधे की सबसे  बड़ी पहचान ये हैं जब आप इस पौधे के पास से गुजरते हैं तो इसके काँटेदार बीज आप के कपड़ो पर चिपक  जाते हैं और इन्हे निकालने मे आपको काफी मेहनत करनी पड़ती हैं।

Q. अपामार्ग (चिरचिटा) का पौधा कितनी तरह का होता है ?

Ans: अपामार्ग (चिरचिटा) का पौधा दो तरह का होता है सफेद अपामार्ग, लाल अपामार्ग।

Q. अपामार्ग (चिरचिटा) के औषधिये गुण क्या क्या हैं ?

Ans: अपामार्ग (चिरचिटा) के बहुत से औषधिये गुण हैं जैसे यह दांत के दर्द मे, बुखार में, पेट के रोगों में, स्किन के रोगों में और भी अन्य बहुत सारे रोगों में काम आता है।

Q. अपामार्ग (चिरचिटा) का सेवन करने में क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ?

Ans: चिरचिटा का सेवन ज्यादा मात्रा मे नहीं करना चाहिए, इसके ज्यादा प्रयोग से उल्टियाँ होने लगती हैं, चिरचिटा का सेवन गर्भवती स्त्री को नहीं करना चाहिए क्यूंकि ये गर्भ निरोधक होता हैं।

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